पानी की कल-कल और आपकी वाटिका

18 Aug 2010
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जल न केवल प्राणदायी है, बल्कि अपनी शीतलता और कल-कल ध्वनि से तन-मन को ऊर्जावान बना देता है। कैसा लगेगा, अगर आपके यहां भी एक छोटा सा जलीय उद्यान हो। कैसे बनाएं जलीय उद्यान, बता रही हैं प्रतिभा आर्य।

जल प्रकृति की सबसे मधुर वस्तु है, न केवल प्राणदायी, अपितु अपनी शीतलता और मर्र-मर्र, कल-कल ध्वनि से तन, मन को प्राणवान बना देता है। वाटिका में जल का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है और यह केवल आज से नहीं, अपितु प्राचीनकाल से ही, चाहे भारतीय पद्धति के रहे हों या मुगलकालीन अथवा पाश्चात्य या फिर जापानी उद्यान, जल का सबमें महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। आपके मन में भी यह इच्छा अवश्य होती होगी कि आपके यहां भी एक छोटा-सा जलीय उद्यान हो, जहां शीतल जल की धारा बहती हो। उसके बहने की कल-कल ध्वनि आती रहे। आज मैं ऐसे जलीय उद्यान की बात कर रही हूं, जिसका जल स्थिर न होकर बहता हो, चाहे झरने के रूप में, चाहे नन्ही जलधारा के रूप में।

स्थिर जल की अपेक्षा बहता हुआ जल एक अलग प्रकार का आनंद देता है। बहता हुआ जल जीवन का प्रतीक है। उसमें से बहते जल की मर्र-मर्र कल-कल हल्की मधुर ध्वनि नन्ही-सी वाटिका में संगीत बिखेर देती है। इसके लिए दो विधियां हैं।

एक यह कि वाटिका के कोने में पत्थर के बीच एक जल प्रपात बनाकर पानी को पत्थरों के बीच में से गिराते हुए एक नन्हे जलाशय में एकत्र किया जाए या फिर बहती हुई जलधारा को ऊपर-नीचे ढलान देते हुए पत्थरों के बीच के नन्हे प्रपातों से होते हुए जल की धारा को वाटिका के एक कोने से दूसरे कोने तक ले जाया जाए। ये दोनों ही योजनाएं आपकी वाटिका की स्थिति, लंबाई-चौड़ाई पर निर्भर करती हैं।

यदि आपके पास केवल एक कोना मात्र है तो आप उस कोने में अनगढ़ प्राकृतिक पत्थरों द्वारा एक छोटी-सी पहाड़ी प्राकृतिक आकार देकर बना लें। पहाड़ी के पीछे सदाबहार ऊंचे पौधे का झुरमुट जैसा बांस, नरकुल, बॉटलब्रश, ताड़ वर्गीय पौधे, साइप्रस, पॉम जैसे ऊंचे पौधे हों, जो उसे हरी पृष्ठभूमि व छाया द्वारा एक स्वाभाविक प्राकृतिक रूप प्रदान करें। फिर पत्थरों के बीच के खाली स्थान में गिट्टी भरकर सदाबहार पौधे, जैसे फर्न, एस्पारागस या फिर छोटे-छोटे विभिन्न रंग के पत्तों व आकृति वाले घासनुमा पौधे भरकर इस पहाड़ी को एक प्राकृतिक रूप प्रदान कर दें। इस पहाड़ी के सामने गोलाकार या फिर अंडाकार या फिर किसी भी टेढ़ी-मेढ़ी आकृति का जलाशय बना लें। यह पूरी संयोजना सही अनुपात व एक-दूसरे से समन्वयात्मक रूप से होनी चाहिए। बहुत अधिक सजावट के लिए उसमें कृत्रिमता न भर दी जाए। इस जलाशय के भी एक किनारे में एम्ब्रैलाप्रेमा, फर्न, एस्पारागस जैसे सदाबहार सुंदर पत्तों वाले पौधे लगाकर उसे एक मोहक आकर्षक परंतु प्राकृतिक रूप प्रदान करें। अब जल की व्यवस्था के लिए पानी की एक पाइप को छिपाते हुए पत्थरों के बीच में ले जाएं और उसमें नीचे की ओर कूलर वाला पंप जोड़कर उस जलाशय में पौधों के बीच में रख दें।

इस प्रकार जलाशय के बीच में से पानी ऊपर पत्थर में जाकर एक नन्हे झरने के रूप में नीचे बहकर आता रहेगा। अब आप जब चाहें बिजली द्वारा इस पंप को चालू करके एक सुंदर प्राकृतिक झरने का आनंद लेते हुए उसकी कल-कल ध्वनि का आनंद उठाएं। कृत्रिम होते हुए भी यह झरना अत्यंत आकर्षक व प्राकृतिक लगेगा। इस जलाशय का आकार पहाड़ी की ऊंचाई के अनुपात में ही बनाएं। इन पत्थरों को कभी रंगें नहीं, पत्थरों को भी अनगढ़ रहने दें, जितने अनगढ़ होंगे उतने स्वाभाविक लगेंगे। कई बार सीलन व गर्मी के कारण पत्थरों पर काई जम जाती है तो उसे उतारें नहीं, यह काई उसके सौन्दर्य को बढ़ा देगी।

नहर की तरह के जलोद्यान के लिए बड़ा खुला स्थान चाहिए ताकि उसमें बहते पानी के लिए उचित व्यवस्था हो सके। यदि आपके पास खुला स्थान है तो वृक्षों, झाड़ियों के बीच में से बहती जलधारा को आप वाटिका के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जा सकते हैं। संभव हो तो यह जलधारा समतल न होकर ऊपर-नीचे ढलान वाली हो ताकि पानी जब ऊपर-नीचे होकर हल्के-हल्के झरने बनाकर बहे तो उसमें पानी के बहने की कल-कल ध्वनि अवश्य आती रहे, जो कानों को प्रिय तो लगेगी ही, साथ ही अत्यंत आकर्षक दृश्य की संयोजना भी हो सकती है। कुंज में पत्थरों के बीच से होकर आधी धूप ढकी जलधारा, इधर-उधर घूमती-फिरती किसी पर्वतीय स्नोत की भांति घुमावदार, थोड़ा ऊपर से गिरती, छोटे-छोटे प्रपात बनाती, हरी-भरी झाड़ियों के बीच से होती हुई वाटिका के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंच जाए, पानी हल्के-हल्के मंद गति से बहता रहे। बीच-बीच में कहीं सुनहरी मछलियां हों या फिर बांस के बने छोटे-छोटे पुल। इस तरह आप किसी सुंदर दृश्य को अपने उद्यान के धरातल पर उकेर लेंगे। पानी के लिए उसी प्रकार पंप की व्यवस्था की जानी चाहिए कि इधर से उधर को निरंतर प्रवाह बना रहे।

इस जलाशय को आप जितना स्वाभाविक व नैसर्गिक रूप प्रदान कर सकेंगे उतना ही उसका आकर्षण बढ़ेगा। इस नहर के किनारे फर्न, सदाबहार आकर्षक पत्तों वाले पौधे, नन्ही-नन्ही झाड़ियां, तरह-तरह के अनगढ़ रंग-बिरंगे पत्थर, नन्हे कंदीय पुष्प, ये सब आप अपनी कल्पना के अनुसार नए-नए प्रयोग कर सकते हैं।
 
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