कैसे पैदा होते हैं चक्रवाती तूफान


सबसे पहले तो ये जानना जरूरी है कि आखिर चक्रवाती तूफान होता क्या है? चक्रवाती तूफान विशाल वायु राशि के घूर्णनशील यानि स्पिनिंग उष्णकटिबंधीय चक्रीय बवंडर होते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में इन्हें हरिकेन या फिर टाइफून कहा जाता है, इनमें हवा का घूर्णन घड़ी की सुइयों के विपरीत दिशा में एक वृत्ताकार रूप में होता है। दक्षिणी अर्द्धगोलार्ध में इन्हें चक्रवात या साइक्लोन कहा जाता है। इनमें हवा घड़ी की सुइयों की दिशा में वृत्ताकार रूप में घूमती हैं। जब बहुत तेज हवाओं वाले उग्र आंधी तूफान अपने साथ मूसलाधार वर्षा लाते हैं तो उन्हें हरिकेन कहते हैं। किसी भी उष्णकटिबंधीय अंधड़ को चक्रवाती तूफान की श्रेणी में तब गिना जाने लगता है जब उसकी गति कम से कम 74 मील प्रति घंटे हो जाती है। इसमें हजारों परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा पैदा करने की क्षमता होती है।

जहाँ तक चक्रवती तूफानों के पैदा होने की बात है ये कोरियोलिस इफेक्ट की वजह से पैदा होते हैं, जिसका संबंध पृथ्वी के अपनी अक्ष पर घूर्णन से है। भूमध्य रेखा के नजदीकी अपेक्षाकृत गुनगुने समुन्दर जहाँ का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस या अधिक होता है, चक्रवातों के उद्गम स्थल समझे जाते हैं। जब इन समुन्दरों के ऊपर की हवा सूर्य से प्राप्त ऊष्मा के कारण गर्म हो जाती है तो वह तेजी से ऊपर उठती हैं, और अपने पीछे एक कम दवाब का क्षेत्र छोड़ जाती हैं। कम दवाब के क्षेत्र के कारण वहाँ एक शून्य या खालीपन पैदा हो जाता है। हवा के ऊपर उठ जाने के कारण वहाँ उत्पन्न खाली जगह को भरने के लिये आस-पास की ठंडी हवा तेजी से दौड़ कर आना चाहती है लेकिन पृथ्वी के अपनी धुरी पर लट्टू की तरह घूमते हुए होने का कारण हवा का रुख पहले तो अंदर की ओर ही मुड़ जाता है और फिर हवा तेजी से खुद घूर्णन करती हुई तेजी से ऊपर की ओर उठने लगती है। जब हवा की गति अत्यधिक तेज हो जाती है तो बहुत विशाल मात्रा में हवा घूम-घूम कर नाचने वाले की तरह घूर्णन करती हुई एक बड़ा घेरा बनाने लगती है, जिसकी परिधि 2000 किलोमीटर या उससे भी ज्यादा हो सकती है। यहाँ यह ध्यान देने की बात है कि भूमध्य रेखा पर पृथ्वी की घूर्णन चाल लगभग 1038 मील प्रति घंटा होती है जबकि ध्रुवों पर यह शून्य रहती है।

एक और खास बात यह है कि इस गोल-गोल घूमते हुए बवंडर का केंद्र शांत होता है जिसे चक्रवात की आँख यानि आई ऑफ दी स्टॉर्म कहा जाता है। एक सवाल यह पैदा होता है कि इस तरह पैदा हुए चक्रवात में कोई बादल तो होते नहीं हैं फिर भी बिना बादलों के तूफान के दौरान बरसात कैसे होने लगती है जब गरम हवा ऊपर उठती है तो वह वहाँ की वायु में मौजूद नमी को अपने साथ ले जाती है। ये नमी के कण हवा में तैरते धूल कणों पर जमते जाते हैं और संघनित होकर गर्जन मेघ बन जाते हैं। जब ये गर्जन मेघ अपना वजन नहीं संभाल पाते हैं तो वे मुक्त रूप से बरसात के रूप में गिरने लगते हैं। चक्रवात की आँख के इर्द गिर्द 20-30 किलोमीटर की गर्जन मेघ की एक दीवार सी खड़ी हो जाती है और इस चक्रवाती आँख के गिर्द घूमती हवाओं का वेग 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो जाता है। क्या आप सोच सकते हैं एक पूर्ण यौवन को प्राप्त चक्रवात एक सेकेंड में बीस लाख टन वायु राशि खींचने लगता है। ऐसे घटाटोप में एक दिन में इतनी बरसात गिर जाती है जितनी लन्दन जैसे एक महानगर पर एक बरस में गिरती है। समुद्र में पैदा होने वाला तूफान केंद्र अत्यधिक तेज गति से समुद्री तट की ओर बढ़ता है। साथ ही हवाओं की रफ्तार भी सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होती है और इनका दायरा तो हजारों किलोमीटर से अधिक का होता है।

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