पानी पुनरुत्थान पहल की जरूरत

9 Dec 2013
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नगर के मध्य कुओं, तालाबों, मंदिरों तक जल-जीवन को बचाने के लिए अपने पारंपरिक जल-संरक्षण के विधियों के पुनरुत्थान की पहल में भागीदारी का न्यौता देते हुए पुनः जल में भरी गगरियों को जय-सागर तालाब में रखकर पूजन के साथ पानी पुनरुत्थान पहल में भागीदारी का संकल्प लेकर लिए गए जल को वापस उसी में छोड़ा गया। इस कलश यात्रा का उद्देश्य “पानी पुनरुत्थान पहल” जय सागर तालाब में श्रमदान अनुष्ठान का संदेश भागीदारी के लिए नगरवासियों को प्रेरित करना था। बुंदेलखंड क्षेत्र के उन पानीदार स्वजनों तक हाली-हालतों की अंर्तमुखी जुबान की दो पंक्तियां पहुंचाने की कोशिश है जो इस धरती के अन्न, जल, वायु, माटी, ऊर्जा (प्रकाश) और संस्कृति के कर्ज़दार हो अथवा इस पावन धरती की कृषि एवं ऋषि संस्कृति की परंपराओं पर विश्वास रखते हों।

पानी उन पंचमहाभूतों में से एक ऐसा प्रकृति प्रदत्त तत्व है जिसकी शरीर संरचना में तीन चौथाई भागीदारी है। जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, जिस पर सदा से समाज के सभी तबकों जीव-जंतु, जानवर, पशु -पक्षी, पेड़-पौधे, वनस्पति सबकी जरूरत के अनुरूप समान हिस्सेदारी रही है। आखिर ऐसे महत्वपूर्ण तत्व “पानी” के सूखते जल स्रोत और दिन-ब-दिन भूमि जल संकट से हताहत पशु परिंदे और जनपानी के लिए धूमिल होते रिश्तों की हत्या, पानी पर पुलिस के पहरे, बाजार में बिकता पानी तो आम बात हो चुकी थी पर अब आबरु के मोल पानी की घटना सुनकर व पढ़कर भी यदि इस धरती के “लाल” की रगों में बहता लाल खून नहीं खौलता और वीरांगनाओं की त्योरी नहीं चढ़ी तो वह दिन दूर नहीं जब उनकी आँखों के सामने ये सब होकर गुजरेंगे और वह सिर्फ देखने सुनने और सहने के लिए विवश होंगे यदि वक्त के साथ खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

ये दो पंक्तियां और चंद शब्द सिर्फ उत्तेजना के लिए नहीं है। ये सिर्फ चिंतन, मनन कर परिस्थितियों को जाँचने, समझने फिर पानी के लिए युद्ध नहीं अपने उपायों को खोजने, बचाने का अनुरोध है। पानी पर सबकी समान हकदारी के लिए पारंपरिक जल प्रबंधन, संरक्षण के पुनरुत्थान में भागीदारी ही तात्कालिक और दीर्घकालिक उपाय हैं। इसी श्रृंखला में स्वैच्छिक, सामाजिक, प्राकृतिक विचारधारा के पक्षधर पर स्वप्रेरित स्वजनों की सांझी शुरूआत “पानी पुनरुत्थान पहल” के तत्वाधान में बुंदेलखंड के काश्मीर रहे चरखारी के तालाबों को बचाने का अनुष्ठान-श्रमदान-जनांदोलन 04 अप्रैल 2008 को अपरान्ह 1.00 बजे दिन में दूरदराज एवं निकटवर्ती ग्रामीणों, नगरवासियों की उपस्थिति में प्रारंभ किया गया था। यह अनुष्ठान श्रमदान “पानी पुनरुत्थान पहल” की परंपरा को बढ़ाने में भविष्य में मील का पत्थर साबित होगी।

पानी पुनरुत्थान पहल की साझी शुरुआत का पहला दिन


कलश यात्रा


जय सागर तालाब चरखारी के मध्य एकत्र हो रही माटी के गागर के साथ नगर की नारियों की टोलियों के द्वारा गाए जा रहे पारंपरिक तीज-त्योहार-विवाहोत्सव आदि अवसरों के समय के गीतों की श्रृंखला उपस्थित नगर एवं क्षेत्रीय जनों को जो कुछ क्षण पहले तक सूखा संकट से टूट रहे सामाजिक सरोकारों की चर्चा से मर्माहित दिख रहे थे उनके चेहरों में निराशा की जगह आशा और उम्मीद की चमक उभर रही थी। विभिन्न स्कूलों से आए बच्चे आह्लादित हो कर दौड़ रहे थे।प्रातः 7:30 बजे 108 गगरियों में जय सागर तालाब के कुछ हिस्से में बचे पानी को जो पुरइन के पत्तों और कमल के फूलों के पुरातन रिश्तों को बचाने का जतन करता दिख रहा था उसे भरकर सिर पर रखकर नगर की गलियों की ओर निकल पड़ी। ढोल की थाप और नगड़िया की कड़कड़ाहट के बीच नारियों के मंगल गीतों को स्वर लहरी के साथ शंखनाद ने घरों के अंदर से परिवारजनों को निकालने के लिए प्रेरित किया वही डगरोहियों, स्कूल जा रहे बच्चों को रोक कर इस दृश्य को देखने के लिए विवश किया।

नगर के मध्य कुओं, तालाबों, मंदिरों तक जल-जीवन को बचाने के लिए अपने पारंपरिक जल-संरक्षण के विधियों के पुनरुत्थान की पहल में भागीदारी का न्यौता देते हुए पुनः जल में भरी गगरियों को जय-सागर तालाब में रखकर पूजन के साथ पानी पुनरुत्थान पहल में भागीदारी का संकल्प लेकर लिए गए जल को वापस उसी में छोड़ा गया। इस कलश यात्रा का उद्देश्य “पानी पुनरुत्थान पहल” जय सागर तालाब में श्रमदान अनुष्ठान का संदेश भागीदारी के लिए नगरवासियों को प्रेरित करना था।

चर्चा/संगोष्ठी बैठक


कलश यात्रा के समापन की चर्चा/संगोष्ठी बैठक में परिवर्तित कर दिया गया। कलश यात्रा में शामिल नगर की नारियों परिवारों के प्रतिनिधियों एवं विभिन्न समुदायों के प्रमुख व्यक्तियों, शिक्षाविदों, स्वैच्छिक, सामाजिक, किसान, छात्र संगठनों से जोड़कर रखने वाले रचनात्मक साथियों की उपस्थिति में सभी के विचार आमंत्रित किए गए। उपस्थित प्रतिभागियों में श्रमदान-अनुष्ठान के लिए योजना निर्माण किया और एक राय बनाकर निर्णय लिया कि उपस्थित घर व्यक्ति एक समुदाय का हिस्सा है जो अपने पड़ोसियों व संपर्क रिश्तों तक संदेश देने का सतत प्रयास किया। जय सागर तालाब में श्रमदान अनुष्ठान से जोड़ने का श्रमदान-अनुष्ठान के लिए योजना निर्माण किया और एक राह बनाकर निर्णय लिया कि उपस्थित हर व्यक्ति एक समुदाय का हिस्सा है जो अपने पड़ोसियों व संपर्क रिश्तों तक सतत प्रयास करेगा। जय सागर तालाब में श्रमदान अनुष्ठान के लिए नगर से बाहर के आने वाले श्रमदानियों को रहने रुकने एवं भोजन की व्यवस्था हेतु श्री अरविंद सिंह चौहान अध्यक्ष नगरपालिका परिषद चरखारी ने स्वयं खड़े होकर अनुरोध कर लिया वही पर उपस्थित श्री सतीश श्रीवास्तव ने भोजन व्यवस्था को अपने हाथों लेकर एक नए श्रमदान का संकल्प लिया स्वैच्छिक गतिविधियों से जुड़े श्री शिवविजय सिंह प्रबंधक कस्तूरबा आवासीय विद्यालय मौदहा, हमीरपुर ने प्रस्ताव रखा कि प्रत्येक 5 दिनों के श्रमदान अनुष्ठान की भागीदारी के लिए स्वैच्छिक सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं की सूची स्वीकृति से एक निश्चित क्रमबद्धता बनी रहेगी श्रमदान के साथ विषयों पर परिचर्चाओं के लिए तयशुदा समय अपने उद्देश्य में पूरक होगा।

बुंदेली प्रकृति प्रहरी, नेचर कीपर श्री प्रमोद कुमार सिंह ने अपने सभी सहयोगी जल प्रहरी ग्राम प्रहरी साथियों से परिचय कराया उनकी भागीदारी के 30 दिनों के संकल्प को पलामू झारखंड से आए जल प्रहरी श्री रामफल ने पढ़कर सुनाया इस संगोष्ठी का संचालन पानी पुनरुत्थान पहल पंथी पुष्पेंद्र भाई ने किया।

भोजन सत्र


पानी पुनरुत्थान पहल जय सागर तालाब श्रमदान अनुष्ठान के लिए दूर दराज इलाकों प्रदेशों से पधारे साथियों मोहनराम धर्मशाला के प्रांगण में एक साथ बैठकर भोजन मंत्र उच्चारण उपरांत भोजन किया। इस सत्र में 217 साथियों ने भाग लिया। मुख्यतः ललितपुर झांसी, उरई (जालौन), हमीरपुर, महोबा, बाँदा, चित्रकूट, सतना, छतरपुर, टीकमगण, मध्य प्रदेश, लखनऊ दिल्ली, झारखंड से आए स्वैच्छिक सामाजिक संगठनों समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों की भागीदारी रही। राजनैतिक सरोकार रखने वाले पानी के प्रति जागरूक साथी भी इस सत्र में शामिल हुए।

इस सत्र के प्रमुख श्री सतीश श्रीवास्तव ने सभी प्रतिभागियों को पानी पुनरुत्थान पहल में सहभागिता के लिए साधुवाद देकर अपने साथियों के साथ भागीदारी बनाए रखने के लिए आमंत्रित किया।

सर्वधर्म प्रार्थना संदेश


अपरान्ह 2:30 बजे जय सागर तालाब की गोद में बनाए छाया-बान के साए में एकत्र बुंदेलखंड उ.प्र. के विभिन्न जनपदों के सामाजिक कार्यकर्ता, किसान, हुनरमंद, साहित्यकार, शिक्षाविद, जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक एवं विभागाधिकारी छात्र के साथ हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, धर्मों के विद्वान धर्माचार्यों द्वारा अपने-अपने धर्म शास्त्रों में मौजूद प्रकृति प्राणी, परमेश्वर, पदार्थ, के महत्व का उल्लेख कर पानी के अस्तित्व पर केंद्रित विचार प्रस्तुत किए गए। विद्वान धर्माचार्यों ने बुंदेलखंड के सूखा संकट भी विभीषिका के पीछे मानव की नासमझी से किए जा रहे सतत कार्यों के परिणाम बताते हुए प्रकृति के संरक्षण की हिमायती परंपराओं को अपनाने पर जोर दिया गया।

सर्वधर्म प्रार्थना में सभी धर्माचार्यों ने पानी के महत्व को बताते हुए उल्लेख किया गया कि पानी के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती, इसलिए पानी के लिए उन सभी उपायों को समझ कर संचार कर पानी पुनरुत्थान पहल के प्रत्येक पहलू की दिशा में श्रमदान-अनुष्ठान के लिए समाज को प्रेरित कर शुरुआत करनी है। उन्होंने मुखार होकर कहा कि आपस के भेदभाव को दरकिनार कर जय सागर-तालाब से श्रमदान अनुष्ठान की सभी शुरूआत करें। इस पहल में शामिल परोक्ष-अपरोक्ष सभी सहयोगियों को भागीरथ की संज्ञा दी।

भूमि, जल, गौ, अंत, वृक्ष पूजन


अपरान्ह 3:30 बजे से धर्माचार्यों, गायत्री परिवार के विद्वानों ने भूमि, जल, गौ, अन्न, वृक्ष का विधिवत मंत्रोच्चारण कर कराया पूजन में पानी पुनरुत्थान पहल के स्थानीय प्रभारी प्रकृति प्रहरी पी.के. सिंह किसान श्री कृष्ण कुमार भारतीय पूर्व अध्यक्ष-जिला पंचायत बाँदा, उरई, जालौन से आए सामाजिक कार्यकर्ता श्री रामकृष्ण शुक्ला संयोजक आपदा निवारक मंच बुंदेलखंड ने एक साथ बैठकर पूजन किया। गायत्री परिवार के विद्वानों ने लयबद्ध संगीत के साथ मंत्रोच्चारण कर विधि-विधान के साथ पूजन संपन्न कराया।

श्रमदान शुभारंभ


उपरांत पूजन सभी धर्माचार्य, बुंदेली जल प्रहरी, प्रकृति प्रहरी, इकोलॉजिस्ट, ग्राम प्रहरी, किसान छात्र-छात्राएं, शिक्षक,सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि- बने श्रमदानी तालाब के उत्तरी मार्ग पहुँचे जहाँ पर काले रंग का एक कपड़ा पोटली जुमा बंधा था। नेचरकीपर पी.के. सिंह बुंदेली प्रकृति प्रहरी श्री शिवविजय सिंह बुंदेली जल प्रहरी श्री रामलखन द्विवेदी जी के साथ कतार बद्ध बुंदेली जल प्रहरी खड़े थे वहाँ तक सभी प्रमुख धर्माचार्य व श्रमदानियों के साथ पानी पुनरुत्थान पंथी श्री अरविंद सिंह चौहान अध्यक्ष-नगरपालिका परिषद चरखारी पहुँचे- प्रकृति प्रहरी श्री पी.के. सिंह श्री शिवविजय सिंह व बुंदेली जल प्रहरी श्रीराम लखन द्विवेदी ने सीटी के साथ इशारे और सभी धर्माचार्यों व प्रमुख व्यक्तियों को ध्वजा तक लाकर साथ डोरी खींचने को इंगित किया। सभी के द्वारा एक साथ डोरी खींचते ही एक काले रंग का आवरण वस्त्र उड़कर नीचे गिरा उसमें कुछ इवारत लिखी थी के बाद श्री रामलखन द्वारा वस्त्र में लिखी इवारतों को पढ़ा गया तत्पश्चात संकल्प संगम हुआ। उस आवरण के आलेख होते ही सफेद वस्त्र फहराया जिसमें लिखा था “पानी पुनरुत्थान पहल” जय सागर तालाब चरखारी बस इस के साथ फावड़ा कुदाल, डलियां की अपनी खनक श्रमदानियों की उत्साही आवाज ही सुनाई पड़ने लगी एक घंटे तक चले श्रमदान अनुष्ठान में बच्चे-बूढ़े, महिलाएं, समाज सरकार और बाजार का अनूठा संगम दिख रहा था इस महासंगम में फावड़ा, कुदाल हर कांधा पर रखी थी सभी उपस्थित जनवार चार आंकठ में डूबने की लालसा के साथ श्रमदान-अनुष्ठान की धारा के साथ-साथ बहते नजर आने लगे- जिनकी तादाद करना मुमकिन न हो की संख्या तकरीबन दो हजार से अधिक आंकी गई।

विश्राम-विराम


लोक संगीत/बुंदेली ढिमराई राग-श्रमदान अनुष्ठान के उपरांत बुंदेली राई, नगर के स्थानीय कलाकारों ने अपनी शैली में तालाब, मछली, सिंघाड़ा, कमल और समुदाय के रिश्तों को राग रागनी में बांधकर लयबद्ध किया उपस्थित जनों ने सराहा, इस कार्यक्रम में श्री रामेश्वर, रामकिशोर, कल्लू, जगराम, परमेश्वरीदीन आदि कलाकारों ने प्रस्तुति की। इस लोक संगीत को उपस्थित जनों ने सराहना की और कलाकारों को उत्साहवर्धन किया। नगरपालिका अध्यक्ष सरदार प्यारा सिंह, छतरपुर (म.प्र.) द्वारा सभी कलाकारों का तिलक कर सम्मान किया गया। तथास्तु सभी उपस्थित जनों को जलपान कराकर श्रमदान अनुष्ठान की नित्यप्रति सहयोग-सहभागिता हेतु श्री अरविंद सिंह चौहान के द्वारा अनुरोध किया गया।

मौन साधना की शंखनाद


मौन साधना केंद्र के केंद्रीय संचालक डॉ. सुनीत वियोगी जी ने निश्चित समय 6:50-7:05 में नित्यप्रति संवादित की जाने वाली मौन साधना का शुभ भोजन जय सागर की गोद में ही रखा गया। साधना में शामिल बुंदेली जल प्रहरी, प्रकृति प्रहरी, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद चरखारी श्री अरविंद सिंह चौहान, सभासद गण, नगर के युवा, पहाड़िया की कु. नीतू सक्सेना, कु. गुड़िया परिहार, कु. रीना परिहार, मुख्य रूप से शामिल हुए. डॉ.वियोगी के मौन साधना के संपूर्ण नियम संयम किया को बताकर औपचारिक रूप से संपन्न कराया गया। उन्होंने बताया कि नित्य प्रति निश्चित समय 6:50-7:05 तक मौन होकर दिन भर के कार्यों को ठीक-ठीक समझना यानी अच्छे बुरे का हिसाब करना होता है, अगले दिन हम अच्छे कार्य करेंगे इसके लिए निदान मन तक करना होता है। इसे सभी धर्मों के अनुयाई कर सकते हैं। डॉ. वियोगी ने बताया कि श्रमदान कर पानी के पारंपरिक जल संरक्षण की विधियों को बनाना सर्वोपरि पुनीत कार्य है। मौन साधना से आत्म उत्साह आत्म संयम सधेगा, तदोपरांत शंखनाद ध्वनि से मौन साधना संपन्न हुई।

द्वितीय दिवस 5 अप्रैल से 9 अप्रैल तक


पानी पुनरुत्थान पहल श्रमदान अनुष्ठान की ज़िम्मेदारी के निर्वाहन हेतु ग्राम स्वराज प्रहरी प्रशिक्षण संस्थान पडुई, बाँदा, उर्मिल सेवा आश्रम बाँदा, नगर पालिका चरखारी महोबा, मौन साधना केंद्र महोबा, समाधान करहरा कला महोबा द्वारा अपने साथियों सहित पानी पुनरुत्थान पहल श्रमदान को गति प्रदान करने के संकल्प को पूरा किया जिसमें 648 श्रमदानियों ने निरंतर चार दिवस तक कार्य क्रमानुसार श्रमदान अनुष्ठान में भागीदारी कर अपने तालाबों की संस्कृति को बचाने में अपना योगदान प्रदान किया।

इन पाँच दिवस की जबरदस्त पहल से नगरवासियों-डगरोहियों एवं बाहर आने जाने वाले यात्रियों को श्रमदान जैसे पवित्र कार्य हेतु संवेदित करने का कार्य किया जिससे संख्या में इज़ाफा होता दिखाई दिया।

10 अप्रैल से 15 अप्रैल तक पानी


पुनरुत्थान पहल की कमान हेतु कस्तूरबा आवासीय बाल विकास विद्यालय हमीरपुर के नौनिहाल 125 बच्चे, विद्यालय के अध्यापकगण आरवत समाधान केंद्र पाहड़िया पनवाड़ी महोबा की सुश्री गुड़िया परिहार, नीतू, रीना, दीपा,के 11 साथी, चूल्हा बंदी सत्याग्रह झारखंड के श्री रामफल, चूल्हा बंदी सत्याग्रही परिवार पडुई बाँदा से 11 साथी, भारत प्रकृति सेवाश्रम बड़ोखर बुजुर्ग बाँदा के पंकज श्रीवास्तव 11 श्रमदानी के साथ पहल को मजबूती प्रदान किया, इसके साथ ही अग्रणी संघ परिवार ने अपनी पूरी गणवेश के साथ श्रमदान स्थल में तालाब की माटी को सर से लगाकर तालाबों को पुनर्जीवन देने हेतु आकर श्रमदान स्थल को अनुशासन और कार्य करने का पाठ पढ़ाया दो घंटे पूरी मेहनत से जो श्रमदान महायज्ञ में श्रम की आहुति डाली उसमें पूरी चरखारी में लोगों के मनों में ऐसे पवित्र कार्य करने का लालसा जाग गई और फिर बिना कहे लोगों की कतारें श्रमदान के लिए आती रही। इसके साथ ही शासन से श्रममंत्री कुंवर बादशाह सिंह का मन श्रमदान करने हेतु बन गया और दिनांक 12 तारीख को पूरे लाव लश्कर के साथ श्रमदान स्थल में दो घंटे का श्रम करके बुंदेलों को इस पवित्र कार्य हेतु उत्साह प्रदान किया। वार्ड सं. 11, वार्ड सं. 12, वार्ड सं. 09, वार्ड सं. 05 से जबरदस्त श्रमदानी आकर अपना योगदान प्रदान किया। जहाँ एक ओर लोगों को श्रमदान के प्रति संवेदना जगी वही लोगों को अपनी पानी की पारंपरिक विधियों के उजड़ने के दर्द का अहसास हुआ। पूरे पाँच दिवस में श्रमदानियों की तादाद 2152 रही।

16 अप्रैल 2008 से 21 अप्रैल 2008


16 अप्रैल से श्रमदान अनुष्ठान पहल हेतु जनपद ललितपुर से ग्राम स्वराज प्रहरी सेवा संस्थान ललितपुर के श्री सूरत भाई अपने 5 साथी, मऊरानीपुर से ग्राम प्रबंधन संस्थान के श्री महेंद्र तिवारी 5 साथियों सहित, छिरौरा झाँसी से ग्राम संवर्द्धन संस्थान से श्री वीरबहादुर 5 साथियों सहित बदायूं समग्र विकास सेवाश्रम की सुश्री सविता अपने 11 साथियों सहित, उरई से आपदा निवारक मंच के श्री रामकृष्ण शुक्ला अपने पाँच साथियों को लेकर श्रमदान अनुष्ठान के इस महायज्ञ में अपने श्रमदान आहुति देकर जयसागर तालाब एवं चरखारी नगर में तालाबों, पोखरों को बचाने के कार्य में योगदान 31 साथी जिन्होंने निरंतर पाँच दिवस तक श्रमदान किया वहीं नगर पालिका परिषद के 55 साथी जिनका निरंतर योगदान एवं अन्य नगरवासी जिनकी पांच दिवस में संख्या 2440 रही श्रमदानियों की निरंतर संख्या में बढ़ोतरी अनुष्ठान की सफलता का परिचायक एवं उत्साहवर्धक रहा। नगर में वार्ड नं. 2, वार्ड नं. 6, एवं वार्ड नं. 7, से श्रमदानियों का तांता लगा रहा।

22 अप्रैल 2008 से 27 अप्रैल 2008


श्रमदान अनुष्ठान का तीसरा पाँच दिवस में पूरे उत्साह के साथ सर्वोदय शोधसमिति महोबा के श्री नरेश भाई 11 साथियों के साथ सर्वोदय सेवाश्रम चित्रकूट के श्री अभिमन्यू सिंह 5 साथियों के साथ, भारतीय ज्ञानोदय संस्थान हमीरपुर के श्री रामकिशोर, जल बिरादरी उ.प्र. श्री अरविंद 7 साथियों सहित, विज्ञान शिक्षा केंद्र डॉ. भारतेंद्र प्रकाश एवं शोभना प्रकाश सहित भाजपा उपाध्यक्ष छतरपुर म.प्र. के रिवर कीपर श्री अरविंद सिंह बुंदेला 6 साथियों सहित विद्यालय परिवार के आचार्य बंधु सहित 445 लोगों ने अपना सक्रिय योगदान कर साबित कर दिया कि हम किसी शासन प्रशासन के मोहताज नहीं है हम अपनी संस्कृति, अपने संसाधन, अपनी भूमि, अपना पानी, स्वयं बचा सकते हैं। उपस्थित श्रमदानियों सहित नगर के गणमान्य नागरिकों ने संकल्प लिया कि यहाँ से जाने के बाद अपने शहर के नगर के, गाँव के जल संरक्षण क्षेत्रों को बचाने हेतु लोगों को संबोधित कर इस महायज्ञ श्रमदान अनुष्ठान की।सुगंध से वातावरण का सृजन कर पुनः बुंदेलखंड को हरा भरा बनाने का कार्य किया जाएगा। वार्ड नं. 10, वार्ड नं. 17, वार्ड नं. 19 से लोगों ने निरंतर श्रमदान किया इन पूरे पांच दिवस 1782 लोगों ने श्रमदान कर जीवन को बचाने हेतु अपना योगदान दिया।

28 अप्रैल 2008 से 2 मई 2008


28 अप्रैल से पानी पुनरुत्थान पहल के श्रमदान अनुष्ठान महायज्ञ की सृजनात्मक सुगंध पाकर सागर से आरवत समाधान केंद्र की सुश्री दीप्ति अपने 5 साथियों के साथ, युवाविकास मंच सुल्तानपुर अवध से श्री सुनील सिंह, कालीजर बाँदा कालीजर शोध संस्थान के श्री अरविंद छिरौलिया अपने-अपने 5 साथियों सहित, कृषि शोध संस्थान महोबा के श्री मनोज, पंकज अपने 3 साथियों सहित, बाँदा से सरदार बल्लभ भाई पटेल बाल शिक्षा समिति से 11 साथियों सहित आकर पूरे पांच दिवस श्रमदान कर तालाबों के पुनर्जीवन देने का योगदान दिया। इसके साथ नियमित 31 साथी जो प्रतिदिन निरंतर श्रमदान में सम्मिलित होकर पानी पन्थियों को भोजन एवं अभ्यास कार्यों को समयानुसार संचालित करने में निरंतर अपना योगदान देते चले आ रहे हैं। वार्ड न. 1, वार्ड नं. 4, वार्ड नं. 12, वार्ड नं. 15, वार्ड नं. 22 से श्रमदानी इसके अतिरिक्त सरस्वती बाल मंदिर, प्राथमिक वि्दयालय चरखारी के 240 बच्चे, इंटर कालेज 500 बच्चे सहित आचार्य बंधुओं बढ़-चढ़कर श्रमदान कर महसूस कराया कि जिसे देश का भावी कर्णधार कहते हैं वो यहाँ की धरती से ही अपनी संस्कृति अपनी धरोहर, अपनी भूमि को बचाने हेतु अग्रणी भूमिका का निर्वाहन किया। लगभग 1280 बच्चों एवं 900 श्रमदानियों ने मिलजुलकर श्रमदान किया।

2 मई 2008 से 6 मई 2008


सागर म.प्र. से आचार्य नरेंद्र देव सर्व सेवा आश्रम मऊ से श्री रामलखन द्विवेदी, सागर से अभ्युदय संस्थान श्री आर एस. शर्मा अपने 2 साथियों के साथ सेक्टर प्रभारी बी.एस.पी. श्री विशेश्वर प्रसाद अपने पांच साथियों, अखिल भारतीय रचनात्मक समाज हमीरपुर के श्री ब्रजमोहन भाई अपने 11 साथियों के साथ, नेत्रहीन असहाय चित्रकूट से श्री बाबू सिंह अपने 15 साथियों के साथ, आदित्य सेवा संस्थान मानिकपुर चित्रकूट से श्री प्रतापसिंह अपने 2 साथियों सहित दिव्या ग्रामोद्योग सेवा संस्थान महोबा के श्री पी.के. गुप्ता 02 साथियों के साथ, महासचिव जिला कांग्रेस कमेटी टीकमगढ़ म.प्र. से श्री लल्लू मिश्रा अपने 4 साथियों के साथ मीडिया सेंटर प्रभारी बाँदा से श्री सूरज तिवारी अपने 2 साथियों के साथ, सोपान पत्रिका के श्री आशीष सहित नियमित नगर पालिका परिषद के 55 श्रमदानी, वार्ड नं. 2, वार्ड नं. 25 नं. 6, वार्ड नं. 7, वार्ड 11, वार्ड नं. 12 श्रमदानी ने पांच दिनों में कुल 1930 श्रमदानियों ने अपनी सहभागिता निभाकर जनमानस में गहरी छाप छोड़ दिया, जिसे इतिहास याद रखेगा।

06 मई से 09 मई 2008


पानी पुररुत्थान पहल श्रमदान अनुष्ठान महायज्ञ का सृजनात्मक सुगंध संतों तक छाई जिसको देखने संत विट्ठल महाराज परमात्मा शक्ति पीठ ने इच्छा जाहिर कर श्रमदान अनुष्ठान को आगे बढ़ाने को कहा।

जिसे आगे बढ़ाने हेतु नरेंद्र सिंह उ.मा. विद्यालय चरखारी की प्रधानाचार्य श्रीमती सरोज नायक के नेतृत्व में 180 बालिकाओं, नगर पालिका परिषद के नियमित श्रमदानी 55, वार्ड नं. 3, वार्ड नं. 10, वार्ड नं. 17, वार्ड नं. 10, से नारियों ने श्रमदान को आगे बढ़ाकर परंपरा को निर्वाहन किया। पूरे तीन दिवस में 1725 लोगों ने श्रमदान किया।

दिनांक 09/05/08 को श्री विट्ठल महाराज ठीक 7:30 पर जयसागर तालाब पहुंचकर श्रमदान अनुष्ठान में अपने सहयोगियों सहित शामिल हुए। पानी पुनरुत्थान पहल जयसागर में पहुंचकर माटी से ही पवित्र हुए तिलक वंदन किया और फिर पानी पुनरुत्थान पहल पताका पर कमल पुष्प अर्पित कर अभियान की सफलता के लिए प्रार्थना की और फिर श्रमदानियों के साथ माटी के भरे तसले ढोए।

इसके उपरान्त समय 11 बजे से सरस्वती विद्या मंदिर में लगभग 508 बालक बालिकाओं के बीच प्रकृति एवं परंपरा की समझ हेतु आध्यात्मिक चिंतन, विद्यार्थियों के जीवनचर्या एवं नैतिक, समुदाय दायित्वों का बोध जीवन में 64 कलाओं का प्रभाव आदि पर विस्तृत प्रवचनों के माध्यम से बच्चों को आशीर्वाद प्रदान किया।

समय 2 बजे से श्री राममोहन धर्मशाला में पानी पुनरुत्थान पंथी श्रम सम्मान उत्सव में भाग लेकर संत विट्ठल महाराज ने श्रमदानियों का एवं चरखारी नगर की धरती को नमन करते हुए कहा कि लगता है इस धरती से मैं कभी न जाऊ उन्होंने तालाबों के फटे दर्रों का दर्द देखकर विह्वल होकर रोने लगे और कहा इस दुर्दशा को बचाने के लिए आप सबने जो योगदान दिया है वह प्रशंसनीय है। विट्ठल महाराज, नगरपालिक परिषद चेयरमैन, अरविंद सिंह चौहान ग्राम स्वराज्य प्रहरी प्रशिक्षण संस्थान पडुई के श्री पुष्पेंद्र भाई, उर्मिल सेवा आश्रम के श्री पी.के. सिंह, भारत प्रकृति सेवाश्रम के पंकज श्रीवास्तव, मीडिया के पत्रकार बंधुओं, चूल्हा बंदी सत्याग्रह झारखंड के श्री रामफल भाई द्वारा उ.प्र. के श्रमिकों का सम्मान पद प्राच्छालन कर किया। एक अलग तरीके का माहौल, श्रमिकों के चेहरे में मुस्कान, उनका गदगद होना देखने योग्य था। वास्तव में श्रम का सम्मान हो जाए तो श्रम का महत्व बढ़ जाए और लोक श्रम की महत्ता को समझे।

अंत में श्री विट्ठल महाराज ने 60 श्रमिकों को दरी वितरण कर उन्हें सम्मान से नवाजा और कहा हम आपके साथ हैं।

नगर पालिका चेयरमैन श्री अरविंद सिंह चौहान ने सभी श्रमदानी, बाहर से आए उ.प्र. जलप्रहरी जिन्होंने निरंतर अपनी सेवाएं इस नगर को दी, स्वयं सेवी संस्थान के साथ जिन्होंने आकर अपना योगदान दिया और सारे नगरवासी सभी का आभार व्यक्त कर कहा कि यह नगर आप सभी का आभारी रहेगा।

अंत में विट्ठल प्रसाद का वितरण कर कार्यक्रम का समापन किया गया। श्रम सम्मान पद प्राच्छालन को देख श्रमिकों की संख्या बढ़ी लगभग 280 श्रमिकों का पद प्राच्छालन किया गया।

सार


पानी पुनरुत्थान पहल का श्रमदान अनुष्ठान महायज्ञ की शुरुआत और सफलता हेतु देश के अलग-अलग कोने से आए जलप्रहरी, प्रकृति प्रहरी, ग्राम, ग्राम प्रहरी शिक्षा विद, राजनैतिक, आध्यात्मिक जगत मीडिया जगत के प्रख्यात प्रबुद्ध, जागरूक पंथियों ने अपना योगदान देकर पारंपरिक संपदाओं के पुनर्जीवन में अपनी भूमिका अदा की।लगभग 30 बुंदेली जलप्रहरी पूरे 36 दिन तक लगातार श्रम अनुष्ठान में समयदान देकर पूरे महायज्ञ को कैसे संचालित किया जाए वह कार्य इन लोगों ने किया। नगरपालिका परिषद के 55 सफाई कर्मी जो अपनी ड्यूटी के बाद अतिरिक्त 2 घंटे श्रमदान कार्य कर अत्यंत सराहनीय कार्य है। इसके साथ ही विद्यालयों का निरंतर सहयोग ने पूरे अभियान की सफलता में चार चांद लगा दिया। कुल मिलाकर श्रमदान अनुष्ठान का शंखनाद चरखारी से पूरे बुंदेलखंड में फैला और पूरे बुंदेलखंड में सामाजिक जगत, राजनीतिक जगत, आध्यात्मिक जगत, शिक्षा जगत सहित लोग अपनी भूमि अपने परंपरागत जल स्रोतों के बचाने हेतु आगे आए हैं।

सबसे अहम बात यह रही कि निरंतर जिला प्रशासन शासन के नुमाइंदों ने समय-समय पर आकर जिसमें विकास खंड से वी.डी.ओ. एस.डी.एम. मुख्य विकास अधिकारी, जिलाधिकारी श्री विश्वास पंत, कमिश्नर एवं शासन से श्रम मंत्री कु. बादशाह सिंह सहित लोग आकर यहां के कार्य के तौर तरीके जाने और स्वयं श्रमदान कर जनता के बीच का जो गैप था उसने समाप्त करने की कोशिश की एवं नीतियों में परिवर्तनकर खेत का पानी खेत में जिसमें प्रत्येक ग्राम में 10 तालाबों का निर्माण हेतु तुरंत स्वीकृत प्रदान कर कार्य प्रारंभ किया इसके साथ ज्वाइंट डाइरेक्टर कृषि भूमि संरक्षण निदेशक सहित एक दर्जन अधिकारियों ने तालाबों का संरक्षण के व्यवहारिक तत्व को समझकर यहां के प्रयोग को अपने प्रोजेक्ट एरिया के यहां के जल प्रहरी, प्रकृति प्रहरी के सहयोग से चला कर कार्य में सफलता प्राप्त करने का कार्य किया।

लगभग 18975 श्रमदानियों ने श्रमदान कर अभूतपूर्व सफलता अर्जित कर अकाल के काल में जल संरक्षण के उत्थान विधियों में सक्रिय सहयोग कर पानी पर सामुदायिक भागीदारी बनाए रखने का उदाहरण बने।

इसी श्रृंखला में सूखा, अकाल में समाधान हेतु चरखारी नगर से ही पुनरुत्थान पहल का शुभारंभ कर वर्ष में 1000 पलायन कर रहे परिवारों को रोज़गार एवं उनके पारंपरिक हुनर को पुनर्स्थापित करवा कर उन्हें खुशहाल बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है जो जनहित में लाभ पहुँचा रहा है।

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