पानी एवं स्वच्छता पर बच्चों की साहित्यिक रचनाएं

22 Oct 2013
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स्वैच्छिक संस्था समर्थन द्वारा सेव द चिल्ड्रेन एवं वाटर एड के सहयोग से सीहोर जिले के बच्चों को बाल पत्रकारिता का प्रशिक्षण दिया गया। प्रतिभागी बाल पत्रकारों ने पानी एवं स्वच्छता के मुद्दे पर साहित्यिक रचनाएं भी की। ये रचनाएं अपने आसपास के वातावरण से उपजी हुई हैं। लघु कथाएं एवं कविताओं के रूप में ये मुद्दे को काफी करीब से देखने का मौका देती हैं। बच्चों की साहित्यिक रचनाएं -

कहानी 1 - लड़की का मैजिक - दीक्षा


एक गांव में एक लड़की थी। वह सोचती थी, ‘‘काश मेरे पास मैजिक होता, तो मैं मेरे गांव में जितने भी गरीब लोग हैं, उन्हें भी संपन्न आदमियों की तरह बना देती।’’ और यह बात वह हमेशा अपने मन में लिए रहती।

एक दिन उसे एक आइडिया मिला और उसमें उसने अपने मन की पूरी लिखने को सोचा और उसने पेन लिया और कागज लिया और उस पर उसने अपने मन की बात लिखी। तभी उसकी सहेली ने पूछा, ‘‘तुम क्या लिख रही हो।’’ उसने कहा, ‘‘कुछ नही।’’ और वह चली गई।

वह लड़की अपनी लिखी बात को अच्छे से समझकर सरपंच के पास गई। फिर उसे सरपंच से कहा, ‘‘हमारे गांव में जो भी गरीब लोग हैं उनके राशन फ्री कर दें, तो आपको वो हर बार वोट देते रहेंगे। फिर आप ऐसे ही हर बार कुछ करवाते रहेंगे, तो आप बहुत महान सरपंच बन जाएंगे और आपकी इज्जत बनी रहेगी।’’ लड़की की बात सरपंच को पसंद आई।

लड़की के कहने से सरपंच ने वैसा ही किया और गांव के जो गरीब लोग थे, उनके पक्के घर बन गए और उनके घर शौचालय भी बन गए और सड़क भी बन गई। उस लड़की के पास मैजिक न होने के बावजूद भी उसने अपने गांव को अपनी समझदारी से खुशहाल बना दिया।

कहानी 2 - गांव के बच्चे - अरविंद


एक गांव था। उस गांव में बहुत गंदगी थी। गांव के रास्ते में कीचड़ था। खेल का मैदान भी बहुत गंदा था। वहां कचरा पड़ा हुआ था। उस गांव के बच्चों ने एक दिन योजना बनाई कि हम अपने गांव को साफ-सुथरा बनाएंगे। उन्होंने तय किया कि अगले दिन जल्दी उठकर अपने गांव को साफ-सुथरा बनाएंगे।

अगले दिन सभी बच्चे गेती व फावड़े लेकर गली में पहुंच गए। बच्चों ने काम करना शुरू कर दिया। जहां रूका हुआ पानी था, वहां नालियां बना दी। खेल के मैदान में जो गढ्ढे थे, उनमें मिट्टी डाल दी। गांव के लोगों ने बच्चों को काम करते हुए देखा, तो वे भी काम करने लग गए। गांव की पूरी सफाई हो गई, अब उनका गांव साफ व सुंदर बन गया।

कहानी 3 - जब गिरे, तब अक्ल आई - अरसद


एक बार की बात है। बच्चे मैदान में खेल रहे थे। कीचड़ होने के कारण किसी बच्चे का पैर फिसल गया और उसके पैर में चोट लग गई। बच्चों ने इस घटना के बारे में सरपंच को बताने का निर्णय किया। उन्होंने सरपंच को सारी बात बताई किंतु सरपंच ने कोई मदद नहीं की।

एक दिन सरपंच उसी रास्ते से गुजर रहा था। उसका पैर फिसल गया और उसे भी चोट आई। बच्चों ने कहा कि सरपंच साहब यदि उस दिन आपने हमारी बात मान ली होती, तो आज यह नौबत नहीं आती। फिर सरपंच ने गांव की सारी गलियों एवं मैदान से कचरा एवं कीचड़ को साफ करवा दिया।

कहानी 4 - सूचना पटल का कमाल - रानी


एक गांव में एक लड़की रहती थी। उसके गांव के स्कूल में खेलने का ग्राउंड नहीं था। एक दिन जब मैं घर आई, तो बहुत उदास हो गई।

मम्मी-पापा ने पूछा - बेटी क्या हुआ?


लड़की ने कहा - पापा हमारे स्कूल में खेल के लिए ग्राउंड नहीं है, हम कहां खेलें?

एक दिन उसे एक बात याद आई। उसके गांव में बाल सूचना पटल लगा हुआ था, जिस पर बच्चों को अपनी समस्याएं लिखनी होती है। उसे पढ़कर सरपंच काम करा सकते हैं।

और लड़की ने पापा से कहा - पापा अगर हम अपनी बात गांव के सूचना पटल पर लिख दें, तो ग्राउंड बन सकता है।

पापा कहने लगे - बेटा ऐसे कुछ नहीं होता है, अगर ऐसा हो तो हम अपने गांव की हर समस्या का सुधार निकाल सकते हैं।

लड़की ने कहा - पापा ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ, पर मैं अब अपने गांव में सुधार लाउंगी।

अगले दिन सुबह वह अपने साथियों के पास गई और कहा - हम अपने गांव की समस्या सूचना पटल पर लिखें।उसने साथियों के साथ जाकर सूचना पटल पर अपनी समस्या लिखी, तो कुछ बच्चों ने मिटा दिया। पर उन्होंने उसी समस्या को दोबारा लिखा और तब तक लिखा, जब तक समस्या हल नही हो गई। सूचना पटल पर गांव के बच्चों की हर समस्या लिखी गई और रोड बनवाया, नाली बनवाई, नाली को ढककर रखा गया, स्कूल में ग्राउंड बनवाया, स्कूल में शौचालय बनवाया, पानी के लिए हैंडपंप लगवाया। इस प्रकार लड़की अपने काम में सफल रही।

कहानी 5 - तालाब में भैंस स्नान - मोहित


एक समय की बात है। एक गांव में एक व्यक्ति रहता था। उसके पास बहुत सारी भैंसें थीं। उसका एक लड़का था, जिसका नाम सोनू था। सोनू बहुत समझदार था। उसके पिताजी भैंसों को तालाब में नहलाने ले जाया करते थे। सोनू अपने पिताजी से कहा करता था कि वे भैसों को तालाब में नहलाने न ले जाया करें क्योंकि उससे तालाब का जल दूषित होता है और अनेक बीमारियां फैलती हैं। पर सोनू के पिताजी नहीं मानते थे ।

एक दिन सोनू तालाब में नहाने गया, तो उसके मुंह में गंदा पानी चला गया। वह बीमार हो गया। सोनू ने अपने पिताजी को सारी बात बता दी। फिर उसके पिताजी को समझ आ गई। उसके पिताजी ने भैंसों को तालाब में नहलाना बंद कर दिया और वे भैसों को बाहर नहलाने लगे।

कहानी 6 - कच्ची उमर के पक्के रिश्ते का दुख


एक गांव में दयावती नाम की एक लड़की रहती थी। उसकी एक बहन थी। दयावती को पढ़ाई-लिखाई का बहुत शौक था। सिर्फ पढ़ाई करने पर कुछ लड़कियां उसका मजाक उड़ाती थी। वो उसकी टीचर जी से यह बताती थी तो जब टीचर जी देखने आती थी, तो लड़कियां अपना काम करने लग जाती थी। टीचर जी उसे झूठी समझती। वह बार बार झूठी हो जाती, पर वो आई.पी.एस. बनना चाहती थी, इसलिए वह इन बातों पर ध्यान नहीं देती और खूब पढ़ती।

वह जब भी पढ़कर स्कूल से आती तो मम्मी-पापा से बोलती, ‘‘मैं आई.पी.एस. बनना चाहती हूं।’’ तो उसके मम्मी-पापा टाल देते। एक दिन वह स्कूल में ही थी कि उसके घर रिश्ता आ जाता है और उसके पापा उसकी सगाई की बात पक्की कर देते हैं।

जब दयावती स्कूल से आती है तो अपने पापा से बोलती है, ‘‘पापा मुझे शादी नहीं करना। मुझे पढ़कर आई.पी.एस. बनना है।’’ फिर भी उसके पापा उसकी शादी कर देते हैं।

वह अपने ससुराल में रोती रहती है। उसे बार-बार पढ़ाई की याद आती। दयावती को कुछ दिन में बच्चा हुआ, तो वो बीमार पड़ जाती है। उसका बच्चा भी कमजोर होता है। उसके बाद वह बार-बार बीमार पड़ती है। उसका सपना पूरा नहीं होता और वह हमेशा दुखी रहती है।

कविता -


काले बादल - अभिलाषा
काले बादल आते हैं, काले बादल आते हैं
घनघोर वर्षा करके जाते हैं
चारों तरफ छा जाती हरियाली
भर जाते नदी नाले हैं
काले बादल आते हैं, काले बादल आते हैं
घनघोर वर्षा करके जाते हैं

पानी एवं स्वच्छता पर बच्चों की साहित्यिक रचनाएंराजु कुमारस्वैच्छिक संस्था समर्थन द्वारा सेव द चिल्ड्रेन एवं वाटर एड के सहयोग से सीहोर जिले के सीहोर जनपद के बच्चों को बाल पत्रकारिता का प्रशिक्षण दिया गया। प्रतिभागी बाल पत्रकारों ने पानी एवं स्वच्छता के मुद्दे पर साहित्यिक रचनाएं भी की। ये रचनाएं अपने आसपास के वातावरण से उपजी हुई हैं। लघु कथाएं एवं कविताओं के रूप में ये मुद्दे को काफी करीब से देखने का मौका देती हैं। बच्चों की साहित्यिक रचनाएं -

कहानी 1 - लड़की का मैजिक - दीक्षा


एक गांव में एक लड़की थी। वह सोचती थी, ‘‘काश मेरे पास मैजिक होता, तो मैं मेरे गांव में जितने भी गरीब लोग हैं, उन्हें भी संपन्न आदमियों की तरह बना देती।’’ और यह बात वह हमेशा अपने मन में लिए रहती।

एक दिन उसे एक आइडिया मिला और उसमें उसने अपने मन की पूरी लिखने को सोचा और उसने पेन लिया और कागज लिया और उस पर उसने अपने मन की बात लिखी। तभी उसकी सहेली ने पूछा, ‘‘तुम क्या लिख रही हो।’’ उसने कहा, ‘‘कुछ नही।’’ और वह चली गई।

वह लड़की अपनी लिखी बात को अच्छे से समझकर सरपंच के पास गई। फिर उसे सरपंच से कहा, ‘‘हमारे गांव में जो भी गरीब लोग हैं उनके राशन फ्री कर दें, तो आपको वो हर बार वोट देते रहेंगे। फिर आप ऐसे ही हर बार कुछ करवाते रहेंगे, तो आप बहुत महान सरपंच बन जाएंगे और आपकी इज्जत बनी रहेगी।’’ लड़की की बात सरपंच को पसंद आई।

लड़की के कहने से सरपंच ने वैसा ही किया और गांव के जो गरीब लोग थे, उनके पक्के घर बन गए और उनके घर शौचालय भी बन गए और सड़क भी बन गई। उस लड़की के पास मैजिक न होने के बावजूद भी उसने अपने गांव को अपनी समझदारी से खुशहाल बना दिया।

कहानी 2 - गांव के बच्चे - अरविंद


एक गांव था। उस गांव में बहुत गंदगी थी। गांव के रास्ते में कीचड़ था। खेल का मैदान भी बहुत गंदा था। वहां कचरा पड़ा हुआ था। उस गांव के बच्चों ने एक दिन योजना बनाई कि हम अपने गांव को साफ-सुथरा बनाएंगे। उन्होंने तय किया कि अगले दिन जल्दी उठकर अपने गांव को साफ-सुथरा बनाएंगे।

अगले दिन सभी बच्चे गेती व फावड़े लेकर गली में पहुंच गए। बच्चों ने काम करना शुरू कर दिया। जहां रूका हुआ पानी था, वहां नालियां बना दी। खेल के मैदान में जो गढ्ढे थे, उनमें मिट्टी डाल दी। गांव के लोगों ने बच्चों को काम करते हुए देखा, तो वे भी काम करने लग गए। गांव की पूरी सफाई हो गई, अब उनका गांव साफ व सुंदर बन गया।

कहानी 3 - जब गिरे, तब अक्ल आई - अरसद


एक बार की बात है। बच्चे मैदान में खेल रहे थे। कीचड़ होने के कारण किसी बच्चे का पैर फिसल गया और उसके पैर में चोट लग गई। बच्चों ने इस घटना के बारे में सरपंच को बताने का निर्णय किया। उन्होंने सरपंच को सारी बात बताई किंतु सरपंच ने कोई मदद नहीं की।

एक दिन सरपंच उसी रास्ते से गुजर रहा था। उसका पैर फिसल गया और उसे भी चोट आई। बच्चों ने कहा कि सरपंच साहब यदि उस दिन आपने हमारी बात मान ली होती, तो आज यह नौबत नहीं आती। फिर सरपंच ने गांव की सारी गलियों एवं मैदान से कचरा एवं कीचड़ को साफ करवा दिया।

कहानी 4 - सूचना पटल का कमाल - रानी


एक गांव में एक लड़की रहती थी। उसके गांव के स्कूल में खेलने का ग्राउंड नहीं था। एक दिन जब मैं घर आई, तो बहुत उदास हो गई।

मम्मी-पापा ने पूछा - बेटी क्या हुआ?


लड़की ने कहा - पापा हमारे स्कूल में खेल के लिए ग्राउंड नहीं है, हम कहां खेलें?

एक दिन उसे एक बात याद आई। उसके गांव में बाल सूचना पटल लगा हुआ था, जिस पर बच्चों को अपनी समस्याएं लिखनी होती है। उसे पढ़कर सरपंच काम करा सकते हैं।

और लड़की ने पापा से कहा - पापा अगर हम अपनी बात गांव के सूचना पटल पर लिख दें, तो ग्राउंड बन सकता है।

पापा कहने लगे - बेटा ऐसे कुछ नहीं होता है, अगर ऐसा हो तो हम अपने गांव की हर समस्या का सुधार निकाल सकते हैं।

लड़की ने कहा - पापा ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ, पर मैं अब अपने गांव में सुधार लाउंगी।

अगले दिन सुबह वह अपने साथियों के पास गई और कहा - हम अपने गांव की समस्या सूचना पटल पर लिखें।उसने साथियों के साथ जाकर सूचना पटल पर अपनी समस्या लिखी, तो कुछ बच्चों ने मिटा दिया। पर उन्होंने उसी समस्या को दोबारा लिखा और तब तक लिखा, जब तक समस्या हल नही हो गई। सूचना पटल पर गांव के बच्चों की हर समस्या लिखी गई और रोड बनवाया, नाली बनवाई, नाली को ढककर रखा गया, स्कूल में ग्राउंड बनवाया, स्कूल में शौचालय बनवाया, पानी के लिए हैंडपंप लगवाया। इस प्रकार लड़की अपने काम में सफल रही।

कहानी 5 - तालाब में भैंस स्नान - मोहित


एक समय की बात है। एक गांव में एक व्यक्ति रहता था। उसके पास बहुत सारी भैंसें थीं। उसका एक लड़का था, जिसका नाम सोनू था। सोनू बहुत समझदार था। उसके पिताजी भैंसों को तालाब में नहलाने ले जाया करते थे। सोनू अपने पिताजी से कहा करता था कि वे भैसों को तालाब में नहलाने न ले जाया करें क्योंकि उससे तालाब का जल दूषित होता है और अनेक बीमारियां फैलती हैं। पर सोनू के पिताजी नहीं मानते थे ।

एक दिन सोनू तालाब में नहाने गया, तो उसके मुंह में गंदा पानी चला गया। वह बीमार हो गया। सोनू ने अपने पिताजी को सारी बात बता दी। फिर उसके पिताजी को समझ आ गई। उसके पिताजी ने भैंसों को तालाब में नहलाना बंद कर दिया और वे भैसों को बाहर नहलाने लगे।

कहानी 6 - कच्ची उमर के पक्के रिश्ते का दुख


एक गांव में दयावती नाम की एक लड़की रहती थी। उसकी एक बहन थी। दयावती को पढ़ाई-लिखाई का बहुत शौक था। सिर्फ पढ़ाई करने पर कुछ लड़कियां उसका मजाक उड़ाती थी। वो उसकी टीचर जी से यह बताती थी तो जब टीचर जी देखने आती थी, तो लड़कियां अपना काम करने लग जाती थी। टीचर जी उसे झूठी समझती। वह बार बार झूठी हो जाती, पर वो आई.पी.एस. बनना चाहती थी, इसलिए वह इन बातों पर ध्यान नहीं देती और खूब पढ़ती।

वह जब भी पढ़कर स्कूल से आती तो मम्मी-पापा से बोलती, ‘‘मैं आई.पी.एस. बनना चाहती हूं।’’ तो उसके मम्मी-पापा टाल देते। एक दिन वह स्कूल में ही थी कि उसके घर रिश्ता आ जाता है और उसके पापा उसकी सगाई की बात पक्की कर देते हैं।

जब दयावती स्कूल से आती है तो अपने पापा से बोलती है, ‘‘पापा मुझे शादी नहीं करना। मुझे पढ़कर आई.पी.एस. बनना है।’’ फिर भी उसके पापा उसकी शादी कर देते हैं।

वह अपने ससुराल में रोती रहती है। उसे बार-बार पढ़ाई की याद आती। दयावती को कुछ दिन में बच्चा हुआ, तो वो बीमार पड़ जाती है। उसका बच्चा भी कमजोर होता है। उसके बाद वह बार-बार बीमार पड़ती है। उसका सपना पूरा नहीं होता और वह हमेशा दुखी रहती है।

कविता -


काले बादल - अभिलाषा
काले बादल आते हैं, काले बादल आते हैं
घनघोर वर्षा करके जाते हैं
चारों तरफ छा जाती हरियाली
भर जाते नदी नाले हैं
काले बादल आते हैं, काले बादल आते हैं
घनघोर वर्षा करके जाते हैं

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