'पानी जहाँ जीवन नहीं, मौत देता है'


जयभीम नगर मेरठ मेडिकल कॉलिज के समीप बसी हुई करीब 15,000 आबादी की एक गरीब मलिन बस्ती है। यह बस्ती मेरठ नगर-निगम क्षेत्रान्तर्गत आती है। यहां के लोग एक सभासद् का चुनाव भी करते हैं। यहां के निवासी अत्यंत गरीब लोग हैं, जोकि प्रतिदिन कमाने व खाने पर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। कोई रिक्शा चलाकर अपना पेट पालता है तो कोई मजदूरी करके। कोई चांट का ठेला लगाता है तो कोई छोटी दुकान खोलकर दो रोटी कमा रहा है। अगर किसी गृह स्वामी ने किसी मजबूरीवश एक दिन की मजदूरी करने के लिए नहीं गया तो सम्भव है कि उसे व उसके परिवार को सायं का भोजन न मिले। इस बस्ती के पूर्व से काली नदी पूर्वी होकर बहती है जबकि इसके पश्चिम में मेडिकल कॉलेज का प्रदूषित पानी का तालाब स्थित है।

फिल्म में मेरठ शहर के जयभीम नगर की झुग्गी बस्ती में पानी के लिए मानवाधिकार का उल्लंघन दिखाया गया है। इस फिल्म में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि गंदी बस्ती में रहने वाला यह समुदाय किस प्रकार प्रदूषित भूजल पीने को मजबूर है और किस प्रकार वह गंदा पानी पीकर मौत को गले लगा रहा है। इन बस्तियों में गंदे दूषित पानी के कारण पिछले 5 वर्षों (2001-2006) में 124 मौतें हुई हैं जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इस फिल्म में पानी के प्रदूषण के कारण, इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभावों और इसके अलावा स्वास्थ्य से जुड़े मानवाधिकार के उल्लंघन को भी फिल्माया गया है।

यहां के लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पेयजल मौजूद नहीं है। निजी व सरकारी दोनों प्रकार के हैण्डपम्पों से प्रदूषित पानी आता है। स्वच्छ पेयजल की खोज के लिए यहां के लोग प्रतिदिन कई किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। जनहित फाउंडेशन द्वारा जयभीमनगर वासियों की समस्या को दूर करने हेतु पहल की गई। इस कार्य हेतु सर्वप्रथम यहां के हैण्डपम्पों के पानी का परीक्षण कराया गया तथा उसके पश्चात् एक स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन किया गया। पानी के परीक्षणों व स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन में बहुत ही खतरनाक स्थिति निकल कर सामने आई।

इसी क्रम में लोगों की इस गंभीर समस्या को उजागर करने व अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने हेतु एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई। इस फिल्म के माध्यम से जयभीमनगर वासी जिन कठिनाइयों से गुजर रहे हैं उस स्थिति को उजागर किया गया है। मात्र दस मिनट की इस फिल्म के माध्यम से इन लोगों की पेयजल संबंधी स्थिति व उनके स्वास्थ्य की बिगड़ती हालत बयां होती है। फिल्म में बड़े सटीक ढंग से एक गंभीर समस्या को उजागर किया गया है।

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