माइक फ्लड सॉफ्टवेयर का उपयोग करके जलाशय के तटबंध की विफलता के लिए बाढ़ शमन योजना

28 Feb 2020
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माइक फ्लड सॉफ्टवेयर का उपयोग करके जलाशय के तटबंध की विफलता के लिए बाढ़ शमन योजना
माइक फ्लड सॉफ्टवेयर का उपयोग करके जलाशय के तटबंध की विफलता के लिए बाढ़ शमन योजना

सारांश

बांध के विफलताओं के परिणामों से सार्वजनिक जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा महत्त्वपूर्ण हो गई है क्योंकि बांध की आपदाओं के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या निवास करती है। बांध स्थलों की असहज स्थलाकृति के कारण तथा कुछ अभिप्रेत उपयोगों के लिए पानी के भंडारण और आपूर्ति के लिए कृत्रिम जलाशय को विकसित किया जाता है। ये जलाशय आम तौर पर आकार में विशाल होते हैं, पानी की काफी मात्रा को संग्रह करते हैं और इनसो नदी के नीचे की ओर बाढ़ का जोखिम बनता है ज¨ अन्यथा सुरक्षित थे। जलाशय तटबंध की विफलता का उपचार बांध की विफलता के समान है। विफलताओं के मामले में सरंचनाअ¨ की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संगठन निवारक उपायों की ऐसी योजना बनाते है ताकि नदी के निचले बहाव क्षेत्र में रहने वाली आबादी के जीवन और सम्पत्ति को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। बांध/तटबंध की विफलता के कारण बाढ़ की सीमा, परिमाण और बाढ़ के समय का पूर्व आकलन, बाढ़ उपचार उपायों की योजना बनाने में महत्त्वपूर्ण रूप से सहायक होता है। इसके अलावा, ये सूचनाएं विफलता के समय निचले क्षेत्र में रहने वाली आबादी को बाढ़ की चेतावनी जारी करने में मदद करते हैं। हालांकि, इन प्राचालों का विश्लेषण करना और आपदा के समय बाढ़ के संभावित आप्लावन एवं चेतावनी समय की सीमा को निर्धारित करना काफी कठिन है। इसलिए, एक काल्पनिक बांध भंग/तटबंध की विफलता की स्थिति का अनुकार करके इन मापदंडों का पूर्व निर्धारण किया जाता है। इस पत्र में कर्नाटक में एक प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठान के पास मानव निर्मित एक जलाशय की तटबंध की विफलता के मामले को अध्ययन किया गया है। अध्ययन में बाढ़ के विभिन्न परिदृश्यों की पहचान, ब्रीच प्राचलों का आकलन, का निदर्शन तथा नदी के नीचे की ओर बहाव का मर्गाभिग्मन कर अधिकतम बाढ़ आप्लावन एवं इसके समय की गणना की गई है।

मुख्य शब्दः बांध-भंग बाढ़, माइक फ्लड, आपातकालीन कार्य योजना

Abstract

Protection of the public lives and properties from the consequences of dam failures has become important as population have concentrated in areas vulnerable to dam break disasters. Due to unfavorable site condition, artificial reservoir is developed for storage and supply of water for some intended use. These reservoirs are generally huge in size, impounds significant amount of water and imposes flood risk in its downstream reaches which were otherwise safer. The treatment of reservoir embankment failure is similar to the dam failure. The organizations responsible for the safety of the structure plan for preventive measures in case of failures so that damages to the lives and properties of the population living in the downstream area may be minimized. The prior assessment of extent, magnitude and time of flooding due to failure of dam/ embankment are the important input in planning for flood preparedness measures. Further, these inputs help in issuing flood warning to the downstream population at the time of failure. However, it is quite difficult to conduct analysis and determine the warning time and extent of inundation at the time of disaster. Therefore, pre-determination of these parameters is done by simulating a hypothetical dam break/ embankment failure situation. The paper discusses the case study of failure of embankment of a man made reservoir near a major industrial set up in Karnataka. The study envisages the identification of various scenarios of flooding, estimation of breach parameters, modelling of dam break flood and its routing in the downstream reach to compute the maximum flood inundation and its time of occurrences.

Key words: dam break flood, MIKE FLOOD, emergency action plan

परिचय

जान-माल की क्षति के कारण बांध की विफलता एक गंभीर चिंता का विषय है। यहां तक कि इसमें, बांध से नीचे की ओर आवासीय विस्तार और विकासात्मक गतिविधियों के कारण तथा संसाधनों और बाढ़ से सुरक्षा की भावना में वृद्धि के कारण डिजाइन चरण में की गई परिकल्पना से, अधिक नुकसान हो सकता है। तूफान से उत्पन्न बाढ़, बांध-भंग बाढ़ इस अर्थ में अलग है कि यह शायद ही आपातकालीन कार्रवाई के लिए कोई प्रतिक्रिया का समय देती है। संग्रहीत जल की अचानक और अनियंत्रित रिहाई, आमतौर पर विनाशकारी जलवायु संबंधी घटनाओं के साथ मेल खाना, बाढ़ की तीव्रता को बहुत उच्च स्तर तक बढ़ाता है और इस तरह पानी नीचे की ओर व्यापक क्षेत्र में फैलता है, जिससे सामान्य वर्षा से उत्पन्न बाढ़ की तुलना में नुकसान बहुत अधिक होता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय और आर्थिक हितों पर अतिवादी कार्रवाइयों में वृद्धि के साथ, आपातकालीन कार्य योजनाएं पूर्व अपेक्षित हैं। इस तरह की योजनाओं में बांध की विफलताओं के विभिन्न परिदृश्यों के तहत बाढ़ आप्लावन क्षेत्र को दर्शाने वाले मानचित्र शामिल हैं। यह संभावित नुकसान का अनुमान लगाने में मदद करते है। इसमें बाढ़ का स्तर और उसके उत्पन्न होने का समय भी शामिल है। ई. ए. पी. के महत्त्वपूर्ण घटकों में आपातकालीन बचाव योजना, संचार लिंक आदि के अलावा आवासीय, सम्पत्ति और अन्य बुनियादी ढाचों का सतत हल शामिल है। काल्पनिक बांध भंग विश्लेषण संभावित बाढ़ क्षति की भविष्यवाणी करने और अग्रिम में आपातकालीन कार्य योजना (ई.ए.पी.) तैयार करने के लिए किया जाता है। इस तरह का विश्लेषण न केवल मौजूदा और पुराने बांधों के लिए बल्कि प्रस्तावित बांधों के लिए भी अनिवार्य है (MoEF, 2015)।

एक पूर्ण बांध भंग विश्लेषण में जल विज्ञान, हाइड्रोलिक, पर्यावरण और भू-तकनीकी और संरचनात्मक मानकों जो बांध और बाढ़ आप्लावन क्षेत्र से संबंधित है, पर संतुलित रूप से विचार किया जाता है। समय पर निर्भर बाढ़ की लहरों का प्रसार तथा एक टूटे हुए बांध से नीचे की ओर बहाव का आंकलन करना अत्यंत जटिल है। इसके लिए जलाशय के विभिन्न प्राचलों और बांध एवं बांध भंग के अभिलक्षणों की आवश्यकता होती हैं। इसके अलावा, बाढ़ मैदानी क्षेत्र में बाढ़ की लहर का निर्धारण अन्य कारकों द्वारा किया जाता है जैसे भूभाग और सतहों में गतिशील भिन्नता, भूमि उपयोग परिवर्तन का प्रभाव आदि, इनमें से कई का गणितीय मॉडल में अनुप्रयोग मुश्किल है। संभावित अधिकतम बाढ़ (पी.एम.एफ.),जो प्राकृतिक परिस्थितियों में बांध की विफलता का सबसे सामान्य कारण है, के पुनर्मूल्यांकन के अलावा बांध की विफलता के लिए अग्रणी विभिन्न परिदृश्यों को विकसित करके बांध भंग बाढ़ का अनुकार किया जाता है। स्पिलवेज की अपर्याप्त क्षमता पी.एम.एफ. के अनुमानित प्रवाह को प्रवाहित करने में असमर्थ हो सकती है जिसके कारण ओवरटोप की स्थिति के कारण बांध भंग होता है। बांध की विफलता के अन्य संभावित कारणों में भूकंप से प्रेरित संरचनात्मक विफलता, उपकरण विफलता, आपराधिक कार्रवाई, तोड़-फोड़ आदि शामिल हैं (सी.डब्लू,सी.,2006, ई.ए.पी.)।

तरल गतिकी गणनाओं (सी.एफ.डी.) की विधियों में प्रगति और नवीन तकनीकों जैसे; भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) और उपग्रह चित्र, की उपलब्धता से कुछ कठिनाइयों को सफलतापूर्वक हल किया गया है। बांध भंग विश्लेषण के लिए कई प्रयोगात्मक, विश्लेषणात्मक और संख्यात्मक मॉडल विकसित किए गए हैं। संगणक सहायता प्राप्त संख्यात्मक मॉडल जैसे DAMBRK (Fread 1988), SMPDBK (Wetmore and Fread 1991),CADAMBRK (Liong et al- 1991), NWS FLDWAV(Fread, 1993), HEC RAS (USACE, 2006),BOSS DAMBRK (Kho, 2009), and MIKE 11 (DHI, 2004) आदि उनकी उच्च कम्प्यूटेशनल गति और दक्षता के कारण दुनिया भर में व्यापक रूप से सफलतापूर्वक उपयोग किए गए है। अधिकांश डैम ब्रेक विश्लेषण अध्ययन एक आयाम मॉडल का उपयोग करके किया गया है। NWS DAMBRK मॉडल का इस्तेमाल बारना बांध, मध्य प्रदेश, भारत (रा.ज.वि.,1997), घोड़ाहोदा परियोजना ओडिशा, भारत (रा.ज.वि., 2000) तथा यमुना नदी पर प्रस्तावित बांध, भारत (लोधी और अग्रवाल, 2012) के बांध भंग विश्लेषण के लिए किया गया है। BOSS DAMBRK मॉडल का उपयोग गेरुगु नदी मलेशिया ( Kho et al, 2009) पर प्रस्तावित बांध के बांध भंग विश्लेषण का अध्ययन करने के लिए किया गया था। HEC RAS मॉडल का उपयोग ओरो डैम ब्राजील (Gee, 2008), चीन की हान नदी पर डैनजियांगकौ और याहाकौ बांध भंग (Minglong and Jayawardena, 2008) और सेंटर कंट्री, पी ए, यू एस ए में फोस्टर जोसेफ लेटर्स बांध (Xiong,2011) पर किया गया है। SMPDBK मॉडल का उपयोग सेंटर कंट्री,। PA यूएसए (Shahraki et al-, 2012) में फोस्टर जोसेफ सेयर्स बांध के बांध भंग विश्लेषण के लिए किया गया है। माइक 11 मॉडल का उपयोग बिचोम और टेंगा बांध (Husain and Rai, 2000), बफ़ेल क्रीक डैम, नॉर्थ कैरोलिना, यू एस ए (Tingsanchali and Chinnarasri, 2001), इंद्र सागर और ओंकारेश्वर परियोजना, भारत (Pillai et al-, 2012) तथा हीराकुंड बांध, भारत (Mohite et al-, 2014) के बांध भंग विश्लेषण के लिए किया गया है। एक आयाम मॉडल उपयोग करने में सरल है तथा प्रवाह विशेषताओं के बारे में जानकारी प्रदान करने में सक्षम है परन्तु प्रवाह क्षेत्र के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने में विफल रहता है। इसलिए, बाढ़ के प्रवाह की दो आयाम प्रकृति को मॉडल करने का प्रयास किया गया है। भंगता विकास और भंगता प्रवाह का वर्णन करने के लिए एक आयामी उपागम का उपयोग किया गया है और आप्लावित क्षेत्रों में बाढ़ के प्रवाह की भविष्यवाणी करने के लिए दो आयामी उपागम का उपयोग किया गया है। इस पत्र में, कर्नाटक में एक प्रमुख औद्योगिक शहर के नजदीक कच्चे पानी के भंडारण जलाशय के तटबंध की विफलता के एक परिदृश्य के अध्ययन पर चर्चा की गई है। जलाशय तटबंध की विफलता का उपचार बांध की विफलता के समान है। बांध/तटबंध की विफलता के कारण बाढ़ की सीमा, परिमाण और बाढ़ के समय का पूर्व आकलन, बाढ़ रोकथाम उपायों की योजना बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, ये सूचनाएं भंगता के समय बांध स्थल से नीचे की ओर आबादी को बाढ़ की चेतावनी जारी करने में मदद करते हैं। अध्ययन में बाढ़ के विभिन्न परिदृश्यों की पहचान, भंगता प्राचालों का आकलन, बांध भंग बाढ़ का निदर्शन तथा नीचे की और प्रवाह का मार्गाभिग्मन कर अधिकतम बाढ़ आप्लावन और इसके उत्पन्न होने के समय की गणना का प्रयास किया गया। कच्चे पानी के जलाशय के तटबंध की विफलता को माइक 11 में अनुकारित किया गया है जबकि नीचे की ओर आप्लावन मानचित्रण को माइक फ्लड में किया गया है माइक फ्लड गतिशील रूप से दो स्वतंत्र सॉफ्टवेयर पैकेजों अर्थात माइक 11 (1-डी) और माइक 21 (1-डी) को जोड़ता है। माइक 11 एक परिमित अंतर स्कीम के द्वारा सेंट-वेनेंट समीकरणों को हल करता है। तटबंध की विफलता को ‘‘बांध भंग’’ संरचना के माध्यम से विफलता को निदर्शित किया जा सकता है। भंगता में वृद्धि को भंगता की चौड़ाई, शिखा स्तर और साइड प्रवणता के लिए समय श्रेणी द्वारा वर्णित किया जा सकता है। माइक 21 का ‘‘क्लासिक’’ संस्करण एक आयताकार ग्रिड का उपयोग करता है और एक सीमित अन्तर स्कीम के माध्यम से उथले पानी के समीकरणों को हल करता है। नीचे की ओर के प्रवाह के फैलाव के लिए, 10 मीटर ग्रिड आकार की बैथिमेट्री बाढ़ मैदानी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है। महत्त्वपूर्ण स्थानों पर अधिकतम बाढ़ का स्तर और इसके उष्म का समय और बाढ़ की चेतावनी का समय अनुमानित किया गया है। बाढ़ के विभिन्न मामलों के लिए अधिकतम बाढ़ आप्लावन की गणना भी की गई है।

अध्ययन क्षेत्र

कर्नाटक में विजयपुरा (जिसे पहले बीजापुर के नाम से जाना जाता था) जिले के बसावना बागेवाड़ी तालुक में एक थर्मल पावर प्लांट प्रस्तावित है, जो भारत के दक्षिणी राज्य के हीरे हॉल नाला में कृष्णा नदी की एक छोटी सहायक नदी पर स्थित है। प्लांट स्थल से लगभग 18 किमी की दूरी पर कृष्णा नदी में अल्माटी बांध से पाइप-लाइन के माध्यम से संयंत्र के लिए पानी की आवश्यकता को पूरा किया जाएगा। तदनुसार, 336 एकड़ के क्षेत्र में फैले कच्चे पानी के एक जलाशय की योजना बनाई गई है जहां संयंत्र के अन्य उपयोग के लिए पानी को संग्रहित किया जाएगा। 575.5 मीटर के पूर्ण जलाशय स्तर पर 10.5 एम सी एम की क्षमता के साथ चारों ओर तटबंधों के निर्माण द्वारा जलाशय का निर्माण किया जाएगा। हीरे हॉल नाला, कच्चे पानी के जलाशय के उत्तर पूर्व तटबंध के साथ प्रवाहित होने वाले क्षेत्र में प्राकृतिक जल निकासी को चित्र में दिखाया गया है। जलाशय क्षेत्र के भीतर ऊंचाई आर एल 575 मीटर से आर एल 560 मीटर तक पाई जाती है। नदी पर सर्वेक्षण किए गए अनुप्रस्थ अनुभाग के अनुसार, अल्मट्टी बांध के संगम से जलाशय स्थल के बीच निकासी की औसत प्रवणता 2.78 मीटर/किमी गणना की गई है। हीरे हॉल नाला निकासी के लिए नीचे की ओर महत्त्वपूर्ण बस्ती में गोल्सांगी (आर एल 551.3 मीटर), बुदनी (आर एल 549.6 मीटर), बीराल्डिनी (आर एल 544.9 मीटर), हंसीहाल (आर एल 528 मीटर), गुदादिनी (आर एल 537.5 मीटर) और वंदना (आर एल 532 मीटर) शामिल हैं। बीजापुर जिले को अत्यंत ग्रीष्म के साथ साथ अर्ध-शुष्क क्षेत्र में वर्गीकृत किया जा सकता है। क्षेत्र की औसत तापमान भिन्नता 200C Lks 420C के बीच है। सबसे ठंडा महीना दिसंबर ओर जनवरी में होता है। (CGWB, 2008)। बीजापुर जिले की औसत वर्षा 578 मिलीमीटर है। अधिकतम वर्षा सितंबर माह में उसके पश्चात अक्टूबर माह होती है। सितंबर माह में एक दिन में सबसे अधिक वर्षा 149.2 मिलीमीटर और फरवरी माह में न्यूनतम वर्षा 3.4 मिलीमीटर रिकार्ड की गई थी। बीजापुर जिले में सामान्य वर्षा दिवस 36.5 से 39.5 दिन तक होते हैं। (CGWB, 2008)। दक्षिण पश्चिम मानसून मुख्य वर्षा का मौसम है जो कुल वर्षा का 80% योगदान देता है, जबकि कुल वर्षा का 12% मानसून के बाद की अवधि में प्राप्त होता है। ग्रीष्म ऋतु में कुल वार्षिक वर्षा का 7% वर्षा होती है जबकि सर्दियों का मौसम (जनवरी से फरवरी) में कुल वर्षा का 1% से कम योगदान देता है (KSPCB,2012)। जलाशय स्थल पर जमीन की ऊंचाई आर एल 560 मीटर से आर एल 570 मीटर तक और बांध के शिखर पर आरएल 577 मीटर है। इसलिए, तटबंध की ऊंचाई इनसे 7.5 मीटर से 17.5 मीटर तक अधिक है। आरएल 575 मीटर के पूर्ण जलाशय स्तर (एफ आर एल) पर जलाशय की गणना की क्षमता 10.5 एम सी एम है। इसलिए एफ आर एल पर स्थिर ऊंचाई और सकल भंडारण के मानदंडों के आधार पर, बांध को छोटे बांध के रूप में श्रेणीगत किया गया है, जिसके लिए बांध की सुरक्षा के लिए अंतःप्रवाह अभिकल्प बाढ़ को 100-वर्ष की वापसी अवधि बाढ़ के रूप में निर्दिष्ट किया गया है (आईएसः 11223-1985)। CWPRS, 2013 ने बाढ़ अध्ययन किया है और 100 साल के रिटर्न पीरियड बाढ़ का आंकलन किया जिसको इस अध्ययन में उपयोग किया गया है। बांध विवरण जैसे बांध का प्रकार, निर्माण सामग्री और प्रकार, बांध और जलाशय के डिजाइन विवरण, बांध स्थल पर नदी तल का स्तर, बांध के शीर्ष की ऊंचाई आदि परियोजना प्राधिकरण से प्राप्त किए गए हैं। तटबंध के लिए सामग्री संकुचित मिट्टी का उपयोग किया गया है। तटबंध का शीर्ष स्तर आर एल 577.0 मीटर है जबकि जलाशय का एफ आर एल, आरएल 575 मीटर है। जलाशय क्षेत्र के लिए कंटूर आंकड़ों से जलाशय के लिए उन्नयन क्षमता वक्र की गणना की गई है। जलाशय क्षेत्र का कंटूर नक्शा आर्क जी आई एस का उपयोग करके तैयार किया गया है। अध्ययन में हीरे हॉल नाला के लिए 17.3 किलोमीटर लम्बाई पर 100 मीटर के अंतराल पर अनुप्रस्थ अनुभाग आंकड़ों का उपयोग किया गया है। अध्ययन क्षेत्र का डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डी ई एम) को क्षेत्र सर्वेक्षण आंकड़ो, भारतीय सर्वेक्षण विभाग की टोपो शीट्स, कंटूर और स्पॉट स्तरों का उपयोग करके विकसित किया गया है। इन सभी उन्नयन आंकड़ों को यू टी एम कोर्डिनेट में आर्क जी आई एस में आयात कर 30 मीटर ग्रिड आकार पर क्षेत्र उत्पन्न किया गया जिसको चित्र 2 में दिखाया गया है।

कार्य विधि

तटबंध के टूटने और वर्षा से प्रेरित प्रवाह से हीरे हॉल नाला में बाह्य प्रवाह को में माईक 11 में निदर्शित किया गया है। बाढ़ मैदान क्षेत्र को ग्रीडेड डीईएम के माध्यम से प्रतिरूपित किया गया है और माईक 21 मॉडल में इसका उपयोग किया गया है जो बाढ़ मैदानी क्षेत्र में नदी तट से सतही प्रवाह एवं स्पिल तथा इसके विपरीत को अनुकारित करता है। माईक 21 मॉडल को माईक 11 मॉडल से गतिशील रूप से एकल पैकेज में जोड़ा गया है, जिसको माईक फ्लड के नाम से जाना जाता है और बाढ़ के अध्ययन के लिए व्यापक रूप से इसका उपयोग किया जाता है। माईक 11 में शासी समीकरण 1-डी (एक आयामी) और उथले पानी के प्रकार हैं, जो कि मूल सेंट-वेन्ट समीकरणों का संशोधित रूप हैं। ये निहित परिमित अंतर समीकरणों के एक सेट में बदल जाते हैं, और डबल स्वीप एल्गोरिथ्म का उपयोग करके इनको हल किया जाता है। वर्तमान सेटअप में समय पाद को बहुत कम अर्थात 10 सेकंड रखा गया है क्योंकि dx मान बहुत बड़ा अर्थात 200 मीटर है। 1 जनवरी 2015 को 08:00 बजे से 4 जनवरी 2015 को 12:00 बजे तक 3 दिनों की अवधि के लिए सिमुलेशन किया गया है। ये तिथियां काल्पनिक हैं। 30 मीटर ग्रिड डी ई एम से बैथीमीट्री तैयार की गई है। खेती की गई परिपक्व फसलों के लिए रूढ़िवादी मूल्यों पर विचार करते हुए बाढ़ मैदान क्षेत्र के लिए मैनिंग की खुरदरापन को 0.05 के रूप में निर्दिष्ट किया गया है (आइ एसः 2912,2004 )। कम्प्यूटेशनल टाइम स्टेप (Δt) अलग-अलग सिमुलेशन के लिए 2 सेकंड के निचले मान पर सेट है। हीरे हॉल नाला के साथ माईक 11 मॉडल को माईक 21 के साथ युग्मन के लिए पाश्र्व लिंक का उपयोग किया गया है। कच्चे पानी के जलाशय के तटबंध में भंग स्थान को माईक 21 ग्रिड के साथ जोड़ने के लिए मानक लिंक का उपयोग किया गया है।

 चित्र 2: अध्ययन क्षेत्र का डी ई एम चित्र 2: अध्ययन क्षेत्र का डी ई एम

बांध भंग बाढ़ विश्लेषण

कच्चे पानी के जलाशय से अल्माटी जलाशय (लगभग 17.6 किमी के एक खंड) तक हीरे हॉल नाला का माईक 11 में अनुकार किया गया है। जलाशय के हिस्से के लिए एक अलग शाखा बनाई गई है और तटबंध पर ब्रीच स्थान को इसके मध्य बिंदु पर परिभाषित किया गया है। तटबंध तब विफल हो जाता है जब कच्चा जल भंडार 577 मीटर के एफ आर एल पर होता है और हीरे हॉल नाला के नीचे का जल स्तर 519.6 मीटर (यानी अल्माटी बांध का एफ आर एल) के स्थिर जल स्तर पर होता है। उल्लंघन एफ आर एल यानि आर एल 577 मीटर से ब्रीच शुरू होती है और ट्रेपोजॉइडल आकार में विकसित होती है और खंड का निचला भाग एक घंटे की अवधि में आर एल 559.5 मीटर के निम्नतम स्तर पर आ जाता है। ब्रीच मापदंडों को तालिका 1 में परिभाषित किए गए हैं।

ब्रीच बाह्य प्रवाह की गणना NWS DAMBRK समीकरण का उपयोग करके की जाती है। प्रवाह अनुकरण 1/1/2015 को 8:00:00 बजे शुरू होता है, जबकि भंगता 1/1/2015 को 5:00:00 बजे विकसित होना शुरू होती है, जो कि 100 वर्ष के रिटर्न पीरियड बाढ़ के चरम के साथ मेल खाता है। ब्रीच का समय यानी ब्रीच के शुरू होने की अवधि तथा अंतिम ब्रीच के आकार के पूर्ण विकास के लिए 1 घंटा माना जाता है। नदी के प्रवाह को 1 /4/2015 को 2:00:00 बजे तक अनुकारित किया जाता है ताकि जलाशय से अधिकतम पानी का बहिर्वाह हो सके और डाउन स्ट्रीम में अधिकतम आप्लावन की गणना की सके।

तालिका 1- ब्रीच मापदंडों का विवरण

ब्रीच समय  ¼sec½

ब्रीच Width ¼m½

ब्रीच स्तर ¼MSL½

ब्रीच प्रवणता

0

0

577

1

1800

35

570

1

3600

46

560

1

6566400

46

559&5

1

पूर्व परियोजना और परियोजना के बाद के परिदृश्य सहित बाढ़ के विभिन्न मामलों पर अध्ययन में विचार किया गया है। पूर्व परियोजना परिदृश्य (केस-1) में, हीरे हॉल नाला केवल डिजाइन बाढ़ (100-वर्ष की वापसी अवधि बाढ़) को विचार किया गया है। परियोजना के बाद के परिदृश्य में, दो बाढ़ परिदृश्य पर विचार किया गया है; सबसे पहले (केस-2), तटबंध के टूटने से पृथक बाढ़ और दूसरा (केस-3), हीरे हॉल नाला में अभिकल्प बाढ़ तथा तटबंध की विफलता के कारण बाढ़ के संयोजन से बाढ़। अनुकार के सभी मामलों में तटबंध की भंग विफलता को एफआरएल के तहत माना जाता है और अल्माटी बांध पर नीचे की ओर बहाव की सीमा स्थिति अल्माटी बांध का एफआरएल यानी 519.6 मीटर है। विभिन्न डाउनस्ट्रीम वर्गों में बाढ़ हाइड्रोग्राफ का क्षीणन चित्र 3 में दिखाया गया है।

 चित्र 3 परिदृश्य-1, परिदृश्य-2 और परिदृश्य-3 के बाढ़ परिदृश्य के लिए विभिन्न डाउनस्ट्रीम पर हाइड्रोग्राफ चित्र 3 परिदृश्य-1, परिदृश्य-2 और परिदृश्य-3 के बाढ़ परिदृश्य के लिए विभिन्न डाउनस्ट्रीम पर हाइड्रोग्राफ

ब्रीच मापदंडों की संवेदनशीलता

ऐतिहासिक बांधों की विफलता की घटनाओं और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा किए गए वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर तकनीकी दिशानिर्देशों के आधार पर ब्रीच मापदंडों का चयन किया जाता है। विभिन्न निर्माण तकनीकों और कारीगरी और अन्य अप्रत्याशित स्थितियों सहित कई कारणों से ब्रीच पैरामीटर आंकलनों में अनिश्चितता रहती है। बांध की विफलता के कारण बाढ़ का शिखर ब्रीच मापदंडों से अत्यधिक प्रभावित होता है और विभिन्न ब्रीच मापदंडों के संयोजन से प्रभावित होता है। इसलिए, व्यक्तिगत ब्रीच पैरामीटर की संवेदनशीलता को तीन ब्रीच मापदंडों अर्थात ब्रीच की चौड़ाई, ब्रीच के साइड-स्लोप और ब्रीच के समय के लिए संवेदनशीलता विश्लेषण कर किया जाता है। संवेदनशीलता विश्लेषण में, ब्रीच आउटफ्लो की गणना एक पैरामीटर को एक समय में विविधता कर की जाती है, जबकि अन्य मापदंडों को नियत रखा जाता है। 50 मीटर, 70 मीटर और 100 मीटर की ब्रीच चौड़ाई के लिए ब्रीच चौड़ाई संवेदनशीलता विश्लेषण किए गए हैं। इसी प्रकार, ब्रीच समय की संवेदनशीलता का मूल्यांकन ब्रीच के समय को 0.5 घंटा, 1 घंटा और 2 घंटे विविधता करके किया गया है। विभिन्न ब्रीच मापदंडों की संवेदनशीलता को चित्र 4 में दिखाया गया है।

 चित्र 4- ब्रीच मापदंडों की संवेदनशीलता चित्र 4- ब्रीच मापदंडों की संवेदनशीलता

अधिकतम बाढ़ स्तर

माईक फ्लड में जल की गहराई की गणना को ग्रिडड रूप में किया जाता है। बाढ़ के विभिन्न मामलों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थानों पर अधिकतम बाढ़ स्तर निकाला गया है। जलाशय की डाउनस्ट्रीम में महत्त्पूर्ण आवासीय स्थान गोल्सांगी, बुदनी, बिरलनंदिनी, हंसीहाल, गुडडनी और वंडल, जिन पर बाढ़ के विभिन्न मामलों के लिए अधिकतम बाढ़ उद्विक्षेप की गणना की गई है जिसको तालिका 2 में दिखाया गया है। अधिकतम बाढ़ स्तर की घटना के समय को ब्रैकेट के भीतर दिखाया गया है। परिदृश्य-1 के लिए जिसमें कैचमेंट में डिजाइन बाढ़ के कारण अधिकतम बाढ़ का अनुकार किया गया है, हीरे हॉल नाला में डिजाइन बाढ़ के लागू होने के बाद से अधिकतम बाढ़ के समय की गणना की जाती है। परिदृश्य-2 के लिए अधिकतम बाढ़ (बांध टूटने के कारण बाढ़ को अनुकारित किया गया है) और परिदृश्य-3 (परिदृश्य-1 और परिदृश्य-2 का संयोजन) ब्रीच के आरम्भ के बाद से गणना की जाती है। इसके अलावा, तालिका बाढ़ के विभिन्न मामलों के लिए अधिकतम बाढ़ आप्लावन को भी दर्शाती है। तटबंध की विफलता और डिज़ाइन के आधार पर कैचमेंट में बाढ़ के कारण संयुक्त बाढ़ के लिए अधिकतम बाढ़ की उद्विक्षेप गोलेसांगी के पास 548.54 मीटर है, जबकि यह 977 हेक्टेयर क्षेत्र को आप्लावित करता है।

तालिका 2-  महत्त्वपूर्ण स्थानों पर विभिन्न परिदृश्यों  के लिए अधिकतम बाढ़ उद्विक्षेप

परिदृश्य

अधिकतम

आप्लावन

क्षेत्र ;हे. में)

महत्त्वपूर्ण स्थानों पर अधिकतम बाढ़ उद्विक्षेप

गोल्सांगी

ब्दुगी

बिराल्नान्दिनी

हुन्सिहाल

गुदादिनी

वाण्डल

परिदृश्य 1

64

 

547.57

(1 hr 16 m)

541.34

(1 hr 31 m)

534.95

(1 hr 42 m)

527.35

(2 hr 10 m)

523.72

(2 hr 26 m)

521.5

 

परिदृश्य 2

785

 

547.14

(1 hr 11 m)

541.34

(1 hr 18 m)

535.09

(1 hr 34 m)

529.31

(1 hr 52 m)

526.23

(2 hr 5 m)

524.25

 

परिदृश्य 3

977

 

548.54

(1 hr 10 m)

542.7

(1 hr 17 m)

536.75

(1 hr 29 m)

530.29

(1 hr 42 m)

527.29

(1 hr 54 m)

525.32

 

 

(ब्रैकेट में समय महत्वपूर्ण स्थानों के पास शिखर बाढ़ के आगमन का समय दर्शाता है)

आपदा प्रबंधन योजना

आपदा के दौरान आपातकालीन कार्य योजना तैयार करने के लिए बाढ़ का अधिकतम स्तर, बाढ़ की अवधि और बाढ़ का समय महत्त्वपूर्ण है। तालिका 2 से पता चलता है कि परिदृश्य-3 के कारण अधिकतम बाढ़ आ गई है। परिदृश्य-3 के लिए अधिकतम आप्लावन क्षेत्र को गूगल अर्थ पर देखा जाता है जहां क्षेत्र का विस्तृत विवरण उपलब्ध है। अवरलैड आप्लावन मानचित्र आपातकाल योजना बनाने में सहायक होगा। आप्लावन मानचित्र को महत्त्वपूर्ण स्थानों के आस-पास जूम (बड़ा) किया जाता है जिससे सड़क नेटवर्क के साथ-साथ आप्लावन क्षेत्र को भी देखा जा सकता है। चित्र 5 में गोल्सांगी, बुदनी, बिरलनंदिनी और हनिशाल के पास जलप्रलय को दिखाया गया है। इन क्षेत्रों से आपातकालीन निकासी को निकटतम राजमार्ग और रेलवे लाइन और अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि एलिवेटेड एग्जिट रोड (बाढ़ से मुक्त) द्वारा सभी प्रभावित क्षेत्रों में कुछ ही मिनटों में पहुंचा जा सकता है जबकि बाढ़ के परिदृश्य के सभी मामलों के लिए 1 घंटे की न्यूनतम चेतावनी का समय उपलब्ध है (तालिका 2)। इसलिए, हीरे हॉल नाला के साथ भोंपू जैसा उपयुक्त बाढ़ चेतावनी प्रसार तंत्र पर्याप्त रूप से काम कर सकता है। इसके अलावा, इन बस्तियों को इन स्थानों पर एक दीवार के निर्माण से बाढ़ से बचाया जा सकता है। इन स्थानों पर अधिकतम बाढ़ स्तर तालिका 2 से प्राप्त किया जा सकता है जो निर्धारित मुक्त बोर्ड के साथ बाढ़ की दीवार/तटबंध के शीर्ष को परिभाषित करेगा।

 निष्कर्ष

इस अध्ययन में बाढ़ के परिदृश्य के तीन मामलों का अनुकरण किया गया है; (क) डिजाइन के आधार बाढ़, (ख) बांध टूटने के कारण बाढ़ और (ग) ‘क’ और ‘ख’ का संयोजन से बाढ़। परिदृश्य-1, परिदृश्य-2 और परिदृश्य-3 के लिए अधिकतम बाढ़ आप्लावन क्रमशः 644 हेक्टेयर, 785 हेक्टेयर और 977 हेक्टेयर है। परिदृश्य-3 बाढ़ का सबसे गंभीर परिदृश्य है, जिससे अधिकतम आप्लावन होता है। बाढ़ के नक्शे को गूगल अर्थ पर दिखाया जाता है जहां विस्तृत परिवहन नेटवर्क और अन्य सुविधाओं को देखा जा सकता है। इन मानचित्रों का उपयोग बाढ़ आपदा के दौरान आपातकालीन निकास योजना बनाने के लिए किया जा सकता है।

References

  • CWC EPA 2006. Guidelines for Development and Implementation of Emergency Action Plan (EAP) for Dams, Central Water Commission, New Delhi.
  • Fread DL 1988. The NWS DAMBRK model-Theoretical background/ user documentation. Hydrology Research Laboratory, Office of Hydrology, National Weather Service (NWS), NOAA, Silver Spring, Maryland.
  • Fread DL 1993. NWS FLDWAV Model-The replacement of DAMBRK for dam break flood prediction. Hydrology Research Laboratory, Office of Hydrology, National Weather Service (NWS), NOAA, Silver Spring, Maryland.
  • USACE 2006. HEC-RAS River Analysis System, User’s Manual Version 4.0 Beta, Hydrologic Engineering Center, US Army Corps of Engineers.
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