नमामि गंगे में जल्द ही जान फूंकेंगे युवा

12 Mar 2017
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गंगा किनारे रहने वालों तथा वहाँ की यात्रा करने वालों को स्वच्छता की आदतें सिखाने के लिये जल्द ही युवा अलख जगाएँगे! गंगा नदी को प्रदूषित करने की बीमारी के प्रति व्यापक जागरूकता उत्पन्न करने के लक्ष्य से हजारों युवाओं को स्वयंसेवक के रूप में तैयार किया जाएगा। और स्थानीय लोगों तथा पर्यटकों में गंगा को स्वच्छ रखने की भावना बढ़ाने के लिये उन्हें नदी किनारे गाँवों में भेजा जाएगा।

गंगाकेंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम ‘नमामि गंगे’ के अंतर्गत उठाए जा रहे इस कदम के अंतर्गत युवाओं के उत्साह का उपयोग कर घरेलू तथा औद्योगिक कचरे के कारण तेजी से प्रदूषित हो रही नदी के संरक्षण में समाज के सभी वर्गों का समर्थन जुटाया जाएगा।

युवा मामले तथा खेल मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी संगठन नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) को गंगा के बेसिन वाले राज्यों से 20,000 से अधिक युवकों तथा युवतियों को तैयार करने का जिम्मा दिया गया है ताकि वे “स्वच्छता दूत” के रूप में नमामि गंगे कार्यक्रम का प्रतिनिधित्व कर सकें।

20,000 से अधिक जागरूक युवा प्रेरकों में से 50 उत्साही अग्रणी युवाओं की पहचान की जाएगी और सप्ताह भर का प्रशिक्षण दिया जायेगा। उसके बाद अभियान के इन नेतृत्वकर्ताओं से स्वच्छ गंगा का संदेश फैलाने के लिये अपने-अपने क्षेत्र में युवाओं की सेना ले जाने को कहा जायेगा। यह सब कुछ ग्रामीण युवा क्लबों के परामर्श से किया जायेगा।

प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवा स्थानीय जनता तथा पर्यटकों का आह्वान करेंगे और उन्हें गंगा नदी को प्रदूषित नहीं करने के लिये प्रेरित करेंगे। वे स्वच्छ गंगा जागरूकता अभियान की गाड़ी के नए पहिये होंगे। स्वच्छता दूत लक्षित व्यक्तियों को गंगा के प्रदूषण के दुष्परिणामों के बारे में ही नहीं बतायेंगे बल्कि वर्तमान सरकार की गतिविधियों जैसे शौचालयों का निर्माण, जल-संचयन तथा संरक्षण के बारे में जानकारी देने का भी कार्य करेंगे। नमामि गंगे कार्यक्रम को क्रियान्वित करने वाले राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के साथ मिलकर समग्र डाटाबेस तैयार करने में भी उनका अमूल्य योगदान होगा।

परियोजना के अंतर्गत गंगा की घाटी वाले राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में नदी के किनारे बसे लगभग 2,336 गाँवों वाले 29 जिलों में युवाओं को तैनात करने का विचार है। प्रत्येक जिले में एक परियोजना अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा। परियोजना के लिये 10 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत मंजूर की गई है।

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