मुख्य शहरों में प्रदूषण की जाँच अब पड़ेगी महंगी

8 Jun 2016
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सीपीसीबी नए नियमों के चलते वायु और जल प्रदूषण जाँच सम्बन्धी जिम्मेदारी या तो बोर्डों को खुद उठानी होगी या फिर कई गुना महंगे खर्च पर निजी प्रयोगशालाओं को सौंपनी पड़ेगी। सीपीसीबी ने इस बारे में सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से 16 जून तक जवाब माँगा है। इस मामले पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एससी यादव ने बताया कि सीपीसीबी के निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जाएगा। इसके लिये जाँच स्टेशनों की नए सिरे से रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी।

नोएडा, 28 मई। नोएडा और गाजियाबाद सहित देश के अन्य प्रमुख शहरों में प्रदूषण जाँच का काम कई गुना महंगा होने वाला है। इसकी वजह केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नए नियम हैं। इसके तहत वायु प्रदूषण की जाँच करने वाली संस्था केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय (एमओईएफ) या राष्ट्रीय प्रत्यापन बोर्ड (एनएबीएल) से मान्य होने पर ही वे वायु-जल प्रदूषण सम्बन्धी जाँच कर उसके आँकड़े जारी कर सकेंगी।

नए नियमों के लागू होने से नोएडा के दो बन्द पड़े मैनुअल एअर मॉनिटरिंग स्टेशनों के कम खर्चे में शुरू होने की सम्भावना खत्म हो गई है। चूँकि एनएबीएल या एमओईएफ की मान्यता कुछ चुनिन्दा प्रयोगशालाओं के पास ही है, इसलिये यह काम उन्हें सौंपना देश भर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के लिये जरूरी हो जाएगा।

कर्मचारियों की कमी के चलते नोएडा में बन्द पड़े दो वायु प्रदूषण जाँच स्टेशनों को संचालित करने की जिम्मेदारी शहर के एक नामी कॉलेज ने उठाने की इच्छा जताई थी। करीब दो महीने पहले उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नोएडा कार्यालय में इस प्रस्ताव को बोर्ड मुख्यालय मंजूरी के लिये भेजा गया था।

नामचीन और मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के मुकाबले कॉलेज ने महज 10 फीसद खर्चे पर ही स्टेशनों को संचालित करने का दावा किया था। गाजियाबाद समेत कई अन्य शहरों में भी कुछ वायु प्रदूषण जाँच स्टेशनों के संचालन की जिम्मेदारी कॉलेज या अन्य संस्थाएँ उठा रही हैं। आने वाले दिनों में इन सभी पर भी नए नियमों का प्रभाव पड़ने के आसार हैं।

जानकारी के मुताबिक, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अप्रैल 2016 में नए प्रावधानों को शामिल किया है। सीपीसीबी ने गम्भीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र (सीपीए) में अत्याधुनिक वायु और जल जाँच केन्द्र स्थापित करने की जरूरत बताई है। देश के जिन शहरों के व्यापक पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (सीईपीआई) का स्तर 70 से ज्यादा है, वहाँ पर लगातार वायु और जल के तत्वों की जाँच के लिये ऑटोमेटिक स्टेशन स्थापित करने होंगे।

2009-10 में देश भर में 70 सीईपीआई वाले कुल 88 औद्योगिक क्षेत्र थे। उत्तर प्रदेश में करीब 11 शहर गम्भीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों की सूची में है। नोएडा में जल और वायु के ऐसे कुल 4 स्टेशन बनने हैं। दिल्ली के आनन्द विहार इलाके में वायु प्रदूषण जाँच का अत्याधुनिक ऑटोमेटिक स्टेशन बनाया गया है।

नोएडा में बढ़ते वायु प्रदूषण और राष्ट्रीय हरित पंचाट (एनजीटी) की नाराजगी के बाद दो नए मैनुअल वायु जाँच स्टेशन बनाए गए थे। सेक्टर-38 और फेज-2 औद्योगिक इलाकों में दोनो नए स्टेशन महज 8 महीने तक ही संचालित हो सके। बोर्ड के नोएडा कार्यालय की प्रयोगशाला में महिला कर्मचारियों की ज्यादा संख्या होने के कारण दोनों स्टेशन पिछले एक साल से बन्द हैं। इन्हें दोबारा शुरू कराने के लिये बोर्ड ने निजी संस्थाओं, प्रयोगशालाओं और कॉलेजों को न्यौता दिया था।

निजी कॉलेजों के मुकाबले एमओईएफ या एनएबीएल मान्य प्रयोगशालाओं ने स्टेशन संचालित करने के लिये 10 गुना ज्यादा रकम माँगी थी। इसके चलते बोर्ड ने सबसे कम खर्च पर स्टेशन संचालित करने का दावा करने वाले एक निजी कॉलेज के प्रस्ताव को मंजूरी के लिये मुख्यालय भेजा था।

जानकारों के मुताबिक, सीपीसीबी नए नियमों के चलते वायु और जल प्रदूषण जाँच सम्बन्धी जिम्मेदारी या तो बोर्डों को खुद उठानी होगी या फिर कई गुना महंगे खर्च पर निजी प्रयोगशालाओं को सौंपनी पड़ेगी। सीपीसीबी ने इस बारे में सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से 16 जून तक जवाब माँगा है। इस मामले पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एससी यादव ने बताया कि सीपीसीबी के निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जाएगा। इसके लिये जाँच स्टेशनों की नए सिरे से रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी।

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