मौसम का पूर्वानुमान

11 Feb 2011
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मौसम का हमारे दैनिक जीवन से गहरा संबंध है। हर कोई यह जानना चाहता है कि आने वाले दिनों में मौसम कैसा होगा। इन बातों के बावजूद खराब मौसम या अचानक बारिश होने के बाद भी छुट्टी कौन चाहेगा? लेकिन ऐसा नहीं है कि स्थानीय मौसम कार्यालय द्वारा किया गया मौसम संबंधी पूर्वानुमान सदैव सही हो। वास्तव में मौसम पूर्वानुमान काफी समय से हंसी का विषय बना हुआ है जिसके कारण वर्तमान में अनेक लोग पूर्वानुमानों के प्रति गंभीर नहीं होते हैं। मौसम पूर्वानुमानों की अनिश्चितता के चलते लोगों के दिमाग में इससे संबंधित कई प्रश्न उठते हैं जैसे; मौसम का सही-सही अनुमान क्यों नहीं लगाया जा सकता? मौसम पूर्वानुमान कैसे किया जाता हैं? इस अध्याय में हम इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश करेंगे।

मौसम पूर्वानुमान द्वारा अगामी घंटों, आने वाले दिनों या अगले सप्ताह में संभावित मौसम की भविष्यवाणी की जाती है। मौसम का अध्ययन करते हुए मौसम संबंधी भविष्यवाणी करने वाले वैज्ञानिकों को मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है। वर्तमान में मौसम पूर्वानुमान के लिए मौसम वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न स्थानों पर आधारित मौसम के आंकड़ों, उपग्रह से प्राप्त चित्रों व आंकड़ों और सुपर कम्प्यूटरों का उपयोग किया जाता है, हालांकि पहले इनका उपयोग नहीं किया जाता था।

मौसम-विज्ञान का आरंभ


हजारों लोगों ने मौसम की भविष्यवाणी करने का प्रयास किया है। करीब 650 ईसा पूर्व यूनान के लोगों ने बादलों की बनावट का अनुमान लगाया था। इसके बाद करीब 340 ईसा पूर्व अरस्तू ने अपने ग्रंथ ‘मीटिरॉलॉजिका’ में मौसम की व्याख्या की थी। चीन में भी करीब 300 ईसा पूर्व से मौसम की भविष्यवाणी संबंधी जनश्रुतियां प्रचलित रही हैं।

सामान्यतया मौसम पूर्वानुमान की प्राचीन विधियां विभिन्न घटनाओं के अवलोकन पर आधारित रही हैं। उदाहरण के लिए यदि सूर्यास्त लाल रंग के साथ होता है तब इस अवलोकन के आधार पर यह माना जाता था कि आने वाले दिनों में मौसम साफ रहेगा। मौसम संबंधी ये अनुभव मौसम के बारे में पीढ़ियों से चली आ रही जनश्रुतियों पर आधारित रहे हैं। हालांकि सभी भविष्यवाणियां विश्वसनीय साबित नहीं होती हैं और उनमें से कुछ भविष्यवाणियां तो सांख्यिकी के पैमाने पर भी खरी नहीं उतरती हैं।

कुछ लोगों को मौसम पूर्वानुमान काफी सरल लगता है। उदाहरण के लिए यदि क्षितिज में काले बादल घिर आए हों व हवा भी उसी दिशा में चल रही हो एवं हवा में अधिक नमी हो तब कुछ ही घंटों में बारिश होने की भविष्यवाणी करना आसान होता है। इसी प्रकार यदि ठंड के दिनों में बादल हों और शाम को आसमान साफ हो जाए तब रात में तापमान के तेजी से कम होने की भविष्यवाणी करना आसान हो जाता है।

बादलों को देखकर और हवा के गति के अनुसार मौसम की भविष्यवाणी करने के अलावा विज्ञान और दक्ष गणितीय अवधारणाओं पर आधारित होने के कारण आधुनिक पूर्वानुमान प्रौद्योगिकी अधिक सही साबित होती है। आज हम जिस मौसम विज्ञान को जानते हैं वह वैज्ञानिक रूप से सत्रहवीं सदी में तापमापी व वायुदाब मापी के आविष्कार होने और वायुमंडलीय गैसों के व्यवहार संबंधी नियमों के प्रतिपादन के बाद अस्तित्व में आया था। सन् 1636 में ब्रिटिश खगोलवैज्ञानिक एडमंड हैली ने भारतीय ग्रीष्म मानसून पर अपना शोध-प्रबंध प्रस्तुत किया था, जिसमें उन्होंने हवाओं की मौसमी प्रवृत्ति को एशिया क्षेत्र की भूमि और हिन्द महासागर के बीच के तापमान में अंतर के लिए ज़िम्मेदार बताया था। लेकिन इस समय तक भी मौसम पूर्वानुमान एक सपना मात्र ही था।

मौसम पूर्वानुमान के वर्तमान युग की शुरुआत सन् 1937 में टेलीग्राफ के आविष्कार के बाद से मानी जाती है। इससे पहले किसी विशाल क्षेत्र के मौसम पूर्वानुमान के लिए आवश्यक सूचनाओं को एकत्र करना संभव नहीं था। सन् 1840 के अंत तक टेलीग्राफ द्वारा किसी भी विशाल क्षेत्र की मौसमी स्थितियों को तत्काल प्राप्त करना संभव हो गया था। जिससे मौसम की सम्भावित स्थिति के बारे में पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलने लगी थी।

सन् 1922 में ब्रिटिश भौतिकविद् और मनोवैज्ञानिक लेविंस फ्राई रिचर्डसन ने संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान की सम्भावना का प्रस्ताव रखा। हालांकि उस समय पूर्वानुमान के लिए आवश्यक आंकड़ों की बहुत अधिक मात्रा में जटिल गणना करने वाले तीव्र कम्प्यूटर उपलब्ध नहीं थे। संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान का व्यवहारिक उपयोग 1955 में जब इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर का विकास हुआ तब से आरंभ माना जाता है। संख्यात्मक (न्युमेरिकल) मौसम पूर्वानुमान में वायुमंडल के गणितीय मॉडलों के उपयोग द्वारा मौसम संबंधी भविष्यवाणी की जाने लगी। वर्तमान में मौसम वैज्ञानिकों द्वारा अधिक परिशुद्ध पूर्वानुमान के लिए विशाल आंकड़ों के संग्रहण और जटिल गणनाएं करने के लिए शक्तिशाली सुपर कम्प्यूटरों का उपयोग किया जाता है।

पूर्वानुमान लगाना


मौसम पूर्वानुमान के आरंभिक चरण में मौसम और मौसमी आंकड़ों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जाती हैं। भूमि की सतह के साथ ही विश्व भर में दिन में दो बार छोड़े जाने वाले गुब्बारों की मदद से वायुमंडल के विभिन्न स्तरों से मौसम संबंधी आंकड़ों को एकत्र किया जाता है। वायुमंडल की विभिन्न ऊंचाईयों मौसमी गुब्बारों की मदद से तापमान, दाब, आर्द्रता और हवा की गति संबंधी आंकड़ों को ज्ञात किया जाता है।

वायुमंडल की विभिन्न ऊंचाईयों पर मौसमी गुब्बारों की मदद से तापमान, दाब, आद्रता और पवन गति जैसे मौसमी आंकड़े प्रतिदिन अभिलेखित किए जाते हैं।वायुमंडल की विभिन्न ऊंचाईयों पर मौसमी गुब्बारों की मदद से तापमान, दाब, आद्रता और पवन गति जैसे मौसमी आंकड़े प्रतिदिन अभिलेखित किए जाते हैं।

मौसम पूर्वानुमान में उपयोगी अन्य दूसरी तकनीक उपग्रह प्रौद्योगिकी है। उपग्रह मौसम वैज्ञनिकों को दिन के किसी भी समय बादलों का दृश्य उपलब्ध कराते हैं। अलग-अलग समय में बादलों की स्थिति के आधार पर हवा व बादलों की गति के बारे में पता लगाया जा सकता है। ध्रुवीय कक्षा में स्थापित उपग्रह वायुमंडल की विभिन्न ऊंचाइयों के तापमान और आर्द्रता संबंधी आंकड़ों को उपलब्ध कराते हैं। ये उपग्रह मौसम वैज्ञानिकों को दिनभर बादल निर्माण और उनकी हलचल के द्वारा वायुमंडल के व्यवहार के अध्ययन में सहायक सिद्ध होते हैं। अब यह संभव है कि कोई विशेष उपग्रह सागर के ऊपर चक्रवाती तूफान के बनने की गतिविधियों पर नजर रखकर उसके धरती की ओर आने के समय की भविष्यवाणी कर संभावित विपदा की अग्रिम चेतावनी दे सकता है।

वैश्विक बादल आच्छादन का इन्सेट से लिया दृश्यवैश्विक बादल आच्छादन का इन्सेट से लिया दृश्य

मौसम वैज्ञानिक मौसम पूर्वानुमान में डॉप्लर रेडार का उपयोग भी करते है। डॉप्लर रेडार में डॉप्लर प्रभाव को आधार बनाकर हवा की गति मापी जाती है। वैज्ञानिकों ने मौसम विशेषकर टॉरनेडो और हरिकेन जैसे खराब मौसम के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की हैं। डॉप्लर रेडार द्वारा न केवल बादलों में बनने वाली वर्षा और हिम बल्कि तूफान के अंदर की हवा को भी देखा जा सकता हैं।

मौसम पूर्वानुमान में बहुत अधिक संख्या में विभिन्न कारकों व उच्च-तकनीकी उपकरणों के उपयोग के शामिल होने के बाद भी मौसम की भविष्यवाणी करना आसान कार्य नहीं है, इसका एक कारण मौसम पूर्वानुमान में शामिल कारकों का समय के साथ बदलते रहना है। उदाहरणार्थ परिशुद्ध मौसम पूर्वानुमान में वायु, तापमान, वायुदाब, हवा की दिशा एवं वेग और हवा में नमी की मात्रा को किसी समय पर एक साथ हजारों स्थानों पर मापना होता है, जो अपने आप में एक बड़ा काम हैं। इतने विशाल आंकड़ों की गणना करने के लिए सुपर कम्प्यूटर की आवश्यकता होती है।

वर्तमान में सभी मौसम पूर्वानुमान कम्प्यूटर अनुरूपण पर आधारित वायुमंडल के संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडलों द्वारा प्राप्त किए जाते हैं। भौतिक और तरल गति की (फ्लुइड डाइनैमिक) को समझ कर इन एकत्रित किए गए आंकड़ों का विश्लेषण कर अगामी समय में वायुमंडल की अवस्था के बारे में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। सुपर कम्प्यूटर द्वारा समय के साथ तरल अवस्था में होने वाले परिवर्तन से संबंधित जटिल समीकरण को हल किया जाता है। कम्यूटर में आंकड़े प्रषित किए जाने पर, संख्यात्मक मॉडल के आधार पर मौसम मानचित्र पर पूर्वानुमान देखा जा सकता है। मौसम वैज्ञानिक, मौसम मानचित्र को देखकर उस पर उपस्थित आंकड़ों के द्वारा मौसम का पूर्वानुमान कर सकने में समर्थ होते हैं।

मध्यम अवधि पूर्वानुमान


प्रायः मौसम पूर्वानुमान आगामी 24 से 48 घंटों के लिए किया जाता है। अगामी 48 घंटों से एक सप्ताह के लिए मौसम के बारे किया जाने वाला पूर्वानुमान मध्यम अवधि पूर्वानुमान कहलाता है। मध्यम अवधि पूर्वानुमान सामान्य पूर्वानुमान से जटिल कार्य है। इसमें अगामी मौसम को प्रभावित करने वाली बीती मौसमी घटनाओं का यर्थात सूचीपत्र बनाया जाता है। कुछ लोगों के अनुसार यह पूर्वानुमान ‘प्रतिरूप पहचान’ (पैटर्न रेकोग्निश्न) प्रकार का है जो भविष्य में बारिश की मात्रा और वितरण के लिए पूर्वानुमान की अच्छी विधि है।

मध्य अवधि पूर्वानुमान वायुमंडल के अगामी दस दिनों के व्यवहार के बारे में भविष्यवाणी करता है। यह संभव है कि इस समय वायुमंडल का कोई भी क्षेत्र किसी दिए गए स्थान से दूर स्थित, भविष्य में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों की, परिघटनाओं से प्रभावित होता हो। उदाहरण के लिए मान लें कि दक्षिण अमेरिका के एंडीज पर्वत की चोटी पर हो रही वर्षा हल्की पूर्वी हवाओं से टकराती है तब वर्षा पर्वत के पश्चिमी तरफ विस्थापित होगी और यह अटलांटिक महासागर के मौसम को प्रभावित करेगी। इस प्रकार की अनिश्चितता मौसम पूर्वानुमान को पूरी तरह से परिवर्तित कर सकती है। इस तरह की अनिश्चितताओं के कारण मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान की विश्वसनीयता कम होती है।

यद्यपि अभी एक घटना के अनुसार मौसम का पूर्वानुमान मौसमवैज्ञानिकों के द्वारा विकसित किए गए ‘समष्टि पूर्वानुमान’ (इन्सेम्बल फॉरकास्ट) में रूपांतरित हो रहा है। समष्टि पूर्वानुमान वर्षा की बूंदों की आरंभिक स्थिति में बहुत सूक्ष्म परिवर्तन द्वारा अनेक बार आंशिक रूप से अलग आरंभिक बिंदु को निर्धारित कर कुछ दिनों आगे की भविष्यवाणी करता है।

एक समष्टि पूर्वानुमान मौसम संबंधी बहुत से संख्यात्मक पूर्वानुमान मॉडलों (5 से लेकर 100 तक) पर निर्भर होता है जो आरंभिक स्थितियों और वायुमंडल के संख्यात्मक निरूपण से भिन्न होते हैं। इस प्रकार पूर्वानुमान के दो मुख्य स्रोतों में अनिश्चितता होती है। यदि किसी समय पर अधिकतर पूर्वानुमानों के परिणाम समान हों तब मौसम वैज्ञानिकों की पूर्वानुमान के प्रति विश्वसनीयता बढ़ जाती है। दूसरी तरफ यदि समष्टि पूर्वानुमान के परिणामों में बहुत अंतर है तब किसी विशेष पूर्वानुमान की विश्वसनीयता बहुत कम हो जाती है।

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