लैंडसैट भूप्रेक्षण कार्यक्रम को चालू रखने वाला अगला मिशन ‘एल डी सी एम’

25 Nov 2016
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पिछले दो दशकों में पृथ्वी की गर्माहट (वार्मिंग) की दर बढ़ी है तथा वैज्ञानिकों ने विश्लेषणों के आधार पर अनुमान लगाया है कि हमारी पृथ्वी 21वीं सदी के अंत तक गर्म होती रहेगी। क्या यह गर्माहट का ट्रेंड चिंता का विषय है? यह बड़ा विचारणीय मुद्दा है। जैसा भी हो हमारी पृथ्वी ने भूतकाल में अत्यधिक गर्म परिस्थितियों को झेला है जैसे डाइनासोर का समय। पृथ्वी ने इसके अलावा भी 11,000 वर्ष के चक्र में अनेकों बर्फ युग भी देखे हैं (कम से कम पिछले कुछ मिलियन वर्षों में)।

11 फरवरी 2013 को अमेरिका ने अपना लेटेस्ट भूप्रेक्षण उपग्रह लैंडसैट-8 का प्रमोचन एटलस रॉकेट के द्वारा कैलीफोर्निया के वैन्डेनवर्ग वायुसेना बेस से किया। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह के सबसे लंबे समय (40 वर्षों से ज्यादा) से चले आ रहे प्रतिबिम्ब रिकॉर्डों को बनाए रखने की दिशा में एक नया कदम होगा। लैंडसैट-8 उपग्रह जिसे सामान्य तकनीकी भाषा में ‘‘लैंडसैट डाटा कांटीन्युटी मिशन’’ (एल डी सी एम) कहते हैं, उन उपग्रहों की श्रृंखला में लेटेस्ट उपग्रह है जो 1972 से लगातार पृथ्वी की सतह के प्रतिबिम्ब की डाटा का संचयन कर रहा है। पृथ्वी से प्रमोचन के 1 घंटे 20 मिनट के बाद लैंडसैट-8 उपग्रह रॉकेट से अलग हुआ तथा 3 मिनट के बाद इसके प्रथम सिग्नल की पीप नार्वे के एक ग्राउंड स्टेशन में अभिग्रहित की गई। यह उपग्रह अपनी निर्धारित प्रचालन कक्षा पृथ्वी से 438 मील (735 किमी) दूर 2 महीन के बाद पहुँचेगा। इसका न्यूनतम जीवन काल 5 वर्ष का होगा तथा इसमें इतना र्इंधन भरा हुआ है कि यह अंतरिक्ष में 10 वर्ष तक काम करता रहेगा। यह एक दिन में पृथ्वी की 14 परिक्रमाएं करेगा। यह उपग्रह लैंडसैट श्रृंखला के उपग्रहों में 8वां उपग्रह है जिन्होंने हमारे पृथ्वी ग्रह के परिवर्तित हो रहे फेस के प्रतिबिम्बन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नासा के प्रशासक चार्ल्स बोल्डेन के अनुसार, ‘‘प्राप्त डाटा मौसम के मानीटरन के लिये विशिष्ट और प्रमुख तरीका है तथा मानवीय एवं जैव विविधता स्वास्थ्य के सुधार, ऊर्जा और जल प्रबंधन, शहरी नियोजन, आपदा रिकवरी एवं कृषि मॉनीटरन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है एवं इससे अमेरिका और विश्व समुदाय आर्थिक रूप से लाभान्वित हुआ है।’’

लैंडसैट-8 के पावरफुल संवेदक एक दिन में पृथ्वी ग्रह के 400 दृश्य (स्क्रीन्स) संचित करेंगे तथा वे इन्हें भू आधारित स्टेशन के संग्रहण स्थल को भेजेंगे जहाँ से कोई भी इन आंकड़ों का उपयोग कर सकेगा। यह पृथ्वी की संपूर्ण सतह का चित्रांकन प्रत्येक 16 दिन में करेगा जिसमें जंगल, जल स्तर और कृषि गतिविधियों के महत्त्वपूर्ण आंकड़े भी शामिल हैं। नये उपग्रह- एल डी सी एम से प्रेक्षण आंकड़े 100 दिन के बाद से उपलब्ध होने लगेंगे। लैंडसैट उपग्रहों से प्राप्त 40 वर्षीय आंकड़ों का संग्रहण सबके लिये स्वतंत्र रूप से खुला हुआ है। संपूर्ण ग्लोब में वैज्ञानिक और सामान्य समुदाय लैंडसैट डाटा का उपयोग अनेक प्रकार से करते हैं जिसमें शामिल है- फसलों के स्वास्थ्य मॉनीटरन से ज्वालामुखी, शहरों की वृद्धि का मापन और मॉनीटरन तथा ग्लैशियरों की स्थिति इत्यादि। लैंडसैट डाटा का सर्वोत्तम उपयोग जो सार्वजनिक समुदाय को मालूम है, वह उनके फोन और कम्प्यूटर में गूगल के माध्यम से (जो लैंड सैट उपग्रहजों से प्राप्त डाटा का उपयोग करता है) उपलब्ध होता रहता है।

परिचय


उपग्रहों के माध्यम से पृथ्वी सतह का प्रतिबिम्बन मानव के लिये काफी उपयोगी और लाभदायक रहा है तथा इस प्रक्रिया को सुदूर संवेदन (रिमोट सेन्सिंग) प्रक्रिया के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इस संदर्भ में लैंडसैट कार्यक्रम पृथ्वी प्रतिबिम्बन के लिये सबसे लंबे समय से चला आ रहा कार्यक्रम है। इससे पृथ्वी प्रतिबिम्बन का (सुदूर संवेदन उपग्रहों के माध्यम से) श्री गणेश कहा जा सकता है। 1972 में प्रारंभ की गई लैंडसैट डाटा श्रृंखला पृथ्वी सतह परिवर्तन का सबसे दीर्घकालीन डाटा रिकॉर्ड है तथा एक मात्र अकेला उपग्रह तंत्र है जिसका प्रचालन और डिजाइन मध्यम वर्गीय विभेदन पर किया जा रहा है। 23 जुलाई 1972 को इस संदर्भ में प्रथम उपग्रह भूसम्पदा तकनीकी उपग्रह (अर्थ रिसोर्सेज टेक्नोलॉजी सैटेलाइट) का प्रमोचन किया गया था तथा बाद में इसका पुन: नामकरण ‘लैंडसैट’ नाम से किया गया। सबसे लेटेस्ट उपग्रह (इस संदर्भ में) लैंडसैट का प्रमोचन 15 अप्रैल 1999 को किया गया। अब तक 7 लैंडसैट उपग्रह प्रमोचित किये जा चुके हैं जिनका विवरण आगे दिया गया है।

लैंडसैट श्रृंखला के प्रमोचित हो चुके उपग्रह


लैंडसैट -1 : (जिसका वास्तविक नाम भू-सम्पदा तकनीकी उपग्रह 1 था) : इसका प्रमोचन 23 जुलाई 1972 को हुआ तथा 6 जनवरी 1978 को इसका प्रचालन बंद कर दिया गया।

लैंडसैट -2 : 22 जनवरी 1975 को प्रमोचित हुआ तथा 22 जनवरी 1981 को इसका प्रचालन स्थगित हो गया।

लैंडसैट -3 : 5 मार्च 1978 को प्रमोचित तथा 31 मार्च 1983 को प्रमोचन स्थगित।

लैंडसैट -4 : 16 जुलाई 1984 को प्रमोचित, 1973 में प्रमोचन स्थगित।

लैंडसैट -5 : 1 मार्च 1984 को प्रमोचित तथा ऑपरेशनल लेकिन नवम्बर 2011 से यह अनेक समस्याओं से जूझ रहा है।

लैंडसैट -6 : इसका प्रमोचन 5 अक्टूबर 1993 को हुआ तथा यह अंतरिक्ष की कक्षा में नहीं पहुँच सका।

लैंडसैट -7 : 15 अप्रैल 1999 को प्रमोचित, अब भी काम कर रहा है लेकिन मई 2003 से स्कैन लाइन करेक्टर में समस्या है।

लैंडसैट उपग्रहों में लगे उपकरणों ने पृथ्वी के लाखों की संख्या में प्रतिबिम्ब लिये हैं। इन उपग्रहों के द्वारा प्राप्त प्रतिबिम्बों का ग्लोबल परिवर्तन अनुसंधान, कृषि, कार्टोग्राफी, भूगर्भ शास्त्र, वन्य विज्ञान, क्षेत्रीय नियोजन, शिक्षा इत्यादि के क्षेत्र में बहुत महत्त्व और उपयोग है। भू-सम्पदा तकनीकी उपग्रह कार्यक्रम जब 1966 में प्रारंभ किया गया तो इसका उपर्युक्त नाम था लेकिन 1975 में इस कार्यक्रम का नाम लैंडसैट कर दिया गया।

लैंडसैट कार्यक्रम के अगले उपग्रह का नाम है ‘‘लैंडसैट डाटा कांटीन्युटी मिशन’’ जिसे संक्षिप्त में ‘एल डी सी एम’ कहते हैं जो कि अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा तथा अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग की संयुक्त परियोजना है तथा यह मध्यम श्रेणी का विभेदन (15 से 20 मीटर का जो कि स्पेक्ट्रल आवृत्ति पर निर्भर करता है) प्रदान करेगा और इस विभेदन के साथ यह पृथ्वी के पार्थिवेतर और ध्रुवीय क्षेत्रों का दृष्टिगोचर, इन्फ्रारेड समीप, शार्ट-वेब इन्फ्रारेड और तापीय इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम में मापन और प्रतिबिम्बन करेगा। लैंडसैट परियोजना के इस भावी उपग्रह का एक अन्य नाम भी है- ‘लैंडसैट-8’। इस तरह ‘एल डी सी एम’ उपग्रह के द्वारा लैंडसैट कार्यक्रम 38 वर्ष के बाद भी जारी रखने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इसके अतिरिक्त विस्तृत रूप से भू-उपयोग नियोजन और स्थानीय पैमाने पर मॉनीटरन क्षेत्रों में प्रयोग से ‘एल डी सी एम’ उपग्रह नासा अनुसंधान कार्यों को मौसम विज्ञान, कार्बन चक्र, इको तंत्र, जल चक्र, जैविक रसायन शासत्र एवं भू सतह/अंत: क्षेत्र में आगे बढ़ायेगा।

आज भू आवरण (लैंड कवर) तथा इसके अत्यधिक उपयोगों ने मौसम, मौसम, परिवर्तन, इको तंत्र और सेवाओं, संपदा प्रबंधन, राष्ट्रीय और ग्लोबल अर्थ अर्थव्यवस्था, मानव स्वास्थ्य और समाज को अत्यधिक प्रभावित किया है।

एल डी सी एम उपग्रह के नीतभार में दो वैज्ञानिक उपकरण हैं - प्रचालित भू-प्रतिबिम्बर (ओ एल आई) और तापीय इन्फ्रारेड संवेदक (टी आई आर एस)। यह दोनों संवेदक 30 मीटर, 100 मीटर (तापीय) और 15 मीटर (पैनक्रोमैटिक) आकाशीय विभेदन के साथ ग्लोबल भू-क्षेत्र का मौसमी कवरेज प्रदान करेंगे। स्पेक्ट्रल कवरेज एवं रेडियों मीट्रिक निष्पादन (परिशुद्धता, डाइनामिक रेंज एवं परिशुद्धता) का डिजाइन इस प्रकार किया गया है। जिससे यह कई दशक के भू-परिवर्तनों का संसूचन का अभिलक्षण ऐतिहासिक लैंडसैट डाटा के साथ कर सके। कोऑर्डिनेटेड अंशांकन प्रयास इस मिशन में भी ध्यान में रखे जायेंगे। एल डी सी एम उपग्रह के द्वारा दृश्यांकन का आकार 185 किमी X 180 किमी होगा। अंतरिक्षयान की कक्षा की ऊँचाई 735 किमी होगी। एल डी सी एम उपग्रह से डाटा को हैंडल करने वाले उपकरणों एवं उत्पादों की 12 मीटर से बेहतर कार्टोग्रैफिक परिशुद्धता अपेक्षित है।

‘एल डी सी एम’ का उपग्रह का कार्यान्वयन नासा और अमरीकी भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग के द्वारा संपन्न किया जा रहा है। भू-प्रेक्षण कार्यों में नासा की विशेषज्ञता तथा अमरीकी भू-गर्भ सर्वेक्षण की डाटा भंडारण एवं सुदूर संवेदन डाटा प्रोसेसिंग विशेषज्ञता ने इन दो विभागों के बीच एक लाभदायक भागीदारी बना दी है। ‘एल डी सी एम’ मिशन में नासा का उत्तरदायित्व ‘ओ एल आई’ और ‘टी आई आर एस’ उपकरण, अंतरिक्षयान, प्रमोचन वेहिकल, अमेरिकी भूगर्भशास्त्र सर्वेक्षण विभाग फंडेड मिशन का प्रचालन और इन-आरबिट सत्यापन है। इस मिशन के अंतरिक्ष खंड के अधिकांश अवयव नासा उद्योग जगत से ले रहा है जिसमें नासा का गोडार्ड अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (जी एस एफ सी) मिशन इंटीग्रेटर ओर नेतृत्व प्रदायक तंत्र इंजीनियर संस्था के रूप में काम कर रहा है। एल डी सी एम उपग्रह के विभिन्न तकनीकी गणक आगे दिये गये हैं।

‘टी आई आर एस’ उपकरण का निर्माण गोडार्ड अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के अंदर किया जा रहा है तथा प्रमोचन सेवाएं कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र के द्वारा प्रदान की जायेंगी। ‘एल डी सी एम’ का मिशन प्रचालन केंद्र गोडार्ड अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के अंदर होगा।

अंतरिक्ष भू-गर्भ सर्वेक्षण विभाग इस मिशन को ग्राउंड डाटा प्रोसेसिंग तंत्र प्रदान करेगा जो भू-गर्भ सर्वेक्षण विभाग के भू-संपदा प्रेक्षण और विज्ञान केंद्र में स्थित होगा। सर्वेक्षण विभाग भी इस प्रोसेसिंग तंत्र को उद्योग जगत से ले रहा है। फ्लाइट प्रचालन टीम का गठन भी सर्वेक्षण विभाग के द्वारा किया गया है (नासा के एक अनुबंध के अंतर्गत)। सर्वेक्षण विभाग ही लैंडसैट विज्ञान टीम को फंडिंग और नेतृत्व प्रदान करेगा। मिशन प्रमोचन के बाद तथा आन-आरबिट कक्षीय सत्यापन के बाद अमेरिकी भू-गर्भ सर्वेक्षण विभाग प्रमोचन के बाद की कैलीब्रेशन गतिविधियाँ प्रारंभ करेगा जिसमें शामिल होंगे उपग्रह प्रमोचन, डाटा उत्पाद जनन एवं डाटा भंडारण।

एल डी सी एम मिशन की प्रमोचन वेहिकल


इस मिशन की अंतरिक्ष प्रमोचन सेवाएं केनेडी अंतरिक्ष केंद्र के द्वारा प्रदान की जायेंगी। मिशन की प्रमोचन वेहिकल एक एटलस V रॉकेट था जिसका प्रबंधन कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र ने किया तथा यह रॉकेट यूनाइटेड लांच एलायेंस कंपनी से लिया गया।

‘एल डी सी एम’ का ग्राउंड तंत्र


एल डी सी एम के ग्राउंड तंत्र में उन सभी चीजों को शामिल किया गया है जो ‘एल डी सी एम’ प्रेक्षणशाला को ऑपरेट करने के लिये आवश्यक होते हैं। इस मिशन के ग्राउंड सेगमेंट के प्रमुख अवयवों में शामिल चीजें हैं : - मिशन ऑपरेशंस अवयव, कलेक्शन ऐक्टिविटी नियोजन अवयव, ग्राउंड नेटवर्क अवयव और डाटा प्रोसेसिंग एवं संग्रहण तंत्र। मिशन ऑपरेशन्स अवयव हैमर्स कार्पोरेशन कंपनी के द्वारा प्रदान किया जायेगा। इस संदर्भ में आवश्यक अनुबंध के अंतर्गत कमांड और कंट्रोल, मिशन नियोजन और शेड्यूलिंग, दीर्घकालीन ट्रेंडिंग और विश्लेषण एवं फ्लाइट डाइनामिक्स विश्लेषण को शामिल किया गया। ग्राउंड नेटवर्क अवयव में दो नोड हैं जो फेयरबैक्स, अलास्का और सिउक्स फाल्स, एस डी में स्थित होंगे। इसके अतिरिक्त प्रत्येक स्टेशन में पूर्ण रूप में एस-बैंड अपलिंग और डाउनलिंक क्षतमाएँ होंगी। डाटा प्रोसेसिंग और संग्रहण तंत्र में वे फंक्शन शामिल किये गये हैं जिनका संबंध इंजेटिंग, भंडारण, कैलीब्रेशन, प्रोसेसिंग और वितरण (एल डी सीएम के डाटा और डाटा उत्पाद) से है।

‘एल डी सी एम’ मिशन से अपेक्षित दो बड़े प्रश्न भविष्य में पृथ्वी तंत्र कैसे परिवर्तित होगा?


जैसे-जैसे पृथ्वी में जीवाश्म र्इंधनों का अधिकाधिक प्रयोग किया जाता है वैसे-वैसे पृथ्वी में ग्रीन हाउस गैसों की संकेन्द्रणता (कंसन्ट्रेशन) बढ़ेगी और उसके साथ पृथ्वी का औसत तापमान भी बढ़ेगा। मौसम परिवर्तन का अंत: सरकारी पैनेल (इंटरगवर्नमेंटल पैनेल ऑन क्लाइमेट चेंज) के अनुमान के अनुसार 21वीं सदी के अंत तक पृथ्वी का औसम तापमान 2 से 6 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ सकता है।

ग्लोबल भूतंत्र में किस प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं?


वर्तमान में पृथ्वी गर्म होने की अवधि से गुजर रही है। पृथ्वी का औसत तापमान लगभग 1.1 डिग्री फारेनहाइट (0.6 डिग्री सेंटीग्रेड) बढ़ा है। पिछले दो दशकों में पृथ्वी की गर्माहट (वार्मिंग) की दर बढ़ी है तथा वैज्ञानिकों ने विश्लेषणों के आधार पर अनुमान लगाया है कि हमारी पृथ्वी 21वीं सदी के अंत तक गर्म होती रहेगी। क्या यह गर्माहट का ट्रेंड चिंता का विषय है? यह बड़ा विचारणीय मुद्दा है। जैसा भी हो हमारी पृथ्वी ने भूतकाल में अत्यधिक गर्म परिस्थितियों को झेला है जैसे डाइनासोर का समय। पृथ्वी ने इसके अलावा भी 11,000 वर्ष के चक्र में अनेकों बर्फ युग भी देखे हैं (कम से कम पिछले कुछ मिलियन वर्षों में)। इसलिए शायद पृथ्वी के 4.5 बिलियन वर्ष के इतिहास में परिवर्तन एक मात्र अकेला स्थिरांक (कान्स्टैन्ट) है।

‘एल डी सी एम’ उपग्रह की तापीय निर्वात चैम्बर में जाँच पूरी हुई


23 नवम्बर 2012 को ‘एल डी सी एम’ उपग्रह की पर्यावरणीय जाँच आरबिट साइंस कार्पोरेशन की तापीय निर्वात चैंबर सुविधा में पूरी की गई। टेस्टिंग के दौरान विशालकाय चैम्बर के अंदर की सारी हवा निकाल दी गई तथा वहाँ निर्वात बनाया गया। उसके बाद चैम्बर के अंदर के भाग को और गर्म करके बढ़ाया गया तथा उसके बाद इसे ठंडा किया गया। इस सबके करने का कारण था उपग्रह के वाह्य पर्यावरणीय तापक्रम को सिमुलेट करना (अर्थात अंतरिक्ष जैसी परिस्थिति का सृजन करना)। उपग्रह की यह पर्यावरणीय जाँच 34 घंटे चली तथा तापीय निर्वात टेस्ट का पूरा किया जाना पर्यावरणीय जाँच का समापन था।

‘एल डी सी एम’ उपग्रह मिशन के विभिन्न गणक


1. ‘एल डी सी एम’ उपग्रह लैंडसैट-5 एवं लैंडसैट-7 के साथ डाटा की आपूर्ति जारी रखेगा।

2. 705 किमी निम्न भू-कक्षा वाला मिशन।

3. सरल तथा आसानी से इंटीग्रेटेड डिजाइन पर आधारित आरबिटल कंपनी के पूर्व फ्लाइट सिद्धहस्त मिशन ल्योस्टार-3 पर आधारित अंतरिक्षयान का स्ट्रक्चर।

4. विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिये गतिशील यांत्रिकी को हटाया गया, प्रचालन आसान तथा अन्तरराष्ट्रीय समन्वयकों को अच्छी सेवा प्रदान की जायेगी।

5. लैंडसैट डाटा उत्पाद आसानी से उपभोक्ताओं को अमरीकी भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग के द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा।

6. कस्टमर : नासा गोडार्ड अंतरिक्ष उड़ान केंद्र-ग्रीनबेल्ट, मेरीलैंड

7. आंकड़े

 

प्रमोचन भार

3085 किग्रा

सौर एरे

ट्रिपल जंक्शन गैलियम अर्सेनाइड से 3750 वाट (जीवन अवधि के अंत में)

कक्षा

735 किमी (वृत्तीय), 98.2 डिग्री झुकाव

स्थायित्व

6.02 माइक्रोरेडियन

डाटा संचयन

4000 गीगाबिट प्रति से. (प्रारंभ में)

डाटा डाउनलिंक

एक्स-बैंड, 384 मेगाबिट प्रति से. (2 चैनेल)

नोदक

395 किग्रा (870 पौंड) तथा 8 प्रणोदक

डिजाइन जीवन काल

5.25 वर्ष, लक्ष्य- 10 वर्ष 8-उपकरण

ऑपरेशनल लैंड प्रतिविम्बक (ओ एल आई)

तापीय इन्फ्रारेड संवेदक (टी आई आर एस) 9-प्रमोचन

प्रमोचन वेहिकल

अटलस V-401

प्रमोचन स्थल

वैन्डेनबर्ग वायु सेना बेस

प्रमोचन तिथि

11 फरवरी, 2013

 
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