पानी बचाएँ जीवन बचाएँ

24 Feb 2015
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हमारी पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में हैं, जो खारा है, शेष 1.5 प्रतिशत पानी बर्फ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में हैं। इसमें से बचा एक प्रतिशत पानी नदी, सरोवर, कुआँ, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60वां हिस्सा खेती और उद्योग-कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40वां हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ-सफाई में खर्च करते हैं।बाईस मार्च, यानी विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को मानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। आँकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.4 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है।

प्रकृति जीवनदायी सम्पदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है, हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान रखना हमारी जिम्मेदारी है, चक्र के थमने का अर्थ है हमारे जीवन का थम जाना। प्रकृति के खजाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते अतः प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गवाएँ यह प्रण लेना आज के दिन बहुत आवश्यक है।

पानी के बारे में एक नहीं कई चौंकाने वाले तथ्य हैं। विश्व में और विशेष रूप से भारत में पानी किस प्रकार नष्ट होता है, इस विषय में जो तथ्य सामने आए हैं उस पर जागरुकता से ध्यान देकर हम पानी के अपव्यय को रोक सकते हैं। अनेक तथ्य ऐसे हैं जो हमें आने वाले खतरे से तो सावधान करते ही हैं, दूसरों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं और पानी के महत्व व इसके अनजाने स्रोतों की जानकारी भी देते हैं।

1. विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है। प्रति वर्ष 6 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनुष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

2. नदियाँ पानी का सबसे बड़ा स्रोत है। जहाँ एक ओर नदियों में बढ़ते प्रदूषण रोकने के लिए विशेषज्ञ उपाय खोज रहे हैं वहीं कल-कारखानों से बहते हुए रसायन उन्हें भारी मात्रा में दूषित कर रहे हैं। ऐसी अवस्था में जब तक कानून में सख्ती नहीं बरती जाती, अधिक से अधिक लोगों के दूषित पानी पीने का समय आ सकता है।

3. मुम्बई में रोज वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।

4. दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।

5. पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकाण्ड हुए हैं।

6. भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोजाना औसतन चार मील पैदल चलती है।

7. पानी जन्य रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।

8. हमारी पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है इसमें से 97.5 प्रतिशत पानी समुद्र में हैं, जो खारा है, शेष 1.5 प्रतिशत पानी बर्फ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में हैं। इसमें से बचा एक प्रतिशत पानी नदी, सरोवर, कुआँ, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60वां हिस्सा खेती और उद्योग-कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40वां हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ-सफाई में खर्च करते हैं।

9. यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पाँच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बर्बाद होता है।

10. बाथटब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 लीटर पानी खर्च होता है।

11. पृथ्वी पर पैदा होने वाली सभी वनस्पतियों से हमें पानी मिलता है।

12. आलू में और अनावास में 80 प्रतिशत और टमाटर में 95 प्रतिशत पानी है।

13. पीने के लिए मानव को प्रतिदिन 3 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।

14. एक लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है, एक किलो गेहूँ उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेत और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।

15. इजराइल में औसतन मात्र 10 से.मी. वर्षा होती है। इस वर्षा से वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 से.मी. से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है।

समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बून्द कीमती है। इन्हें सहेजना बहुत ही आवश्यक है। यदि अभी पानी नहीं सहेजा गया तो सम्भव है पानी केवल हमारी आँखों में ही बच पाएगा। पहले कहा गया था कि हमारा देश वह देश है जिसकी गोदी में हजारों नदियाँ खेलती थी, आज वे नदियाँ हजार में से केवल सैकड़ों में ही बची हैं। कहाँ गई वे नदियाँ कोई नहीं बता सकता। नदियों की बात छोड़ दो, हमारे गाँव-मोहल्लों में तालाब आज गायब हो गए हैं, इनके रख-रखाव और संरक्षण के विषय में बहुत कम कार्य किया गया है।

पानी का महत्व भारत के लिए कितना है यह हम इसी बात से जान सकते हैं कि हमारी भाषा में पानी के कितने अधिक मुहावरे हैं। आज पानी की स्थिति देखकर हमारे चेहरों का पानी तो उतर ही गया है, मरने के लिए भी अब चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा, अब तो शर्म से चेहरा भी पानी-पानी नहीं होता। हमने बहुतों को पानी पिलाया, पर अब पानी हमें रुलाएगा, यह तय है। सोचों तो वह रोना कैसा होगा, जब हमारी आँखों में ही पानी नहीं रहेगा? वह दिन दूर नहीं, जब सारा पानी हमारी आँखों के सामने से बह जाएगा और हम कुछ नहीं कर पाएँगे।

लेकिन कहना है कि आस का दामन कभी नहीं छूटना चाहिए तो ईश्वर से यही कामना है कि वह दिन कभी न आए जब इंसान को पानी की कमी हो। विज्ञान और पर्यावरण के ज्ञान से मानव में जो प्रगति की है उसे प्रकृति संरक्षण में लगाना भी जरूरी है। पिछले साल तमिलनाडु ने वर्षा जल संरक्षण कर जो मिसाल कायम की है उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है।

(लेखिका सामाजिक कार्यकर्ता हैं)
ई-मेल : sahyog_kv@yahoo.com

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