लॉकडाउन के दौरान ही 15 से ज्यादा चाल-खालों का निर्माण कर चुके हैं चंदन नयाल

20 May 2020
0 mins read
चंदन नयाल के बनाए चाल-खाल
चंदन नयाल के बनाए चाल-खाल

नैनीताल जिले के दूरस्थ ओखलकांडा ब्लॉक के नाई गांव के निवासी हैं चंदन सिंह नयाल। चंदन नयाल ने अपना पूरा जीवन पानी-पर्यावरण को समर्पित कर रखा है। लॉकडाउन में अपने गांव के आस-पास सभी गांववासियों से घरों के आसपास दो-दो गड्ढे खोदने की अपील कर रहे हैं, ताकि बरसात में इनमें पेड़ लगाए जा सके। साथ ही उन्होंने अपने आसपास के जंगलों और पहाड़ों पर लॉकडाउन के दौरान ही 15 से ज्यादा चाल-खालों का निर्माण कर दिया है। वे पिछले कुछ वर्षों से अपने गांव का के आसपास लगातार चाल-खालों का निर्माण करते रहे हैं। उनका कहना है कि इससे आसपास सूख चुके नौलों-धारों के पुनर्जीवित होने की उम्मीद है।

18 मई 2020 को अमर उजाला में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि ओखलकांडा ब्लॉक के ग्राम नाई के तोक चामा निवासी चंदन सिंह नयाल छह साल से पर्यावरण संरक्षण के काम कर रहे हैं। पानी के प्राकृतिक स्रोतों को रिचार्ज करने के मकसद से वह अब तक 100 से ज्यादा चाल खाल बना चुके हैं। लॉकडाउन का सदुपयोग कर उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से अपने गांव में 15 चाल-खाल बनाए हैं। नयाल ने बताया कि उनका मकसद बरसात से पहले जल संचय करने का है ताकि पानी की कमी न होने पाए। हम प्रयास करते हैं कि ऐसे चाल-खाल बनाए जाएं जिनमें पांच हजार से 10 हजार लीटर पानी जमा हो सके। यदि चार से पांच ग्रामीण लगातार सात घंटे काम करें तो 10 हजार लीटर क्षमता वाला एक चाल खाल बना लिया जाता है। 

पर्यावरण प्रेमी चन्दन नयाल बिना किसी सरकारी मदद के चाल-खालों के संरक्षण के अभियान को गति दे रहे हैं। लॉकडाउन में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए चामा के जंगलों में बारिश के पानी को संचय के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। लोगों से ऐसे नौले-धारे, जो सूख चुके हों, उनके आसपास बारिश के पानी को संचय के लिए चाल-खाल तैयार कर जलस्रोत को रिचार्ज करने की अपील कर रहे हैं।

चन्दन नयाल ने पौधारोपण और जागरूकता अभियान को संचालित करने के लिए अपने खुद के खेतों में पौधों की नर्सरी खोली हुई है। अपने खेतों में बांज, बुरांश कि पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं। और फिर लोगों के सहयोग से पहाडों पर लगा आते हैं। पिछले चार-पांच सालों में उन्होंने 30,000 से अधिक बांज के पेड़ लगा चुके हैं। वे मानते हैं कि पहाड़ में नौलों-धारों के सूखने की एक वजह उनके जलागम/ केचमेंट क्षेत्रों में वृक्षों का कटान भी है। इसलिए वे जलागम क्षेत्रों में बांज, बुरांस का पौधरोपण कर जलस्तर बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। 

"चंदन नयाल के बनाए चाल-खाल"

चन्दन नयाल का काम पौधारोपण, चाल-खाल निर्माण के अलावा रोजाना पर्यावरण का पाठ पढ़ाने का भी है। अपनी टीम के साथ रोजाना या दूसरे-चौथे, वह किसी न किसी गांव में पहुंचते हैं और फिर गांव के लोगों के साथ पर्यावरण, पौधारोपण, जल संरक्षण के महत्व पर संवाद करते हैं। पिछले 4 साल की अवधि में 109 स्कूलों में जाकर बच्चों को पर्यावरण का पाठ पढ़ाने के साथ ही प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करा चुके हैं।

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading