नदी बन गई जहरीला नाला
15 June 2012

उज्जैन की क्षिप्रा यानी पवित्रता, शुद्धता। लेकिन विडम्बना है कि ये नदी एक गंदा नाला बन गई है। इसका पानी इस्तेमाल करना तो दूर छूने लायक भी नहीं बचा है। इसकी हालत के लिए जिम्मेदार और कोई नहीं भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी है। सचिन राय क्षिप्रा को बचाने के लिए पिछले कई साल से संघर्ष कर रहे हैं। करीब 5 हजार साल पुरानी क्षिप्रा मालवा इलाके की जीवन रेखा है। इसी नदी से ही उज्जैन शहर में पानी सप्लाई किया जाता है। और इस नदी में शहर भर की हजारों टन गंदगी रोज उड़ेली जाती है। ये तो हम सभी जानते हैं कि गंगा और यमुना को बचाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन हालात ज्यों के त्यो हैं। इसी तरह देश में और भी कई नदियां है जो प्रदूषण के साथ-साथ सरकारी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। ऐसी ही एक नदी है मध्यप्रदेश से बहने वाली क्षिप्रा नदी, जिसको बचाने के नाम पर सरकारी अमला बरसों से लूट खसोट कर रहा है। उज्जैन के रहने वाले प्रोफेसर सचिन राय ने सरकारी भ्रष्टाचार की बदनुमा तस्वीर को उजागर किया।

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