पेयजल एवं स्वच्छता पर ‘‘मुहाली’’ के बाल पत्रकार

24 Oct 2013
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स्वैच्छिक संस्था समर्थन द्वारा सेव द चिल्ड्रेन एवं वाटर एड के सहयोग से सीहोर जिले के बच्चों को बाल पत्रकारिता का प्रशिक्षण दिया गया। मुहाली गांव के बाल पत्रकारों द्वारा पानी एवं स्वच्छता के मुद्दे पर लिखी गईं रिपोर्ट्स -

गर्मी में प्यासे रह जाते हैं पशु - दुर्गेंश, 7वीं


हमारे गांव में बहुत सारे पशु हैं। हमारे यहां जगदीश दा के यहां बहुत सारी गाय है और उनके लिए पानी की व्यवस्था वो 2 कि.मी. दूर टैंकर से लाकर करते हैं। उन्हीं की एक डेयरी भी है और वहां डॉक्टर भी है। हमारे यहां सरकारी डेयरी भी है और एक प्राईवेट डेयरी भी है। सरकारी डेयरी का दूध लेने टैंकर आता है। हमारे यहां लोग पशुओं को जंगल में चरने के लिए छोड़ जाते हैं और शाम को घर ले आते हैं। हरी चीजों से गाय दूध अच्छा देती है। हमारे यहां के जगदीश दा बहुत दूर-दूर से गाय लाते हैं, वे अलग-अलग नस्ल की होती है। हमारे यहां गाय 6 से 7 लीटर दूध देती है। हमें गायों के लिए पानी लाने में दिक्कत होती है। हमें गाय को स्वच्छ जल पिलाना चाहिए, नहीं तो वह बीमार हो जाएगी। गर्मी में पानी की कमी से हमारे गांव में पशु प्यासे रह जाते हैं।

गांव में ग्राउंड नहीं - दुर्गेंश, 7वीं


मुझे क्रिकेट बहुत पसंद है और हमारे गांव में कई बच्चों को भी क्रिकेट पसंद है। हमने हमारे यहां सरपंच से कहा था कि गांव में ग्राउंड बनवाएं, और उन्होंने खेलने का ग्राउंड नहीं बनवाया। हमारे गांव मे टूर्नामेंट ना होने के कारण हमारी टीम को दूर-दूर खेलने जाना पड़ता है।

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