किसान महाबीर सिंह ने बागवानी में कमाया नाम

10 Mar 2016
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कनीना हरियाणा के जिला महेंद्रगढ़ के उप-मंडल का छोटा सा गाँव है जहाँ जिले का एकमात्र नवोदय विद्यालय स्थित है। इसी गाँव का एक साधारण सा किसान महाबीर सिंह ने बागवानी के क्षेत्र में वो सफलता हासिल की कि उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। किसान महाबीर सिंह ने आज से महज पाँच वर्ष पहले ही अपना काम शुरू किया और आज बागवानी के साथ दलहन जाति की फसलें उगाकर, केंचुआ पालन करके, ड्रिप सिंचाई, बायो गैस संयंत्र लगाकर, केंचुआ एवं प्याज का शेड बनाकर पूरे जिले में नाम कमा चुके हैं वहीं केंचुआ पालन करने वालों को केंचुआ मुफ्त में प्रदान करके वे दूसरे किसानों के लिये प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। पानी की बचत करके और बागवानी के साथ-साथ फसल पैदा करके नाम कमाया है महाबीर सिंह ने। रेतीले क्षेत्र में भी बेहतर आय प्राप्त की है।

आज से करीब पाँच वर्ष पहले महाबीर सिंह ने बागवानी में अपनी रुचि दर्शाते हुए कई प्रशिक्षण लिये एवं कैम्पों में जाकर ज्ञान हासिल किया। उन्होंने सरकार की ओर से केंचुआ पालन एवं पशु पालन विभाग की ओर से डेयरी की ट्रेनिंग भी ली। इनका ज्ञान लेने के लिये वे पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान भी गए। तत्पश्चात उनका मन ड्रिप सिंचाई की ओर चला गया और इन्होंने महाराष्ट्र के जलगाँव में जाकर ड्रिप सिंचाई योजना की जानकारी प्राप्त की। जिला महेंद्रगढ़ के वे पहले किसान बने जिन्होंने मिनि स्प्रिंकलर (फव्वारा) सिस्टम अपने खेत पर स्थापित किया।

पाँच वर्ष पहले महाबीर सिंह ने अपनी तीन एकड़ जमीन पर नींबू, बेरी, किन्नू, लेहसुआ, आँवला, बेलपत्र एवं जामुन के पौधे उगाए। इन पौधों के बीच में मूँगफली, मूँग, लहसुन, प्याज एवं मटर उगाकर रबी एवं खरीफ फसल पैदावार से बेहतर आय प्राप्त की। विगत वर्ष बेरी के फल बेर करीब 30 हजार रुपए के बेचकर, नींबू करीब 20 हजार के बेचकर नाम कमाया और दूसरे किसानों को भी यह काम करने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने इतना ही नहीं अपितु प्याज के शेड में प्याज एवं लहसुन उत्पाद रखकर करीब एक लाख रुपए की प्याज एवं 50 हजार रुपए की लहसुन बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण किया। दस से बारह हजार रुपए के मटर उत्पादन किया। उनका कहना है कि सामान्य तौर पर प्रति एकड़ 50 हजार रुपए की फसल पैदावार सम्भव है और वे पैदावार के मामले में इससे भी आगे हैं।

बागवानी विभाग की ओर से उन्हें सहायता मिलने पर उन्होंने देसी बेरी के पौधे उगाए और उन पर उन्नत बेरी की कलम अपने हाथों से चढ़ाकर बेहतर दर्जे के बेर फलों का उत्पादन कर दिखाया। उनका मानना है कि पौधे चार वर्ष के बाद ही पैदावार देते हैं ऐसे में अब पौधों पर फल लगने लग गए हैं। वे नींबू को बाजार में बेचने के अलावा अचार बनाने एवं नीबू के रस को बेहतर पेय में बदलने की विधि से जूस तैयार कर रहे हैं जिसका व्यावसायिक उत्पादन न करके मेहमान नवाजी के लिये प्रयोग कर रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि आगामी समय में बेहतर आय हो सकेगी। इस बागवानी के बल पर ही उन्होंने अपने पौधों की देखरेख के लिये एक व्यक्ति को रोजगार भी प्रदान कर दिया।

कृषि विभाग की प्रेरणा से उन्होंने बायो गैस संयंत्र भी लगवाया। इस संयंत्र के लगने से वे अति प्रसन्न हैं। घर में चार से पाँच पशु रखते हैं जिनके मलमूत्र को वे बायो गैस संयंत्र में प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बायो गैस संयंत्र से पाँच जनों के परिवार की सभी खाना बनाने, चाय आदि बनाने एवं अन्य कार्यों के लिये बायो गैस पर्याप्त साबित हो रही है।

कृषि विभाग से ट्रेनिंग लेकर महाबीर सिंह ने अपने फार्म पर ही केंचुआ पालन केन्द्र स्थापित कर दिया। इस केन्द्र से प्राप्त वर्मी कम्पोस्ट को उन्होंने अपने खेत में फल, सब्जी एवं फूलदार पौधे उगाने के लिये उपयोग किया जिससे भारी सफलता मिली। आज भी जिले भर के वे लोग जो केंचुआ पालन केन्द्र स्थापित करना चाहते हैं उन्हें वे मुफ्त में केंचुआ दे रहे हैं। इस प्रकार पशुओं के मलमूत्र को बायो गैस संयंत्र में प्रयोग कर रहे हैं वहीं बायो गैस से प्राप्त गोबर में केंचुआ पालन केन्द्र स्थापित करके वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया। कृषि विभाग की ओर से उन्होंने तत्पश्चात प्याज स्टोरेज स्थापित किया। इस स्टोरेज में उन्होंने प्याज रखने एवं खेत से प्राप्त लहसुन को रखने का काम करके आय प्राप्त की।

खेत में बागवानी के लिये ड्रिप सिंचाई योजना को अपनाया। इस विधि से कम पानी खर्च होता है और जो भी पानी खर्च होता है वह सीधे पौधों को प्राप्त हो रहा है। इतना कुछ होते हुए भी महाबीर सिंह खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि किसान आयोग स्थापित किया जाये जो किसानों के हितों की देखरेख करेगा। उन्होंने विभिन्न शीर्ष नेताओं को तथा मंत्रियों को भी इस सम्बन्ध में पत्र प्रेषित किया है।

उनके खेत में आधुनिक तरीके से की गई कृषि, फूलों की खेती, एवं उगाई गई सब्जियों में वर्मी कम्पोस्ट एक बेहतर किसान की ओर इंगित करती है। उन्होंने अपने खेत को ही शोध केन्द्र स्थापित किया हुआ है। किसान उनसे अब प्रेरणा ले रहे हैं। वे बेझिझक उन्हें कृषि की नई तकनीकों की जानकारी देते हैं।

होशियार सिंह, मोहल्ला-मोदीका, कनीना-123027, जिला- महेंद्रगढ़ (हरियाणा), फोन-9416348400

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