मनरेगा में अब मजदूरी से स्थाई रोज़गार की ओर

13 Aug 2013
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मनरेगामहात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना में अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार की शिकायत, मजदूरी की मांग नहीं होना, मजदूरी के भुगतान में देरी, मुआवजा नहीं मिलना, बेरोज़गारी भत्ता नहीं मिलना, काम गुणवत्तापूर्ण नहीं होना जैसी कई समस्याओं को दूर करने के लिए शासन एवं स्वैच्छिक संस्थाओं की ओर से लगातार प्रयास किए जाते रहे हैं। देश में पहली बार मध्य प्रदेश में मनरेगा को प्रभावी, पारदर्शी, भ्रष्टाचारमुक्त एवं वंचित समुदाय केंद्रित बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम एवं अन्य कई प्रावधानों को लागू किया गया है, जिसका पिछले चार महीने में सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। अब समुदाय को जागरूक करने, प्रशिक्षण में सहयोग करने, मज़दूर समूह बनवाने एवं सामाजिक अंकेक्षण में स्वैच्छिक संस्थाएं एवं सरकार साझे तरीके से भूमिका निभाने की जरूरत है, जिससे कि मज़दूर मजदूरी से स्थाई रोज़गार की ओर बढ़ सकें।

उक्त बातें मनरेगा के क्रियान्वयन में उभरते हुए मुद्दे पर चर्चा के लिए समर्थन द्वारा पैक्स एवं सहभागी शिक्षा समिति के सहयोग से समर्थन कार्यालय में आयोजित एकदिवसीय विमर्श में सामने आई। विमर्श में मध्य प्रदेश राज्य रोज़गार गारंटी परिषद के आयुक्त श्री रवींद्र पस्तोर, समर्थन के कार्यकारी निदेशक डॉ. योगेश कुमार, समर्थन की वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक सुश्री श्रद्धा कुमार एवं विशाल नायक, पैक्स के श्री राजपाल, आशा संस्था के निदेशक आशीष मंडल, राजीव गांधी चेयर प्रो. एस.एन. चौधरी, डीएफआइडी के राज्य प्रतिनिधि संजय शर्मा सहित विभिन्न जिलों से आए स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मनरेगा बैठकरवींद्र पस्तोर ने कहा कि परिषद का विजन - मजदूरी से स्थाई रोज़गार की ओर है। इसे ध्यान में रखकर इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम एवं अन्य प्रावधान किए जा रहे हैं। अब काम की मांग करने पर ही ई-मस्टरोल जारी किया जाता है, पंचायतों को राशि जारी करने के बजाय जिले से सीधे मज़दूरों के खाते में राशि जारी की जा रही है एवं समय पर भुगतान करना आसान हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने मज़दूर, काम, वित्त एवं मूल्यांकन प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें उन्होंने स्वैच्छिक संस्थाओं से अपेक्षा जाहिर की कि वे अपने-अपने क्षेत्र में समुदाय को जागरूक करें, जिससे वे समूह बना सकें एवं काम की मांग कर सकें। पैक्स के राजपाल ने कहा कि आजीविका के अधिकार पर काम करने में मनरेगा को सुदृढ़ करना जरूरी है। डॉ. योगेश कुमार ने कहा कि अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। सुश्री श्रद्धा कुमार ने कहा कि साझा रणनीति से क्रियान्वयन को बेहतर बनाया जा सकता है। विशाल नायक ने अध्ययन प्रस्तुत करते हुए बताया कि इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम से सुधार देखने को मिल रहा है।

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