यही हाल रहा तो खाली रह जाएँगे मध्यप्रदेश के बड़े बाँध

9 Sep 2021
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नर्मदा घाटी का एक बांध, फोटो साभार : लेखक
नर्मदा घाटी का एक बांध, फोटो साभार : लेखक

मध्यप्रदेश में इस बार कई इलाकों में भारी बारिश से तबाही मची हुई है। तो वहीं कई जगहों में अब तक अच्छी बारिश नहीं होने से नर्मदा नदी पर बने बड़े बाँधों के खाली रह जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बाँध में अब तक ओवरफ्लो नहीं हो सका है। इधर बारिश का मौसम खत्म होने की कगार पर है तो चिंताएँ बढ़ने लगी हैं। 

5 सितंबर 2021 को शाम पाँच बजे तक इंदिरासागर का जलभराव केवल 253.13 मीटर था, जबकि इसकी कुल ऊँचाई 262.13 है। मौसम विभाग अब भी तसल्ली दे रहा है कि नर्मदा बेल्ट में 15 सितंबर तक तेज बारिश हो सकती है। बरगी, पुनासा और अमरकंटक की तरफ भी डेम प्यासे हैं। इनके भरे जाने  के बाद ही पानी छोड़ा जा सकता है,जिसकी इस बार संभावना लगभग ख़त्म होती जा रही है। दोनों बांधों के रीते रह जाने से एनएचडीसी को अरबों का घाटा हो सकता है। इससे बिजली उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित होगा। नर्मदा की अपस्ट्रीम में बरगी व अन्य बांध जो ऊपर बने हैं,उनमें बिजली बनाने के बाद जो पानी छोड़ा जाएगा, वह इंदिरा सागर व ओंकारेश्वर में आएगा। यहाँ से बिजली बनाने के बाद गांधी सागर गुजरात के लिए पानी छोड़ा जाएगा।

बीते साल के आँकड़े देखें तो 5 सितंबर तक इंदिरा सागर बांध से 1915 क्यूमेक्स पानी बांध एवं विद्युत गृह से बिजली बनाकर छोड़ा जा रहा था। वहीं इंदिरा सागर के तेज जल बहाव के कारण उसके पुल से बीते साल 02 सितंबर से आवागमन के लिए चारपहिया वाहन बंद कर दिए थे। विगत वर्ष 02 सितंबर के आसपास इस बांध की जल बहाव की क्षमता 2600 क्यूमेक्स थी।

परियोजना से जुड़े सूत्रों के अनुसार बांध के उपरी क्षेत्र में अभी कहीं भी जोरदार बारिश नहीं हुई है। फिलहाल नर्मदा के ऊपरी क्षेत्र में बारिश का इंतजार किया जा रहा है। ऊपरी हिस्सों के बांध से गेट खोलकर जो पानी छोड़ा जाता था, इस तरह की अभी कोई संभावना नहीं है। मौसम विभाग की मानें तो 15 सितंबर तक अच्छी बारिश की संभावना जताई जा रही है। अब तक प्रदेश में काफी कम बारिश हुई है। पिछले साल पहले इंदिरा सागर ओवरफ्लो हुआ था। जितना पानी अभी है,वह बरसात व अन्य स्थानीय स्रोतों से आया है। बाकी अस्सी फीसदी पानी बरगी बांध से छोड़ा जाता है। इस साल ओवर फ्लो की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई है। 

विगत 3 दिनों की बारिश में बांध के जलस्तर में कोई खास वृद्धि नहीं होने से परियोजना विभाग की विद्युत टरबाइन का उत्पादन भी प्रभावित है। अब पीक-अवर्स में भी यहां से विद्युत उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बांध के जलभराव क्षमता 262.13 मीटर है। जबकि विगत वर्ष इन्हीं दिनों में 261.63 मीटर के करीब जलस्तर आ गया था। बांध के गेट कई दिनों तक खोलना पड़े थे।

एक हजार वर्ग किमी वाला इंदिरासागर

इंदिरासागर बांध के दीवार की लंबाई 653 मीटर तथा ऊंचाई 262.13 मीटर है। बांध में कुल 14 लाख घनमीटर की कंक्रीटिंग की गई है। बांध में 20 मीटर चौड़ाई के 12 मुख्य स्पिल-वे ब्लॉक और 8 वैकल्पिक स्पिलवे ब्लाक हैं। जल नियंत्रण के लिए 20 मीटर चौड़े एवं 17 मीटर ऊंचे आकार के 20 रेडियल गेट लगाए गए हैं। विद्युतगृह नदी के दाएं किनारे पर स्थित है,जिसमें मशीन हाल 202 मीटर लंबा तथा 23 मीटर चौड़ा, सर्विस बे 42 मीटर लंबा तथा 23 मीटर चौड़ा, 24 मीटर ऊंचा है। इसी तरह ट्रांसफार्मर यार्ड 202 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा शामिल है। विद्युतगृह में 125 मेगावॉट के 8 फ्रांसिस टरबाईन स्थापित किए गए हैं। हैड रेस चैनल 350 मीटर लंबी,75 मीटर चौड़ी तथा 50 मीटर गहरी है। इसकी कुल जल बहाव क्षमता 22 सौ घन मीटर प्रति सेकेंड है। इन्टेक स्ट्रक्चर से जल 8 मीटर व्यास तथा 157 मीटर लंबी 8 पैनस्टोक से टरबाइन में प्रवेश करता है। प्रत्येक पैनस्टोक की अधिकतम जल बहाव क्षमता 275 घन मीटर प्रति सेकंड है। विद्युत उत्पादन के बाद पानी को 850 मीटर लंबी टेल रेस चैनल द्वारा फिर नर्मदा नदी में छोड़ा जाता है। 

ओंकारेश्वर बांध की भी  इस बार हालात बहुत कमज़ोर बताई जा रही है। 

ओंकारेश्वर बांध परियोजना की संस्थापित विद्युत क्षमता 520 मेगावॉट है। इससे 1167 मिलियन यूनिट का वार्षिक विद्युत उत्पादन हो रहा है,लेकिन इस बार हालात खराब हैं। यह बांध भी रीता पड़ा है। बांधस्थल पर जलग्रहण क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 64 हजार 880 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 3238 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल इंदिरासागर पॉवर स्टेशन के नीचे है। इस परियोजना के तहत 949 मीटर लंबे कंक्रीट ग्रेविल बांध का निर्माण किया गया है। इसकी आधार तल से अधिकतम ऊंचाई 53 मीटर है। 88 हजार 315 घनमीटर प्रति सेकंड के अभिकल्पित प्रवाह के लिए 570 मीटर लंबा ओगी-टाइप स्पिलवे का निर्माण किया गया है। जल नियंत्रण के लिए 20 मीटर चौड़े तथा 18 मीटर ऊंचे आकार के 23 रेडियल गेट लगाए गए हैं। 208 मीटर लंबे और 49 मीटर अधिकतम ऊंचाई पर 3.5 मीटर  4.5 मीटर के 10 स्लूस गेट जल प्रवाह व्यपवर्तन हेतु लगाए गए थे। जिन्हें अब बंद कर दिए गए हैं। 65 मेगावॉट की 8 फ्रांसिस प्रकार की टरबाइनों के साथ नदी के दाएं किनारे पर विद्युत गृह 202 मीटर लंबा, 23 मीटर चौड़ा तथा 53 मीटर ऊंचा बनाया गया है। दाएं किनारे पर 7.66 व्यास के 8 पैन स्टोको द्वारा टरबाइनों तक जल ले जाया जाता है। विद्युत उत्पादन के बाद विद्युत गृह से पानी 145 मीटर लंबी टेल रेस नहर द्वारा पुन: नदी में छोड़ा जाता है।

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