जान जोखिम में डाल, मीलों दूर पहाड़ियों से लाते हैं एक बाल्टी पानी

30 May 2020
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जान जोखिम में डाल, मीलों दूर पहाड़ियों से लाते हैं एक बाल्टी पानी
जान जोखिम में डाल, मीलों दूर पहाड़ियों से लाते हैं एक बाल्टी पानी

जल ही जीवन है। जिंदा रहने के लिए हवा के बाद इंसान की सबसे बड़ी जरूरत जल ही है, लेकिन जरूरत के वक्त जब ये ‘जरूरत’ ही पूरी न हो तो समझ जाना चाहिए की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। यही जरूरत मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के पतापुर गांव के लोगों की पूरी नहीं हो पा रही है, जिस कारण वें लाॅकडाउन के दौरान भी एक बाल्टी पानी के लिए जान जोखिम में डालकर पहाड़ियों से पानी ला रहे हैं। 
एक तरफ देश कोरोना वायरस से लड़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ गर्मियां शुरू होते ही देश भर से विभिन्न क्षेत्रों से जल संकट की खबरे आने लगी हैं, लेकिन अब पारा चढ़ने के साथ ही जल संकट गहराता जा रहा है। प्राकृतिक जलस्रोतों से हैंड़पंप तक सूखने लगे हैं, लेकिन पतापुर गांव में जल संकट की समस्या विकराल हो चुकी है। छतरपूर का पतापुर गांव बुंदेलखंड में पड़ता है। यहां सुबह होते ही लोग बर्तन उठाकर मीलों दूर पैदल ही पहाड़ियों का रुख करते हैं। बच्चे, बड़े व बूढ़ें सभी, पथरीले और कंटीले रास्तों से होते हुए वे पहाड़ी के प्राकृतिक स्रोत तक जाते हैं। 

ये पूरा मामला तब सुर्खियों में आया जब एएनआई ने पूरी न्यूज़ को कवर किया। एनएनआई द्वारा ली गई इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं, कि ग्रामीण हर दिन किस प्रकार इन उबड़-खाबड़ पहाड़ियों से पानी लाने के लिए सफर तय करते हैं। पथरीली पहाड़ियों के करीब ही गहरी खाई है। रास्ता काफी दर्गम है। पानी लाने के दौरान छोटी-सी चूक जान पर भारी पड़ सकती है। ग्रामीण बड़ेलाल ने एनएनआई को बताया कि प्राकृतिक जलस्रोतों से पानी लाने के लिए हम पथरीली पहाड़ियों तक मीलों दूर तक पैदल जाते हैं। वहां कोई रास्ता नहीं है। रास्ता काफी खतरनाक है। पानी की व्यवस्था करने के लिए प्रशासन से अपील की है। वें कहते हैं कि जब से गांव बना है, गांव के लोग पानी की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, लेकिन समाधान के तौर पर अभी तक कुछ नहीं होता दिख रहा है। 

ग्रामीण मनीराम ने बताया कि "हम पानी लाने के लिए लगभग 4 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। पहाड़ियों से पानी लाने ले जाने में तीन घंटे तक का समय लगता है। पानी लाने के लिए पूरा परिवार जाता है और हमारा अधिकांश समय पानी लाने में ही निकल जाता है।" ग्रामीण परमलाल ने बताया कि पानी लाने के लिए हमें नीचे खाई में जाना पड़ता है। कीड़ों कारण पानी प्रदूषित हो जाता है। एक अन्य ग्रामीण लालदुलारी ने बताया कि "पानी लाने के दौरान सबसे ज्यादा जोखिम सुरक्षा का रहता है। पहाड़ियों का पार करते हुए अनहोनी होने की संभावना रहती है। हमें पानी की जरूरत है और हमारे पास पानी का कोई विकल्प भी नहीं है। इस कार्य में पूरे परिवार को जाना पड़ता है। पूरा दिन पानी लाने-ले-जाने में ही निकल जाता है। प्रशासन की तरफ से हमें कोई राहत नहीं मिली है, लेकिन आशा करते हैं कि जल्द इस समस्या का समाधान होगा, ताकि भविष्य में बच्चों को पानी को लेकर ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।" जिला पंचायत के सीईओ ने एएनआई को बताया कि अधिकारियों से बात हुई है, जल्द ही इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा। 


हिमांशु भट्ट (8057170025)

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