म.प्र. स्थित औद्योगिक क्षेत्रों से निस्सारित दूषित जल का भूजल पर प्रभावः एक अध्ययन

उपरोक्त अध्ययन से ज्ञात होता है कि संबंधित औद्योगिक क्षेत्र में भूजल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है जिसका मुख्य कारण वहां की भौगोलिक परिस्थियों के साथ-साथ स्थापित औद्योगिक इकाईयों के प्रभाव एवं उक्त स्थानों की मृदा के रासायनिक गुणधर्म हो सकते हैं। अध्ययन से स्पष्ट है कि भूजल की गुणवत्ता के सुधार हेतु ठोस प्रयास किया जाना आवश्यक है ताकि भूजल के सेवन से मानव जीवन प्रभावित न हो सके। इन क्षेत्रों पर स्थापित औद्योगिक इकाईयों से निस्सारित दूषित विकास की दर भी कायम रह सके।

मध्य प्रदेश भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का एक बड़ा राज्य है जिसका क्षेत्रफल लगभग 308,000 वर्ग कि.मी. है। प्रदेश के कई बड़े शहरों के समीप औद्योगिक क्षेत्र स्थापित है जैसे औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर जिला धार, मालनपुर-जिला ग्वालियर देवास जिला देवास, मण्डीदीप – रायसेन आदि। इन औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषणकारी वृहद उद्योग स्थापित हैं। जैसेः- पीथमपुर स्थित – टेम्पो मोटर्स, ब्रिजस्टान टायर निकोलस पिरामल, आदि मालनपुर स्थित – एटलस सायकल, एस.आर.एफ. गोदरेज लि. आदि देवास स्थित – एस.टी.आई. बैंक नोट प्रेस रेनबक्सी एवं मण्डीदीप स्थित – एच.ई.जी. प्रोक्टर एंड गेम्बल स्टैण्डर्ड सरफेक्टेंट आदि। म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 के अंतर्गत समय-समय पर कई औद्योगिक क्षेत्रों के भूजल मॉनिटरिंग कार्य संपादित कर चुका है जिसमें प्रमुखतः मण्डीदीप, देवास एवं पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र सम्मिलित है। पीथमपुर क्षेत्र में अध्ययन कार्य प्रगति पर है। भूजल में विभिन्न प्रचालकों जैसे सामान्य गुणवत्ता, भारी धातु एवं पस्टनाशक का आंकलन कर आंकड़े एकत्रित किये गये हैं जो वर्तमान में आधारभूत सांख्यक के रूप में उपयोगी है।

अध्ययन से स्पष्ट होता है कि, औद्योगिक क्षेत्र, मण्डीदीप का भूजल क्षारीय प्रकृति का है एवं घुलित तत्व (डिलाल्ड सालिड) की मात्रा भारतीय मानक बी.आई.एस. 10500 के अनुरुप नहीं पायी गई। भूजल में कठोरता की मात्रा भी अधिक ज्ञात हुई है, जिससे यहां का भूजल “कठोर” श्रेणी में आता है। कुछ मानक जैसे क्लोराईड, फलोराईड की भी उपस्थिति पायी गई है। भूजल में जैविक संक्रमण भी पाया गया है जो संभवतः घरेलू दूषित जल का प्रभाव प्रतीत होता है। भारी धातु जैसे आयरन, मैग्नीज, जिंक एवं कॉपर की भी उपस्थिति पायी गई है जो कि भारतीय मानको के अनुरुप है। भूजल में कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति भी पायी गई है। स्पष्ट है कि उपरोक्त प्रचालको की उपस्थिति औद्योगिक एवं घरेलू क्रियाकलापों के कारण संभावित हुई है।

औद्योगिक क्षेत्र देवास के भूजल की गुणवत्ता के अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि उक्त क्षेत्र का भूजल भी क्षारीय है साथ ही घुलित ठोस (डिजॉल्ड सालिड) की मात्रा मानकों से अधिक मापी गई है। अन्य मानक जैसे सोडियम, क्लोराईड, क्षारीयता एवं कठोरता की मात्रा कई स्थानों पर भारतीय मानकों से अधिक पायी गई। भारी धातुओं जैसे आयरन, मैग्नीज एवं जिंक की उपस्थिति भी पायी गई है किंतु वह मानकों के अनुरुप है।

औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के भूजल का अध्ययन कार्य जारी है अभी तक प्राप्त परिणामों से ज्ञात हुआ है कि क्लोराईड, कठोरता, क्षारीयता एवं घुलित ठोस की मात्रा कुछ स्थानों पर मानकों से अधिक पायी गई धातु जैसे कॉपर आयरन, मैग्नीज एवं जिंक कुछ स्थानों पर पाये गये हैं किंतु इनकी मात्रा जिंक को छोड़कर प्राप्त स्थानों पर मानकों के अनुरुप है साथ ही पस्टनाशक की मात्रा नगण्य पाई गई है।

उपरोक्त अध्ययन से ज्ञात होता है कि संबंधित औद्योगिक क्षेत्र में भूजल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है जिसका मुख्य कारण वहां की भौगोलिक परिस्थियों के साथ-साथ स्थापित औद्योगिक इकाईयों के प्रभाव एवं उक्त स्थानों की मृदा के रासायनिक गुणधर्म हो सकते हैं। अध्ययन से स्पष्ट है कि भूजल की गुणवत्ता के सुधार हेतु ठोस प्रयास किया जाना आवश्यक है ताकि भूजल के सेवन से मानव जीवन प्रभावित न हो सके। इन क्षेत्रों पर स्थापित औद्योगिक इकाईयों से निस्सारित दूषित विकास की दर भी कायम रह सके।

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