मॉनसून की पहली पुकार -केरल

16 Aug 2011
0 mins read
केरल का एक सुंदर दृश्य
केरल का एक सुंदर दृश्य

केरल का नाम आते ही मॉनसून की रिमझिम फुहारों का मौसम याद आ जाता है। गर्मी से बेहाल कुछ लोग तो मॉनसून का स्वागत करने केरल ही जा धमकते हैं और पंच कर्म चिकित्सा का भी लाभ ले कर लौटते हैं। प्रकृति ने भारत को जो उपहार दिया है केरल उनमें अद्वितीय है। अद्भुत झीलों और सुन्दर पहाड़ियों से सजा हरा-भरा केरल हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। केरल में छुट्टियां बिता कर पर्यटक प्रफुल्लित मन से लौटते हैं। केरल का नाम आते ही आंखों के सामने हरियाली छा जाती है, तो आईये केरल को जानें। केरल पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है, मॉनसून के इस प्रथम स्वागत कर्ता प्रदेश को 'ईश्वर का अपना घर' नाम से भी पुकारा जाता है। अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें पर्वतीय तराइयाँ, समुद्र तटीय क्षेत्र, अरण्य क्षेत्र, तीर्थाटन केन्द्र में कब छूती गुजर जाती है पता ही नहीं चलता। मून्नार, नेल्लियांपति, पोन्मुटि आदि पर्वतीय क्षेत्र, कोवलम, वर्कला, चेरायि आदि समुद्र तट, पेरियार, इरविकुलम आदि वन्य पशु केन्द्र, कोल्लम, अलप्पुषा, कोट्टयम, एरणाकुलम आदि झील प्रधान क्षेत्र अनोखे और रमणीय हैं।

विदेशियों का मोह केरल के लिए खास है। यहाँ प्रतिवर्ष केरल आने वाले करीब 6.50 लाख विदेशी सैलानियों में से एक तिहाई ब्रिटिश होते हैं। खासियत है कि राज्य में पर्यटन के लिए वर्ष भर सुविधा उपलब्ध रहती है। यहां आने के लिए किसी मौसम का इंतजार करना आवश्यक नहीं है। कोवालम अपने खूबसूरत बीच और ताड़ के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है। यह बीच विश्व के सबसे दर्शनीय समुद्री किनारों में गिना जाता हैं। सुनहरी रेत को चूमती नीली सागर की लहरें बाँध लेती हैं। खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यावली और वाटर स्पोर्ट्स में सैलानियों का मन रम सा जाता है। केरल के प्रमुख अस्पतालों, आरोग्यशालाओं, मालिश केंद्रों, आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्रों आदि में विदेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है। राज्य में स्वास्थ्य पर्यटन का भारी विकास हुआ है। पिछले साल करीब 15 हजार पर्यटकों ने राज्य के विभिन्न अस्पतालों और आरोग्यशालाओं में इलाज करवाया। देश-विदेश से हजारों-लाखों लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए केरल आते हैं। यहां घर-घर में आयुर्वेदिक चिकित्सा और मालिश के केंद्र खुले हुए हैं। बड़े-बड़े हेल्थ रिसोर्ट तो कई खुल चुके हैं।

परिवार की छुट्टी के लिए आदर्श के रूप में यह एक असली जगह है। कोट्टायम से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर कुमारकोम है। यहां पर दक्षिण का सर्वाधिक लोकप्रिय पक्षी विहार है, जहां हजारों के किस्म के पक्षी, तोते, एग्रेट्स, हेरोन्स, टील, लार्क, मक्खियां, भृंगू आदि पाए जाते हैं। अधिकांश पक्षी मौसम में यहां आते हैं। साइबेरिया से हजारों सारस आते हैं। कोट्टायम को श्रद्घालुओं का प्रमुख द्वार भी कह सकते हैं क्योंकि सबरीमाला, मनानम, कुरुविलांगद, वैकम, एट्टुमन्नूर, भारानगनम, एरुमेली, मनारकडु, अरुविथुरा एवं अथिराम्पुझु जैसे मंदिरों तक पहुंचने के लिए इसी शहर से गुजरना होता है। त्रिवेन्द्रम से 55 किमी. दूर यह स्‍थान केरल का महत्वपूर्ण बीच है। बीच के किनारे पंक्तिबद्ध दुकानों पर हैंडीक्राफ्ट, शंख व अन्‍य सामान बिकता है। वरकल की पहाड़ी चट्टानों से अरब सागर के लहरों का दृश्य अपनी और खींच लेता है। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए केरल का ब्रांड एम्बेस्डर बनने के लिए स्वीकृति दे दी है तो इसकी कोई ना कोई वजह जरूर रही होगी।

हर वर्ष ओणम पर्व के अवसर पर यहां पर कुमारकोम नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है। यह प्रतिस्पर्धा कोट्टाथोडु नदी में की जाती है तथा इसमें लगभग पचास सर्पाकार नौकाएं हिस्सा लेती हैं। इस मौके पर नदी के दोनों किनारे दर्शकों का हुजूम उमड़ पड़ता है। वलमकली या नौका दौड़ केरल का अपने ढंग का अनोखा आयोजन है। पुन्‍नमदा झील में आयोजित होने वाली नेहरू ट्रॉफी नौका दौड़ को छोड़कर शेष सभी नौका दौड़ उत्‍सवों का कोई न कोई धार्मिक महत्‍व है। केरल की खासियत है- शीतल मन्द हवा और भारी वर्षा। पश्चिमी मॉनसून से प्रमुख वर्षा काल प्रारम्भ होता है। दूसरा वर्षाकाल उत्तरी-पश्चिमी मॉनसून है। 'त्रावनकोर-कोचीन राज्‍य तथा मालाबार' को मिलाकर 1 नवंबर, 1956 को 'केरल राज्‍य' का निर्माण किया गया। यहाँ हिन्दुओं और मुसलमानों अलावा ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं। साक्षरता की दर में केरल को समूचे भारत में सर्वोत्तम स्थान है। भौगोलिक दृष्टि से केरल पर्वतीय क्षेत्रों, घाटियों, मध्‍यवर्ती मैदानों तथा समुद्र का तटवर्ती क्षेत्र हैं। केरल नदियों और तालाबों से समृद्ध है। केरल में 44 नदियां बहती हैं। ये नदियाँ अपनी सहायक नदियों और उपधाराओं के साथ केरल का आकर्षण बढ़ाती हैं। समुद्री झीलें भी केरल का गहना हैं।

नेय्यर बांध काफी अच्छा पिकनिक स्थल है और तिरुवनंतपुरम शहर से 32 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित है। नौ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले इस जलाशय में नौकायन की सुविधा उपलब्ध है। हिंदुओं का यह प्रसिद्ध स्थल तिरुवनंतपुरम से 48 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह स्थान अपने लवणीय झरनों तथा चट्टानी दृश्यों के लिए जाना जाता है। कोवलम का अर्थ है नारियल वृक्षों का समूह, कोवालम से 14 किमी. की दूरी पर त्रिवेन्द्रम एयरपोर्ट है जो भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी द्वारा कोवालम पहुंचा जा सकता है। त्रिवेन्द्रम नजदीकी रेलवे स्टेशन है। नेय्यर बांध पिकनिक स्थल है और तिरुवनंतपुरम शहर से 32 किलोमीटर दूर है। इस जलाशय में नौकायन की सुविधा उपलब्ध है। हिंदुओं का प्रसिद्ध स्थल तिरुवनंतपुरम से 48 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह स्थान अपने लवणीय झरनों तथा चट्टानी दृश्यों के लिए जाना जाता है।
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading