पेंच व्यपवर्तन परियोजना: मेधा पाटकर समेत 17 गिरफ्तार एवं रिहा

बांध का काम जबदरस्ती आगे बढ़ाने तथा किसानों से गांव खाली कराने के लिए सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। एडवोकेट आराधना भार्गव को 3 नवम्बर 2012 को धारा 151 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें अभी तक जमानत नहीं मिल पाई है। आंदोलन को देखते हुए पूरे छिंदवाड़ा जिले में धारा 144 लागू है। विरोध के लिए शामिल हुई मेधा पाटकर और उनके दो साथियों को छिंदवाड़ा में किसी निजी मकान में नजरबंद किया गया।

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा में प्रस्तावित पेंच व्यपवर्तन परियोजना विरोध करने पहुंची नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता सुश्री मेधा पाटकर और 17 कार्यकर्ताओं को 4 नवम्बर को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया तथा 7 नवम्बर को उनके सहित सभी कार्यकर्ताओं को एक-एक हजार के निजी मुचलके पर कोर्ट के आदेश के बाद रिहा किया गया। रिहा होने के पश्चात सुश्री पाटकर ने उनकी गिरफ्तारी को नियम के विरुद्ध बताया तथा कहा कि सरकार इस तरह से एक जायज मांग को दबाने की कोशिश कर रही है।उल्लेखनीय है कि भारी विरोध के बावजूद पेंच व्यपवर्तन विरोध के तहत पेंच नदी पर बांध निर्माण का कार्य 4 नवम्बर से शुरू कर दिया गया था। इस परियोजना से क्षेत्र के 31 गांव डूब क्षेत्र में आ रहे हैं।

लगभग 5600 हेक्टेयर भूमि किसानों की है, जिसमें से अधिकांश किसानों के भूमि अर्जन का कार्य शुरू नहीं हुआ है। प्रस्तावित मुआवजे में वर्तमान स्थिति में वैकल्पिक जमीन खरीद पाना संभव नहीं है, इससे किसान बर्बाद हो जायेंगे, उनकी इतनी अधिक उपजाऊ जमीन जबरन डूब में आ रही है। ज्ञातव्य है कि बांध का काम जबदरस्ती आगे बढ़ाने तथा किसानों से गांव खाली कराने के लिए सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। एडवोकेट आराधना भार्गव को 3 नवम्बर 2012 को धारा 151 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें अभी तक जमानत नहीं मिल पाई है। आंदोलन को देखते हुए पूरे छिंदवाड़ा जिले में धारा 144 लागू है। विरोध के लिए शामिल हुई मेधा पाटकर और उनके दो साथियों को छिंदवाड़ा में किसी निजी मकान में नजरबंद किया गया। पश्चात गिरफ्तारी कर जेल भेज दिया गया था। इस कारण लोकतंत्र की हत्या के विरोध में उन्हें जेल में ही अनशन शुरू कर दिया था।

गिरफ्तारी और बांध के विरोध में एडवोकेट सुषमा प्रजापति, देवकी मारावी एवं राजेश तिवारी (बरगी बांध विस्थापित संघ), भीमगढ़ बांध विस्थापित प्रतिनिधि जमील खान, किसान संघर्ष समिति के पेंच बांध एवं अडानी पॉवर परियोजना के विस्थापित प्रतिनिधि भी सत्याग्रह पर बैठे थे। गौरतलब है कि कार्यकर्ताओं को अवैध रूप से बंधक बनाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई है। इस याचिका को सामाजिक कार्यकर्ता अनुराग मोदी ने दायर की। इस घटनाक्रम के खिलाफ जनसंघर्ष मोर्चा के अलावा देश भर के संगठनों - किसान मंच, भारतीय किसान, यूनियन, किसान संघर्ष समिति, इंसाफ, समाजवादी संगठनों ने भी सरकार की इस कार्यवाही का कड़ा विरोध किया है।

कारपोरेट घरानों के लाभ के लिए जनता के हितों की बलि न चढ़ाएं


‘जन संघर्ष मोर्चा’ ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अदान पेंच पॉवर परियोजना में बंदूक की नोंक पर हो रहे विस्थापन की निंदा की है और तथाकथित विकास परियोजना में निजी निवेश की वैधानिक प्रक्रिया में अपेक्षित पारदर्शिता की मांग की है। जन संघर्ष मोर्चा ने राज्य सरकार की बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा को बलि चढ़ाकर कारपोरेट घरानों को लाभ दिलाने एवं किसानों को जबरन बेदखली की कड़ी निंदा की है। मोर्चा ने राज्य सरकार से अपील की है कि वे कारपोरेट लॉबी के लाभ की वेदी पर आम आदमी के हितों को बलि न चढ़ाएं। ज्ञातव्य है कि जन संघर्ष मोर्चा उन जन संगठनों का साझा मंच है, जिसमें नर्मदा बचाओ आंदोलन, समाजवादी जन परिषद, जाग्रत दलित आदिवासी संगठन, बरगी बांध विस्थापित संगठन, भोपाल गैस पीड़ित महिला संगठन, मध्यप्रदेश महिला मंच, श्रमिक आदिवासी संगठन आदि शामिल हैं।

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