पानी की किल्लत, सोमालिया सबसे आगे, आइसलैंड श्रेष्ठ

25 Oct 2010
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एक नए सर्वे से पता चला है कि अफ्रीकी देशों में पानी की भारी किल्लत है और वहाँ अब उद्योग स्थापित करना और भी दुरूह हो गया है। ब्रिटेन की एक रिस्क कंसल्टेंसी फर्म मैपलक्रोफ्ट के सर्वे के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग और बढती हुई जनसंख्या की वजह से दुनिया के कई देशों में पानी की कमी उत्पन्न हो रही है और भविष्य में इसका गहरा असर कृषि और उद्योगों पर पडने वाला है। इस सर्वे से जुडी एन्ना मोस के अनुसार मौसम में बदलाव होते रहने से भविष्य में पानी की भारी तंगी का सामना करना पडेगा। सम्भवत: इससे इंसानों के बीच तनाव बढेगा।

इस कम्पनी के द्वारा तैयार 'वाटर सिक्यूरिटी रिस्क इंडेक्स' 165 देशों के सर्वे के ऊपर आधारित है और इस पर नजर डालें तो पता चलता है कि अधिकतर अफ्रीकी देशों में पानी की भारी किल्लत है। सबसे अधिक पानी की कमी जहाँ पाई गई है वे देश हैं - सोमालिया, मोरीतानिया और सुडान।

इस सर्वे के दौरान जिन बातों पर ध्यान केन्द्रीत किया गया था उनमें शामिल है स्वच्छ पानी की उपलब्धता, प्रति व्यक्ति पानी की मांग और नदियों पर निर्भरता। इस सर्वे से पता चला कि सोमालिया में मात्र 30% लोगों तक स्वच्छ पानी उपलब्ध है। इसके बाद जिन देशों का स्थान आता है वे है 6 - मोरितानिया, सुडान, नाइगर, इराक, उज़्बेकिस्तान, पाकिस्तान, इजिप्त, तुर्कमेनिस्तान और सीरिया।

जिन देशों में पानी की जरा सी भी किल्लत नहीं है वे देश हैं आइसलैंड, नोर्वे और न्यूज़ीलैंड। ये वे देश हैं जहाँ आबादी कम है और प्राकृतिक संतुलन स्थापित है। यहाँ वर्षा भी अच्छी होती है।

 

 

पानी की तंगी और तनाव:


पानी इंसान की मूल आवश्यकताओं में से एक है और इसकी कमी होने से इंसानों के बीच तनाव स्थापित होना स्वाभाविक है। आज भी भारत और पाकिस्तान सहित कई देश पानी के बँटवारे को लेकर आपस में उलझे हुए हैं। तनाव तब और बढ जाता है जब बारहों महिने बहने वाली नदियाँ एक से अधिक देशों से होकर गुजरती है। मानसून में परिवर्तन होने और ग्लेशियर पिघलने से पानी की उपलब्धता पर असर पडता है और दो देशों, दो राज्यों तथा लोगों का आपसी तनाव भी बढ जाता है।

आज जहाँ इंसानों तक स्वच्छ पानी की उपलब्धता नहीं है वहीं इस सर्वे के अनुसार कृषि में 70% स्वच्छ पानी का इस्तेमाल होता है तो उद्योगों के लिए 22%। और ऐसा भी नहीं है कि मात्र गरीब देशों में पानी की किल्लत है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी यही हाल है और शायद इसलिए इस सूचि में ऑस्ट्रेलिया 95वें, अमेरिका 104वें और स्पेन 68वें स्थान पर है।

 

 

 

 

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