किशोर सागर तालाब मामले में एनजीटी का ऐतिहासिक फैसला

27 Sep 2021
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किशोर सागर तालाब जिसे अतिक्रमण मुक्त कराने सात साल पहले एनजीटी में दायर की थी याचिक
किशोर सागर तालाब जिसे अतिक्रमण मुक्त कराने सात साल पहले एनजीटी में दायर की थी याचिक

छतरपुर शहर के किशोर सागर तालाब से कब्ज़ा हटाने के मामले को एनजीटी ने छतरपुर जिला जज को कार्यवाही के लिये सौंप दिया हैं। सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी बीएल मिश्रा की याचिका पर एनजीटी ने वर्ष 2014 में किशोर सागर तालाब से कब्ज़ा हटाने का आदेश जारी किया था। छतरपुर जिला प्रशासन ने इस आदेश पर कोई अमल नहीं किया। तब बीएल मिश्रा और पत्रकार धीरज चतुर्वेदी ने  पूर्व आदेश का क्रियान्वयन कराने के लिये एनजीटी में आवेदन फ़ाइल किया था।

एनजीटी के माननीय न्यायाधीश श्री शेव कुमार सिंह व श्री अरुण कुमार वर्मा ने इस मामले में 20 सितम्बर को ऐतिहासिक फैसला दिया हैं। जिसमे एनजीटी के पूर्व आदेश का निष्पादन कराने के छतरपुर जिला न्यायाधीश को अधिकार सोंपे दिये गये हैं। इस आदेश के तहत छतरपुर जिला जज किसी भी मजिस्ट्रेट को यह मामला सौंप सकते हैं जिससे किशोर सागर तालाब से पूर्व आदेश के तहत कब्ज़ा हटाने की कार्यवाही संभव हों सके।

गौरतलब हैं कि एनजीटी ने अपने पूर्व आदेश में किशोर सागर तालाब को अतिक्रमण मुक्त करने के लिये कठोर आदेश दिये थे। तालाब के मूल रकवे, फुल टेंक लेबल भराव क्षेत्र और उसके बाद 10 मीटर में ग्रीन जोन बनाने के आदेश दिये थे। एनजीटी में मूल याचिका में जिला कलेक्टर, प्रदूषण विभाग सहित अन्य जिम्मेदार विभागों को भी पक्षकार बनाया गया था। जिनकी दलीलो को भी सुना गया था। इसके बाद एनजीटी का आदेश पारित हुआ था।

छतरपुर जिला प्रशासन ने इस आदेश का किंचमात्र पालन नहीं किया बल्कि तालाब पर कब्जे बढ़ते गये। जिला कलेक्टर और अन्य सम्बंधित विभागों को कई शिकायते और ज्ञापन सौंपने के बाद भी एनजीटी का आदेश अपमानित होता रहा। यहाँ तक कि तालाब की पूर्व दिशा पुराने रोजगार कार्यालय के समीप हिस्से में तालाब के पुराने निकासी नाले ओने को क्षतिग्रस्त कर दिया गया वहीँ तालाब के वास्तविक भराव क्षेत्र को रोकने के लिये पत्थर की दीवाल निर्मित करवा दी गई।

एनजीटी के पुनः ऐतिहासिक फैसले के बाद उम्मीद हैं कि किशोर सागर तालाब आने वाले दिनों में अतिक्रमण मुक्त दिखेगा क्यों कि अब एनजीटी के वर्ष 2014 के आदेश का पालन कराने का अधिकार छतरपुर जिले के न्यायाधीश को सौंप दिया गया हैं।

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