प्रकाश पर्व पर प्रकाश प्रदूषण

28 Oct 2018
0 mins read
दीपावली
दीपावली
दीपावली (फोटो साभार - विकिपीडिया) दीपावली को प्रकाश पर्व कहा जाता है। अमावस की इस रात को हम ज्यादा-से-ज्यादा कृत्रिम रोशनी या प्रकाश फैलाकर अन्धेरे के साम्राज्य को समाप्त या कम करने का प्रयास करते हैं। उपभोक्तावादी इस समय में तो दीपावली के अलावा भी रोजाना बहुत अधिक कृत्रिम प्रकाश फैलाया जाता है।

आवश्यकता से अधिक फैलाया गया यह कृत्रिम प्रकाश-ही-प्रकाश प्रदूषण की समस्या पैदा कर रहा है। कृत्रिम रोशनी या प्रकाश से आकाश की प्राकृतिक अवस्था में आया परिवर्तन प्रकाश-प्रदूषण कहलाता है। राष्ट्रीय व राज्य मार्गों तथा शहरों, गाँवों की सड़कों पर लगी लाइट, जगमगाते बाजार, मॉल्स, खेल के मैदान, विज्ञापन बोर्ड, वाहनों की हैडलाइट तथा मकानों के परिसर में लगी लाइट्स आदि प्रमुख रूप से प्रकाश प्रदूषण हेतु जिम्मेदार बताए गए हैं।

विभिन्न माध्यमों से फैल रहे कृत्रिम प्रकाश का अध्ययन सर्वप्रथम इटली के वैज्ञानिक डॉ. पी. सिजनोमे ने वर्ष 2000 के आसपास सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों की मदद से किया था। इस अध्ययन के आधार पर बताया गया था कि धरती के ऊपर आकाश का लगभग 20 से 22 प्रतिशत भाग प्रकाश प्रदूषण की चपेट में है। कनाडा व जापान का 90 प्रतिशत, योरोपीय संघ के देशों का 85 प्रतिशत एवं अमरीका का 62 प्रतिशत आकाश प्रकाश प्रदूषण से प्रभावित है। लंदन के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल इंजीनियर्स’ के अनुसार धरती के ऊपर आकाश का 20 प्रतिशत भाग वैश्विक स्तर पर प्रकाश प्रदूषण के घेरे में है।

वर्ष 2016 में अमेरिका के ‘नासा’ (नेशनल एरोनाटिक स्पेस एडमिनिस्ट्रशन) के वैज्ञानिकों ने भी उपग्रहों से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया था कि विश्व के कई हिस्सों में प्रकाश-प्रदूषण लगातार फैलता जा रहा है।

विभिन्न माध्यमों से निकले कृत्रिम प्रकाश की काफी मात्रा आकाश में पहुँचकर वहाँ उपस्थित कणों (धूल व अन्य) से टकराकर वापस आ जाती है, जिससे आकाश व तारे साफ दिखाई नहीं देते। नक्षत्र वैज्ञानिकों के अनुसार कृष्ण-पक्ष की साफ-सुथरी रात में बादल आदि नहीं होने की स्थिति में किसी स्थान से लगभग 2500 तारे देखे जा सकते हैं। जहाँ प्रकाश प्रदूषण नगण्य होता है वहाँ यह एक आदर्श स्थिति मानी गई है। प्रदूषण बढ़ने से तारों के दिखने की संख्या घटती जाती है। हाल में किये गए कुछ अध्ययनों के अनुसार अमेरिका में न्यूयार्क के आसपास 250 एवं मैनहटन में केवल 15-20 तारे ही आकाश में दिखाई देते हैं।

बढ़ता प्रकाश प्रदूषण मानव स्वास्थ्य, कीट पतंगों व पक्षियों, पेड़-पौधों तथा जलीय जीवों पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। तनाव, सिरदर्द, देखने की क्षमता में कमी तथा हार्मोन सन्तुलन में गड़बड़ी आदि मानव स्वास्थ्य पर होने वाले सामान्य प्रभाव हैं। कृत्रिम प्रकाश में लम्बे समय तक कार्य करने से स्तन व कोलोरेक्टल कैंसर की सम्भावना बढ़ जाती है।

कुछ वर्षों पूर्व ‘फर्टीलिटी एंड स्टेरिलिटी (fertility and sterility) जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार प्रकाश-प्रदूषण मेलाटोनिन (melatonin) हार्मोन की मात्रा कम कर स्त्रियों की प्रजनन क्षमता तथा पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या व गुणवत्ता को कम कर रहा है। कीट-पतंगों व पक्षियों की जैविक-घड़ी (बायोलॉजिकल क्लॉक) भी प्रकाश प्रदूषण के प्रभाव से गड़बड़ा रही है। चाँद व धुँधले प्रकाश में अपना रास्ता तय करने वाले कई कीट-पतंगे तेज प्रकाश से रास्ता भूल जाते हैं।

फिलाडेल्फिया (अमेरिका) के कीट वैज्ञानिक प्रो. केनेश फ्रेंक के अनुसार तेज प्रकाश में तितलियाँ सम्भोग नहीं कर पातीं एवं मार्ग भी भटक जाती हैं। टोरंटो की एक संस्था के अध्ययन के अनुसार अमेरिका की जगमगाती गगनचुम्बी इमारतों से प्रतिवर्ष लगभग दस करोड़ पक्षी टकराकर घायल हो जाते हैं या मर जाते हैं। इसका कारण यह है कि अन्धेरा होने पर जब पक्षी वापस लौटते हैं तो तेज प्रकाश के कारण वे भ्रमित हो जाते हैं।

जल वैज्ञानिक बताते हैं कि रात के समय जलाशयों में पानी के जीव सतह पर आकर छोटे-छोटे शैवाल (एल्गी) खाते हैं। जलाशयों के आसपास तेज कृत्रिम प्रकाश के कारण जल-जन्तु भ्रमित होकर सतह पर नहीं आते एवं भूख से मर जाते हैं। फूल बनने हेतु कई पौधों में एक निश्चित समय की प्रकाश अवधि (फोटोपीरियड) जरूरी होती है। कृत्रिम प्रकाश इस अवधि में गड़बड़ पैदा करता है।

प्रकाश प्रदूषण की समस्या से हमारा देश भी अछूता नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व नई दिल्ली स्थित ‘नेहरू तारा मंडल’ ने खगोल-शास्त्रीयों के साथ छः माह तक अध्ययन कर बताया था कि प्रकाश प्रदूषण के सन्दर्भ में यूरोप, अमरीका व जापान के बाद भारत का चौथा स्थान है। लगभग 2800 किमी की ऊँचाई से उपग्रहों की मदद से लिये गए चित्रों के अनुसार दिल्ली गहरे प्रकाश प्रदूषण से प्रभावित था। अन्य शहरों में चंडीगढ़, अमृतसर, पुणे, मुम्बई, कोलकाता, लखनऊ, कानपुर व इन्दौर भी काफी प्रभावित बताए गए थे।

पर्यावरण वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में पर्यावरण को सबसे ज्यादा खतरा प्रकाश प्रदूषण से ही होगा। प्रकाश प्रदूषण से ऊर्जा की भी बर्बादी होती है। इतनी ऊर्जा को पैदा करने में लगभग 1.20 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड, जो कि एक ग्रीनहाउस गैस है, का उत्सर्जन होता है।

इस समस्या के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिये अमरीका में ‘इंटरनेशनल डार्क स्काय एसोसिएशन’ की स्थापना की गई है जिसमें 70 देश शामिल हैं। हमारे देश में भी ‘नेहरू तारा मंडल’ एवं ‘साइंस पापुलेराइजेशन एसोसिएशन ऑफ कम्युनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स’ प्रयासरत हैं। इस पृष्ठभूमि में यह दीपावली इस प्रकार मना सकें कि वायु एवं शोर के साथ प्रकाश प्रदूषण भी कम-से-कम हो तो बेहतर।

डॉ. ओ. पी. जोशी स्वतंत्र लेखक हैं तथा पर्यावरण के मुद्दों पर लिखते रहते हैं।


TAGS

diwali, artificial lights and pollution, all type of lights, lights in malls, italy, p sigenomen, european union, institute of civil engineers, london , national aeronautics space administration, visibility of stars, breast and collateral cancer, fertility and sterility, photoperiod, algae, melatonin, insects, emission of carbon dioxide, europe, america, japan,india, nehru planetarium, science popularisation association of communicators and educators, causes of light pollution, effects of light pollution, what is light pollution and why is it a problem, light pollution essay, types of light pollution, light pollution solutions, light pollution information, sources of light pollution, light pollution, What is the problem of light pollution?, What are examples of light pollution?, Is light pollution permanent?, When did light pollution become a problem?, What can be done about light pollution?, Is light pollution bad?, How does light pollution affect humans?, What is light pollution and its causes?, Why does light pollution occur?, Which country has the most light pollution?, How does light pollution affect the environment?, How does light pollution affect the night sky?, What is glare light pollution?, What is light trespass?, diwali pollution information, pollution by diwali festival project, air pollution during diwali festival project, pollution by diwali festival wikipedia, air pollution caused by firecrackers, air pollution caused by crackers, crackers pollution environment, bad effects of diwali festivals on the environment wikipedia, What are the harmful effects of Diwali?, How can we stop pollution on Diwali?, How do crackers cause pollution?, Why we should not burst crackers?, How can we make Diwali eco friendly?, What are the harmful effects of burning crackers?, How does Diwali cause pollution?, How can we celebrate safe Diwali?, How can we celebrate eco friendly Holi?, Do Fireworks create pollution?, How crackers are harmful?, Why do we burst crackers on Diwali?, What are fire crackers made of?, Should we burn crackers on Diwali?, space technology & education private limited, space ngo delhi, astronomy club delhi, space society for peoples awareness care & empowerment, astronomy colleges in delhi, space observatory in delhi, space camp in india, space technologies pvt ltd.


Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading