महाराष्ट्र जल संकटः हमारी भी सुन लो सरकार

3 Jun 2020
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महाराष्ट्र जल संकटः हमारी भी सुन लो सरकार
महाराष्ट्र जल संकटः हमारी भी सुन लो सरकार

महाराष्ट्र के अमरावती में सालों से पानी की समस्या है। पिछले साल पानी की समस्या को लेकर अमरावती से हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई थी। पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों को 40 फीट गहरे कुएं में उतरना पड़ रहा था, लेकिन कुएं में उतरने मात्र से ही उनकी समस्या का समाधान नहीं होता था। जान जोखिम में डालकर कुएं में उतरने के बाद वे वहां ठहरे हुए गंदे पानी को हटाते थे। इसके बाद साफ पानी के आने का इंतजार करते थे। हालांकि ये पानी सिर्फ कहने के लिए साफ था। इस तरह पानी लाने-ले-जाने में कई बार पूरा दिन निकल जाता था। 

अमरावती में तीन कुएं हैं। यहां पानी की समस्या इतनी विकट है कि पिछले साल कई लोग पानी लेने के लिए रात को कुएं के पास ही सो जाते थे। लोगों को कुएं में गिरने का भी डर सताता था, लेकिन कुएं के पास सोने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था। ऐसा वे इसलिए भी करते थे, ताकि सुबह पानी जल्दी और आसानी से मिल जाए। लोगों द्वारा गंदे पाने का सेवन करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी चिंतित था और लोगों को पानी गरम करके पीने की सलाह दी गई थी। समस्या के समाधान के लिए लोगों ने प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसी का परिणाम है कि हर साल की तरह इस साल भी यहां जल संकट गहरा गया है। 

एएनआई के रिपोर्ट के मुताबिक अमरावती के मेलघाट और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में भीषण जल संकट गहरा गया है। पानी लाने के लिए लोगों को चट्टानी इलाकों में रोजाना मीलों चलना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ‘‘कुएं से पानी लाने के लिए हम तीन दिन में एक बार जाते हैं। इसके बावजूद भी राजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें पानी नहीं मिल पाता है। चट्टानों से पानी लाते वक्त चोट लगने का डर अलग से लगा रहता है। जान जोखिम में डालकर पानी लाते भी हैं, तो भी स्वास्थ्य को खतरा रहता है। क्योंकि वहां पानी काफी प्रदूषित है।’’ एक तरह से लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। पानी लाने के लिए बच्चे भी जा रहे हैं।

पानी भरने के लिए महिलाएं अपने साथ तीन से चार बर्तन ले जाती हैं। इन भारी बर्तनों के बोझ के साथ ही वें चट्टानों को पार करती हैं। रोजाना लगभग तीन बार वें पानी लेने जाते हैं। एक तरह से उनका पूरा दिन पानी का बंदोबस्त करने में लगा जाता है। फिर घर का काम अलग से करना पड़ता है। इससे लड़कियों और महिलाओं का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। हालांकि, जिन घरों में बच्चे और जवान हैं, वें लोग जैसे-तैसे पानी ले आते हैं, लेकिन जिन घरों में केवल बूढ़ें है और वे अकेले रहते हैं, उनके सामने समस्या ज्यादा बड़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां पानी का एक टैंक भी बनाया गया है, लेकिन उसमें एक बूंद पानी तक नहीं भरता है। समस्या के निदान के लिए लोगों ने महाराष्ट्र सरकार से अपील भी की है। अब देखना ये है कि इन विकट परिस्थितियों का सामना लोगों को कब तक करना पड़ेगा।


हिमांशु भट्ट (8057170025)

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