नौले-धारों के हैं बहुआयामी फायदे


पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) ही पीने के पानी का बड़ा स्रोत हैं। पेयजल का मुख्य स्रोत माने जाने वाले नौले-धारों में से आधे से ज्यादा में पानी की कमी आ चुकी है। जलस्तर घटने की यही गति रही तो आने वाले 20-25 सालों में करीब शत-प्रतिशत नौले-धारे विलुप्त हो जाएँगे। कल तक जिन नौलों और धारों का शीतल जल लोगों की प्यास बुझाते थे। वे नौले-धारे किस्सा बनते जा रहे हैं, इतिहास बनते जा रहे हैं।

जलविज्ञान में नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) धरती की सतह के उस स्थल को कहा जाता है जहाँ से भूजल भण्डार से पहली बार पानी का सतही बहाव होता है। नौले-धारों से तात्पर्य है एक ऐसा स्थान जहाँ किसी जलवाही चट्टान के नीचे से जलधारा सतह पर बह निकले। भूजल का प्राकृतिक सतही बहाव बिन्दु है स्प्रिंग। नौले-धारे से पानी तब निकलता है जब बारिश का पानी मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता है। मिट्टी द्वारा सोखा गया पानी ही मिट्टी के नीचे की सतह में मौजूद चट्टानों पर रिसता रहता है।

धारा यानी नौले-धारे पर भारत में ही नहीं वैश्विक स्तर पर भी व्यापक काम हुआ है। इन्हें बचाए रखने के लिये कई तरह के योजनाएँ लोगों ने चलाईं और चला रखी हैं। ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि नौले-धारे के कई तरह के फायदे हैं।

नौले-धारे न केवल पेयजल की समस्या का समाधान हैं बल्कि इनकी मदद से बिजली उत्पादन कहीं-कहीं हो रहा है। साथ ही इसके पानी से सिंचाई भी होती रही है। इन सबके अलावा भी इनके कई उपयोग हैं।

 

 

पेयजल


पहाड़ी इलाकों में नौले-धारे का जल पेयजल की समस्या का व्यापक पैमाने पर समाधान कर सकता है। नौले-धारे पहाड़ के बड़े शहरों के साथ ही छोटे कस्बों की भी पेयजल की समस्या को दूर कर सकते हैं। हालांकि इसके लिये बड़े स्तर या ज्यादा संख्या में नौले-धारे की जरूरत पड़ती है। नौले-धारे के इस तरह के इस्तेमाल के उदाहरण वैश्विक स्तर पर देखे जा सकते हैं।

तथाकथित विकास के बावजूद भी दक्षिण-पूर्वी यूरोप के 5 राजधानी शहरों में पेयजल के लिये नौले-धारे का इस्तेमाल हो रहा है। इटली, स्लोवेनिया, क्रोशिया, बोस्निया, अल्बानिया आदि इन सबकी राजधानियाँ अब भी नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) के पानी पर निर्भर हैं। हालांकि कई पहाड़ी शहरों में पेयजल के लिये दूूसरे साधनों का इस्तेमाल किया जा रहा था लेकिन पानी की बढ़ती माँग को देखते हुए नौले-धारों की ओर लोग मुड़ने लगे हैं। कई शहर अब पानी के लिये नौले-धारों पर निर्भर हो गए हैं।

वैसे देखा जाये तो विकासशील देशों में बढ़ती जनसंख्या के चलते नौले-धारे जैसे पेयजल के छोटे-स्रोत का इस्तेमाल बन्द कर दिया है। कारण यह था कि इन नौले-धारों से पेयजल की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है। चुनांचे पानी के लिये नौले-धारों की जगह ट्यूबवेल, नदी, बाँध-रिजर्वायर व ऐसे ही साधनों की ओर लोगों का झुकाव दिखने लगा है।

वैसे नौले-धारों के कैचमेंट एरिया को प्रदूषण से सुरक्षित रखा जाये तो इससे निकलने वाले पानी की गुणवत्ता बेहतर होती है अतएव इसके पानी का सिंचाई या किसी और काम के लिये इस्तेमाल करना साफ पानी की बर्बादी ही कही जाएगी। गौर करने वाली बात है कि नौले-धारे ऐसी जगहों पर मौजूद हैं जहाँ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पाइप के जरिए साफ पानी पहुँचा पाना बहुत मुश्किल है। ऐसे में इन नौले-धारों के पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

हाँ, यह बात जरूर है कि प्राकृतिक कारणों से नौले-धारे के पानी में होने वाले प्रदूषण को रोकना थोड़ा मुश्किल है। असल में नौले-धारे का पानी जिन राहों से होकर गुजरता है उन राहों में कई तरह की चट्टानें होती हैं जिनसे निकलने वाला रसायन पानी को गन्दा कर देता है। ऐसे हालात में धारा के पानी को शुद्ध किया जाना सम्भव नहीं है। इसके लिये जरूरी है कि नौले-धारे के निकलने वाले बिन्दु पर ही कोई व्यवस्था की जाये।

 

 

 

 

बिजली उत्पादन


पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ बहुत ऊँचाई से नौले-धारे का पानी तेज प्रवाह से नीचे गिरता है वहाँ पानी से बिजली उत्पादन भी किया जा सकता है और इस तरह के नौले-धारों का दोहरा इस्तेमाल हो सकता है। आस्ट्रिया में ऐसा उदाहरण है लेकिन भारत के नौले-धारों से बिजली उत्पादन सम्भव नहीं दिखता है क्योंकि यहाँ ऐसे नौले-धारे विरले ही हैं जो बहुत ऊँचाई से गिरते हों। हालांकि नौले-धारे के पानी को सतही जलाशय-रिजर्वायर बनाकर भण्डारण भी किया जा सकता है और छोटे बाँध बनाकर पानी से बिजली उत्पादन किया जा सकता है।

 

 

 

 

सिंचाई में उपयोग


फसलों की सिंचाई में धारा के पानी का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी धारा के पानी का प्रयोग सिंचाई में किया जाता है। सिंचाई की विश्व भर में जो पारम्परिक व्यवस्था है उनमें 40 से 60 फीसदी पानी की बर्बादी होती है। अगर पानी बचाव तकनीक का सहारा लेकर सिंचाई की जाये तो नुकसान का प्रतिशत 25 पर आ जाता है।

सरबडियाड़ का नौला जलधाराइन साधनों के बनिस्बत अगर धारा के पानी का इस्तेमाल किया जाये तो पानी का बहुत कम नुकसान होता है। धारा से निकलने वाले पानी को नाले के जरिए रिजर्वायर में भेजा जा सकता है और वहाँ से इसका इस्तेमाल सिंचाई के लिये किया जा सकता है।

सिक्किम में नौले-धारों के पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिये भी किया जाता है। सिक्किम में नौले-धारों (वाटर-स्प्रिंग) के पानी का पीने के अलावा सिंचाई में भी इस्तेमाल होता है। सिंचाई में इस्तेमाल होने से कृषि उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी हुई है। भारत में नौले-धारों की संख्या हजारों में है लेकिन इनका पूरा समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। सरकार को इस पर ध्यान देते हुए नौले-धारों के पानी का सिंचाई में इस्तेमाल करने की व्यवस्था करनी चाहिए।

 

 

 

 

थेरेपी


कई नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) का पानी ऐसा होता है जिनमें खनिज पदार्थ मिश्रित होते हैं। जैसे सल्फर वाले नौले-धारे। जैसी धाराओं का इस्तेमाल मनोविनोद और थेरेपी के लिये भी किया जा सकता है। खनिज मिश्रित पानी से रोगों के इलाज को बैलनियोथेरेपी कहा जाता है। चूँकि नौले-धारे में पानी पर्वतों, चट्टानों से होकर गुजरता है जिस कारण इसमें कई तरह के खनिज पदार्थ मिश्रित हो जाते हैं। ये खनिज पदार्थ कई रोगों के इलाज में कारगर होते है। अतएव खनिज मिश्रित पानी के जरिए कई रोगोंं का इलाज हो सकता है।

वैश्विक स्तर पर किये गए शोध बताते हैं कि रोमन काल में इस तरह के नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) का इस्तेमाल स्पा के रूप में किया जाता था और अभी विश्व के कई क्षेत्रों में ऐसी नौले-धारों का बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल हो रहा है। कई नौले-धारे ऐसे हैं जिनमें कई औषधीय जैविक तत्व मिले हुए होेते हैं इन नौले-धारों के पानी का प्रयोग औषधियाँ बनाने में किया जा सकता है।

 

 

 

 

बोतलबन्द पानी उद्योग


यूरोप और उत्तरी अमेरिका में बोतलबन्द पानी का प्रचलन बहुत पुराना है। पिछले एक दशक में भारत में भी पानी का कारोबार काफी फूला-फला। अब यह कारोबार और तेजी से फैल रहा है। वैश्विक स्तर पर बोतलबन्द पानी का कारोबार 13 बिलियन डॉलर का है। बोतलबन्द पानी में जिन स्रोत का पानी इस्तेमाल किया जाता है उनमें नौले-धारे (वाटर-स्प्रिंग) का पानी सबसे प्रमुख है।

बोतलबन्द पानी में अमूमन न्यूनतम खनिज मिश्रित व स्पार्कलिंग पानी का इस्तेमाल किया जाता है। विदेशों के तर्ज पर अब भारत में भी नौले-धारों से बोतलबन्द पानी की सप्लाई तेजी से होने लगी है। कई कम्पनियाँ हैं, जो स्प्रिंग-वाटर बोतलबन्द पानी मुहैया करवा रही हैं। अभी भारत के बाजार में स्प्रिंग-वाटर बोतल रुपए 100 प्रति लीटर की हैं।

 

 

 

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading