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पीने का पानी तक पहुंच

धरती की सतह के लगभग 70% हिस्से में होने के बावजूद अधिकांश पानी खारा है. स्वच्छ पानी धरती के लगभग सभी आबादी वाले क्षेत्रों में उपलब्ध है, हालांकि यह महंगा हो सकता है और आपूर्ति हमेशा स्थायी नहीं हो सकती है. पानी प्राप्त करने वाले स्रोतों में निम्नांकित शामिल हो सकते हैं:

जमीनी स्रोत जैसे कि भूजल, हाइपोरेइक क्षेत्र और एक्विफायर.
वर्षण जिनमें वर्षा, ओले, बर्फ, कोहरे आदि शामिल हैं.
सतही पानी जैसे कि नदियां, जलधाराएं, ग्लेशियर.
जैविक स्रोत जैसे कि पौधे.
समुद्र विलवणीकरण (डीसैलिनेशन) के माध्यम से.

झरने का पानी जो एक प्राकृतिक संसाधन है जिससे ज्यादातर बोतलबंद पानी तैयार होता है, आम तौर पर इसमें खनिज मौजूद होते हैं.[10] विकसित देशों में घरेलू जल वितरण प्रणाली द्वारा पहुंचाए जाने वाले नल के पानी (टैप वाटर) का मतलब है एक नल के माध्यम से पाइपों के जरिये घरों तक ले जाया गया पानी. ये सभी पानी के स्वरुप आम तौर पर पीने के काम में आते हैं जिन्हें अक्सर छानकर (फिल्टरेशन) शुद्ध किया जाता है.

पीने योग्य पानी के स्थानांतरण और वितरण का सबसे प्रभावी तरीका पाइपों के माध्यम से है. पाइपलाइन तैयार करने में काफी मात्रा में पूंजी निवेश की आवश्यकता हो सकती है. कुछ प्रणालियां उच्च परिचालन लागत से ग्रस्त हैं. औद्योगिक देशों के खराब होते पानी और स्वच्छता संबंधी बुनियादी सुविधाओं को बदलने की लागत अधिक से अधिक 200 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष तक हो सकती है. पाइपों से अनुपचारित और उपचारित पानी का रिसाव पानी तक पहुंच को कम करता है. शहरी प्रणालियों में 50% तक रिसाव की दरें असामान्य नहीं हैं.

उच्च प्रारंभिक निवेश की वजह से कई कम अमीर देश उपयुक्त बुनियादी ढांचों को विकसित या कायम रखने का भार बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और इसके परिणाम स्वरूप इन क्षेत्रों के लोगों को अपनी आय का एक अपेक्षाकृत बड़ा हिस्सा पानी पर खर्च करना पड़ सकता है.[13] उदाहरण के लिए अल सल्वाडोर से प्राप्त 2003 के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि 20% सबसे गरीब परिवार अपनी आय का 10% से अधिक हिस्सा पानी पर खर्च करते हैं. युनाइटेड किंगडम के प्राधिकरण एक कठिनाई की स्थिति में एक व्यक्ति की आय का 3% से अधिक हिस्सा पानी पर खर्च किये जाने के रूप में परिभाषित करते हैं.

बिना सुरक्षित पीने के पानी की पहुंच वाले लोगों के अनुपात को आधा करने का सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेंट गोल) संभवतः 1990 और 2015 के बीच हासिल किया जा सकता है. हालांकि कुछ देश अभी भी भारी चुनौतियों का सामना करते हैं.

ग्रामीण समुदाय 2015 एमडीजी पीने के पानी के लक्ष्य को पूरा करने से काफी दूर हैं. दुनिया भर में ग्रामीण जनसंख्या के केवल 27% के घरों में सीधे तौर पर पाइप के जरिये पीने का पानी पहुंचाया जाता है और 24% आबादी असंशोधित स्रोतों पर निर्भर करती है. एक असंशोधित पानी के स्रोत की पहुंच के बिना 884 मिलियन लोगों में से 746 मिलियन लोग (84%) ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. उप-सहाराई अफ्रीका ने 1990 के बाद से संशोधित जन स्रोतों के मामले में सबसे कम प्रगति की है जहां 2006 तक केवल 9% का सुधार हुआ है. इसके विपरीत पूर्वी एशियाई क्षेत्र में इसी अवधि के दौरान असंशोधित पानी पर निर्भरता में 45% से 9% की नाटकीय गिरावट देखी गयी है.]

अन्य स्रोतों से:




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बाहरी कड़ियाँ:
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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):

पीने का पानी की आवश्यकताएं


पानी की मात्रा व्यक्ति के साथ बदलती रहती है क्योंकि यह व्यक्ति की स्थिति पर, शारीरिक व्यायाम की मात्रा और वातावरण के तापमान और आर्द्रता पर निर्भर करती है.[19] अमेरिका में पानी के लिए दैनिक सेवन की सिफारिश (रेफरेंस डेली इनटेक) (आरडीआई) 18 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों के लिए प्रति दिन 3.7 लीटर है और 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए यह मात्रा 2.7 लीटर है जिसमें खाद्य सामग्रियों, पेय पदार्थों और पेय जलों में निहित पानी शामिल है. यह एक आम गलतफहमी है कि हर व्यक्ति को प्रति दिन दो लीटर (68 औंस, या लगभग 8-औंस ग्लास) पानी पीना चाहिए और यह वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा समर्थित नहीं है. इस विषय पर 2002 और 2008 के बीच प्रदर्शित सभी वैज्ञानिक रचनाओं की विभिन्न समीक्षाओं में प्रतिदिन आठ ग्लास पानी की सिफारिश का कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं पाया जा सका.

उदाहरण के लिए, गर्म जलवायु में रहने वाले लोगों को अपेक्षाकृत ठंडी जलवायु में रहने वाले लोगों की तुलना में अधिक से अधिक मात्रा में पीने के पानी की आवश्यकता होगी. किसी व्यक्ति की प्यास एक विशिष्ट, निर्धारित संख्या की बजाय इस बात का बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करता है कि उसे कितना पानी पीने की आवश्यकता है. एक और अधिक लचीला दिशानिर्देश यह है कि एक सामान्य व्यक्ति को प्रति दिन 4 बार मूत्र त्याग करना चाहिए और मूत्र एक हल्के पीले रंग का होना चाहिए.

श्वसन, पसीना और मूत्रत्याग जैसी सामान्य शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से हुई पानी की क्षति को पूरा करने के लिए एक निरंतर आपूर्ति की जरूरत है. खाद्य सामग्री 0.5 से 1 लीटर का योगदान करती है और प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट 0.25 से 0.4 लीटर अतिरिक्त पानी का उत्पादन करते हैं जिसका मतलब है कि आरडीआई को पूरा करने के क्रम में पुरुषों को 2 से 3 लीटर और महिलाओं को 1 से 2 लीटर पानी तरल पदार्थ के रूप में ग्रहण करना चाहिए. खनिज संबंधी पोषक तत्वों की मात्रा के संदर्भ में यह स्पष्ट नहीं है कि पीने के पानी का योगदान कितना होना चाहिए. हालांकि अकार्बनिक खनिज आम तौर पर तूफानी जल के प्रवाह या पृथ्वी की परतों के माध्यम से सतही जल और भूजल में प्रवेश करते हैं. उपचार की प्रक्रियाएं भी कुछ खनिजों की उपस्थिति का कारण बनती हैं. इसके उदाहरणों में कैल्शियम, जिंक, मैंगनीज फॉस्फेट, फ्लोराइड और सोडियम के यौगिक शामिल हैं.

पोषक तत्वों के जैव रासायनिक चयापचय से उत्पन्न पानी कुछ सन्धिपादों और रेगिस्तानी प्राणियों के लिए दैनिक पानी की आवश्यकता का एक काफी बड़ा अनुपात प्रदान करता है लेकिन इनसे मनुष्यों के पीने के लिए आवश्यक पानी का बहुत ही कम हिस्सा प्राप्त होता है. वस्तुतः सभी पीने योग्य पानी में विभिन्न प्रकार के सांकेतिक तत्व मौजूद होते हैं जिनमें से कुछ चयापचय में एक भूमिका निभाते हैं. उदाहरण के लिए सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइड ज्यादातर पानी में थोड़ी मात्रा में पाए जाने वाले आम रसायन हैं और ये तत्व शारीरिक चापापचय में एक भूमिका (आवश्यक रूप से बड़ी भूमिका नहीं) निभाते हैं. जबकि फ्लोराइड जैसे अन्य तत्व कम मात्रा में लाभकारी होते हैं जो अधिक मात्रा में मौजूद होने पर दांत की समस्याएं और अन्य परेशानियां पैदा कर सकते हैं. पानी हमारे शरीर की वृद्धि और रखरखाव के लिए आवश्यक है क्योंकि यह कई जैविक प्रक्रियाओं में शामिल होता है.

काफी मात्रा में पसीना निकलना इलेक्ट्रोलाइट के प्रतिस्थापन की आवश्यकता को बढ़ा सकता है. पानी की विषाक्तता (वाटर इनटॉक्सीकेशन) (जिसके परिणाम स्वरूप हाइपोनैट्रेमिया (अल्पसोडियमरक्तता) होता है), बहुत तेजी से बहुत अधिक पानी पीना घातक हो सकती है.

मनुष्य के गुर्दे विभिन्न स्तर के पानी के सेवन के प्रति आम तौर पर अपने को समायोजित कर लेते हैं. ऐसे में गुर्दों को पानी के सेवन के नए स्तर को समायोजित करने के लिए समय की आवश्यकता होगी. इसके कारण वह व्यक्ति जो बहुत अधिक पानी पीता है वह नियमित रूप से कम पानी पीने वाले व्यक्ति की तुलना में बड़ी आसानी से निर्जलित हो सकता है. जीवन रक्षा वर्गों का सुझाव है कि ऐसे व्यक्ति को जिसके कम पानी वाले (जैसे कि रेगिस्तान में) वातावरण में रहने की आवश्यकता होती है, उसे बहुत अधिक पानी नहीं पीना चाहिए, बल्कि इसकी बजाय अपनी यात्रा की शुरुआत से पहले कई दिनों तक कम होती मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए जिससे कि उसके गुर्दे संकेंद्रित मूत्र तैयार करने के लिए अभ्यस्त हो जाएं[citation needed]. इस पद्धति का इस्तेमाल नहीं करना घातक समझा जाता है.[

संदर्भ:
1 - http://hi.wikipedia.org/wiki/

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