पर्यावरणीय नैतिकता:  स्वच्छ भारत अभियान और गांधीवादी दृष्टिकोण (नागपुर के विशेष संदर्भ मेंः मीडिया की भूमिका)

30 Mar 2022
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पर्यावरणीय नैतिकता:  स्वच्छ भारत अभियान और गांधीवादी दृष्टिकोण (नागपुर के विशेष संदर्भ मेंः मीडिया की भूमिका)
पर्यावरणीय नैतिकता:  स्वच्छ भारत अभियान और गांधीवादी दृष्टिकोण (नागपुर के विशेष संदर्भ मेंः मीडिया की भूमिका)

सारांश - जीवनरूपी यंत्र के संचालन के लिए रक्त संचार जरूरी है, ठीक उसी प्रकार स्वच्छ वातावरण बनाए रखने के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी है। पर्यावरण संरक्षण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है स्वच्छता अभियान। स्वच्छता अभियान के प्रति लोगों का जुड़ाव बढ़ रहा है। इस अभियान में ज्यादातर लोग दिखावे के लिए नहीं बल्कि अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से शामिल हुए हैं। स्वच्छता अभियान में प्रमुख हस्तियों के जुड़ने से इस अभियान का विस्तार तो हुआ ही साथ ही इसकी पहुँच और लोकप्रियता भी बढ़ गई है। बढ़ती लोकप्रियता का ही कारण है कि लोगों में गंदगी फैलाने वालों के प्रति विरोधी स्वर देखने को मिल रहे हैं। 21वीं सदी में जब भारत को नवाचारी और विश्वगुरू के रूप में जाना जा रहा है तो ऐसे समय में हमारी आंतरिक संरचना में सुधार की जरूरत है। जिसमें स्वच्छ वातावरण सबसे मूल आवश्यकता है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि सरकार गांधीजी के सपनों को साकार कर रही है। इस अभियान के तहत सरकार का मुख्य उद्देश्य आमजन को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है। मीडिया इन उद्देश्यों को सफल बनाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकती है।

पृष्ठभूमि - 

सेवाग्राम से 80 किमी दूरी पर स्थित नागपुर शहर हमेशा ही चर्चा के केंद्र में रहा है। वर्तमान में इसे महाराष्ट्र की उप-राजधानी और संतरा शहर के नाम से भी लोग जानते हैं। विदर्भ प्रांत में शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका नाम अग्रणी है। चूंकि सेवाग्राम गांधीजी की कर्मभूमि (1933 में गांधी जी शेगांव आए और फिर उन्होंने इसका नाम सेवाग्राम रखा) से बहुत अधिक दूरी न होने के कारण इस क्षेत्र में भी महात्मा गांधी का स्वच्छता अभियान पहुँचा। फिर भी जैसे हर काम का 100 प्रतिशत काम नहीं होता, ठीक यहाँ भी वही हुआ प्रतीत होता है। महात्मा गांधीजी का दो बातों पर बहुत ज्यादा जोर रहा- एक समय का प्रबंधन और दूसरा सफाई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक कॉलेज के विद्यार्थियों ने महात्मा गांधी को पत्र लिखकर पूछा था कि- वे गर्मी की छुट्टियों में क्या करें? गांधीजी मार्गदर्शन करें। महात्मा गांधीजी ने उन्हें पत्र का जवाब देते हुए कहा कि- आप सब गाँवों में जाकर वहाँ काम करें और गाँवों में सफाई पर ग्रामीणों को चेतना संपन्न बनाएँ तथा उनके साथ मिलकर सफाई का कार्य करें। गांधीजी की सफाई के प्रति सजगता का एक प्रसंग यह भी है कि वे कलकत्ता कांग्रेस में शामिल होने पहुंचे तो वे सबसे पहले रसोई घर में गए। वहाँ की गंदगी देखकर वे नाराज हो उठे और रसोइयों को रसोई साफ-सुथरा रखने और खुद को भी स्वच्छ होकर आने की हिदायत दी। पं. जवाहरलाल नेहरू को भी सफाई पसंद थी।

नागपुर कांग्रेस का एक प्रसंग उन दिनों समाचारपत्रों में प्रकाशित हुआ था कि कांग्रेस प्रतिनिधि संतरे खाकर लॉन में फेंक रहे थे, जिस पर नेहरूजी उठे और हाथ में टोकरी लेकर छिलके उठाने लगे। इस प्रकार नागपुर का और स्वच्छता अभियान का साथ बड़ा पुराना रहा है।

भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के तर्ज पर उनके ही 145वें जन्मदिन 2 अक्टूबर 2014 को पुनः भारत को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया। जिसको पूरा करने यानि भारत को स्वच्छ करने का लक्ष्य बापू के 150वें जन्मदिन पर रखा गया। इस अभियान का नाम ‘स्वच्छ भारत अभियान’ है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को प्रधानमंत्री ने शुरू करने के साथ ही कुछ नया करने और बड़ी हस्तियों को शामिल करने के उद्देश्य से कला, खेल, साहित्य आदि क्षेत्रों के धुरंधरों से इसमें शामिल होने की अपील की और आग्रह किया कि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक व्यक्ति को इस अभियान से जोडे़गा जिससे एक मानव श्रृंखला का निर्माण होगा और देश का प्रत्येक नागरिक इस अभियान से जुड़ जाएगा।

महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री ने नागपुर को स्वच्छता अभियान के लिए सबसे आगे रखा। गांधीजी का नाम जुड़ जाने की वजह से भी बहुत सी संस्थाएँ इस अभियान से जुड़ीं। नागपुर का शैक्षिक स्तर उच्च होने से भी यहाँ पर काफी स्वच्छता देखने को मिली। लेकिन 2 अक्टूबर के कुछ दिनों बाद से ही लोग कन्नी काटते नजर आए। जैसे एक वाकया दैनिक भास्कर नागपुर पेज पर छपा कि- नाग नदी कि सफाई के लिए नागपुर महापौर ने विभिन्न संस्थाओं और आमजन से अनुरोध किया था जो बेअसर निकला और केवल कर्मचारी ही सफाई अभियान में जुटे। नागपुर के सबसे बड़े बाजार बर्डी में भी सफाई का आलम कुछ ठीक नहीं नजर आता है। वहाँ भी स्वच्छता अभियान के कर्मी कभी-कभी काम करते दिख जाते हैं। नागपुर के आसपास के कुछ गांवों की बात करें तो वहाँ भी स्वच्छता अभियान की पहुँच दिखाई पड़ती है। फिर भी लोगो में अभी तक उतनी जागरूकता नहीं आई जितनी जरूरत है।

मध्य रेलवे नागपुर स्टेशन स्वच्छता अभियान के समय एकदम चमकदार व खुशबूदार नजर आया, सफाई करनेवालों और वीडियो बनाकर अपलोड करने वालों की भीड़ सी आ गई। मीडिया ने भी काफी कवरेज और प्रशंसा की। पर सफाई के साथ उसकी निरंतरता भी उतना ही मायने रखती है।

उद्देश्यः अध्ययन को स्वरूप प्रदान करने के लिए कुछ उद्देश्य तय किए गए हैं जो इस प्रकार हैं-

शोध प्रविधि - प्रस्तुत शोध अध्ययन में शोध विषय को ध्यान में रखते हुए निम्न पद्धतियों का उपयोग किया गया है-

निदर्शन पद्धति - अध्ययन को स्वरूप देने के लिए उद्देश्यपरक निदर्शन के अंतर्गत नागपुर शहर का चयन किया गया। नागपुर शहर के शहरी इलाकों में रह रहे लोगों का चयन निदर्शन के माध्यम से किया गया है।

शोध उपकरण  - 

प्रश्नावली - अध्ययन को स्वरूप प्रदान करने के लिए नागपुर के शहरी क्षेत्रों में निवास कर रहे लोगों से प्रश्नावली के माध्यम से उनकी राय और विचारों को जानने का प्रयास किया गया है। तथ्य संकलन के लिए बंद प्रश्नावली का उपयोग किया गया है। प्रश्नावली के अंतिम प्रश्न के रूप में खुला प्रश्न दिया गया, जिसके माध्यम से प्रतिभागियों के विचारों को भी शोध में शामिल किया गया है। 

अनुसूची- भाषाई विविधता होने के कारण, कुछ प्रतिभागियों को प्रश्नावली समझने में समस्या होने के कारण, उनसे राय और विचार जानने के लिए प्रश्नावली का उपयोग यहाँ अनुसूची के रूप में भी किया गया है। इसके माध्यम से पर्यावरण के संबंध में उनके विचार प्राप्त हुए।

प्रभाव  - नागपुर देश के बड़े शहरों में से एक है। यह गांधीजी के निवास सेवाग्राम से एकदम सटा हुआ है। स्वच्छता अभियान चला, पर कुछ दिन ही चला। नाग नदी से लेकर, अम्बाझरी झील आदि जगहों पर सफाई अभियान चलाए गए पर कुछ ही दिन। जिससे आज फिर उसका आलम वही हो गया है जो पहले था। अंबाझरी झील का पानी फिर मरी हुई मछली सरीखा महक रहा है। लोग आज भी बर्डी में खरीददारी करते वक्त खाने की वस्तुओं को खाकर उसका पैकेट वहीं डाल देते हैं। जिससे पता चलता है कि इस अभियान की जागरूकता कहाँ तक है।

बाजार में सार्वजनिक मूत्रालय न होने से लोग सुनसान गलियों और दीवारों को गंदा कर रहे हैं। सरकार को अगर इस दिशा में कारगर कदम उठाना है तो पूरी रणनीति बनानी पड़ेगी और इस अभियान में अधिक रुचि लेनी पड़ेगी।

इस अभियान को अपार सफलता मिलने के वाबजूद भी शहर में जगह-जगह गंदगी देखने को मिलती है। आवश्यकता है मजबूत इच्छा शक्ति की, क्योंकि स्वच्छता अभियान में निरंतरता की मूल आवश्यकता है। अगर आज अम्बाक्षरी क्षील को स्वच्छ किया है तो ऐसा नहीं कि वह हमेशा के लिए स्वच्छ हो गई। इस अभियान को सफल बनाने के लिए हम सभी को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ेगा तभी हमारा शहर और राष्ट्र स्वच्छ हो पाएगा। 

तथ्य विश्लेषण एवं आंकड़ों का प्रस्तुतिकरण

प्रस्तुत शोध में अध्ययन के माध्यम से यह ज्ञात करने का प्रयास किया गया है। समाज में स्वच्छता अभियान की स्थिति, इसकी लोकप्रियता और कार्य पद्धति को केंद्र में रखकर यह शोधकार्य किया गया है।

तथ्यों और आंकड़ों को प्रश्नावली/अनुसूची के माध्यम से एकत्रित कर उनका विश्लेषण किया गया है। प्रस्तुत शोध नागपुर शहरी क्षेत्र में रहनेवाले प्रतिभागियों पर विशेष रूप से केंद्रित है। अध्ययन में 18 वर्ष से अधिक महिला एवं पुरुष प्रतिभागियों को शामिल किया गया है जिनसे विषय से संबंधित जानकारी प्राप्त की गई है। तथ्य संकलन हेतु सौ से अधिक प्रश्नावली/अनुसूची को भरवाया गया है, लेकिन तथ्य विश्लेषण में सौ प्रतिभागियों के मतों को शामिल किया गया है। तथ्य संकलन का कार्य जनवरी 2016 में किया गया है। 

प्रश्नावली में कुल 12 प्रश्नों को शामिल किया गया है। प्रश्नावली में बहुविकल्पीय प्रश्नों के माध्यम से प्राप्त तथ्यों को अध्ययन हेतु केंद्र में रखा गया है। प्रश्नावली में विकल्प के रूप में हाँ, नहीं और थोड़ा-बहुत को तथ्य संकलन हेतु आधार बनाया गया है। प्रश्नावली का अंतिम प्रश्न खुला रखा गया है। जिसमें प्रतिभागियों से विषय से संबंधित विचार एवं सुझाव लिए गए हैं। प्रस्तुत शोध में प्रश्नावली के कुल 12 प्रश्नों में से कुछ उपयोगी प्रश्नों/तथ्यों का चित्रमय प्रस्तुतीकरण किया गया है। जो इस प्रकार है-

प्रश्न 1 - क्या स्वच्छ भारत अभियान गांधी के सपनों को साकार करने का प्रयास है? इस सवाल के संदर्भ में 87 प्रतिशत लोगों का मानना है कि यह अभियान गांधीजी के सपनों को साकार करने का प्रयास है। आंकड़ों पर गौर करें तो इस अभियान का जुड़ाव पूर्णतः गांधीजी के स्वच्छता अभियान से है।

प्रश्न 2 - स्वच्छ भारत अभियान में गांधी को जोड़ने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है?  इस प्रश्न के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के विकल्प दिए गए हैं जिसमें सबसे ज्यादा मत स्वच्छता के प्रति जागरूक उत्पन्न करना, को 42 प्रतिशत अंक प्राप्त होते हैं। अन्य विकल्पों के अंतर्गत राजनीतिक लाभ लेना 13 प्रतिशत, गांधी के विचारों को अमल करना 21 प्रतिशत एवं विश्व पटल पर भारत की स्वच्छ छवि का निर्माण के अन्तर्गत 24 प्रतिशत प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 3 - स्वच्छ भारत अभियान लोगों में जागरूकता लाने में सफल हो रहा है? इस सवाल के संदर्भ में 67 प्रतिशत हाँ में प्राप्त आँकड़े स्वच्छ भारत अभियान की सफलता को कुछ हद तक तक दर्शाते हैं, वहीं नहीं के अन्तर्गत 18 प्रतिशत और पता नहीं के अन्तर्गत 15 प्रतिशत आंकड़े प्राप्त होते हैं। विभिन्न विकल्पों के अन्तर्गत प्राप्त आंकड़े स्वच्छ भारत अभियान में लोगों की रूचि को दर्शाने के साथ-साथ इस अभियान की असफलताओं के तत्वों को भी प्रकाश में लाते हैं।

प्रश्न 4 - क्या आप स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े हैं? इस सवाल के अन्तर्गत हाँ में प्राप्त 83 प्रतिशत आंकड़े और नहीं के अन्तर्गत 17 प्रतिशत मत प्रतिभागियों का प्राप्त होता है। प्राप्त आंकड़े यह दर्शाते हैं कि इस अभियान को अन्य सरकारी योजनाओं की अपेक्षा अधिक सफलता मिली। इस सफलता के पीछे तकनीकि एवं मीडिया पक्ष के सहयोग को नकारा नहीं जा सकता है।

प्रश्न 5 - स्वच्छ भारत अभियान से आप किस प्रकार जुड़े हैं? उक्त प्रश्न के संदर्भ में आसपास के वातावरण को स्वच्छ करने के उद्देश्य से 95 प्रतिशत प्रतिभागी जुड़े हैं। अन्य विकल्पों में प्रचार-प्रसार के लिए 02 प्रतिशत, राजनीतिक कारणों से 03 प्रतिशत व छवि निर्माण हेतु, दवाब में के अन्तर्गत किसी प्रकार का मत प्राप्त नहीं होता है। यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात है कि आज लोग स्वेच्छा से प्रदूषण की समस्या को ध्यान में रखते हुए उससे होने वाली समस्याओं और बीमारियों से बचने के लिए अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहते हैं।

प्रश्न 6 - क्या स्वच्छ भारत अभियान के बाद से लोगों में गंदगी फैलाने वालों के प्रति विरोध का स्वर बढ़ा है? हां के अन्तर्गत प्राप्त 64 प्रतिशत आंकड़े स्वच्छता अभियान को लेकर समाज में हुए बदलाव को प्रस्तुत करते हैं। स्वच्छता की अहमियत को समझते हुए आज लोग गंदगी फैलाने वालों के प्रति विरोध करने की क्षमता अपने आप में विकसित कर चुके हैं। नहीं के अन्तर्गत 21 प्रतिशत और पता नहीं के अन्तर्गत 15 प्रतिशत आंकड़े इस बात को साबित करते हैं।

प्रश्न 7 - क्या आप स्वच्छता के नियमों का पालन स्थान विशेष के आधार पर करते हैं? मानवीय स्वभाव स्थान विशेष के आधार पर बदलता रहता है, यह कटु सत्य है। हाँ विकल्प के अन्तर्गत 70 प्रतिशत आंकड़े यह साबित करते हैं कि हम स्वच्छता के नियमों का पालन स्थान विशेष के आधार पर करते हैं। 24 प्रतिशत प्रतिभागी इस तर्क से सहमत नजर नहीं आते जबकि 06 प्रतिशत प्रतिभागी इस पर कोई तर्क नहीं देते। अतः यह बात साबित होती है कि हमारा स्वभाव विशेष वातावरण के प्रभाव से प्रभावित होता है।

प्रश्न 8 - क्या स्वच्छ भारत अभियान के बाद गंदगी से होने वाली बीमारियों में कमी आई है? इस सवाल के संदर्भ में हाँ विकल्प के अन्तर्गत प्राप्त 62 प्रतिशत आंकड़े इस बात पर जोर देते हैं कि गंदगी से होने वाली बीमारियों में स्वच्छ भारत अभियान के बाद से कमी देखने को मिल रही है। जबकि 38 प्रतिशत आंकड़े नहीं विकल्प के अन्तर्गत प्राप्त होते हैं। प्राप्त तथ्य भारत में स्वच्छता के प्रति लोगों के लगाव और बदलते वातावरण को प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 9 - स्वच्छ भारत अभियान के बाद से स्वच्छता हेतु सामाजिक सहयोग बढ़ा हुआ है? इस सवाल के संदर्भ में स्वच्छ भारत अभियान के बाद से लोगों में जागरूकता बढ़ी है, विशेषकर पर्यावरण संबंधी। 79 प्रतिशत हाँ में प्राप्त तथ्य इस बात का समर्थन करते हैं जबकि नहीं के अन्तर्गत केवल 21 प्रतिशत मत प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 10 - स्वच्छता अभियान में एक महीने में कितना समय देते हैं? इस सवाल के संदर्भ में 1 से 3 घंटा के अंतर्गत स्वच्छता अभियान को 1 महीने में समय देने वालों का प्रतिशत 67 प्राप्त होता है, जबकि अन्य विकल्पों में 03-6 घंटा 22 प्रतिशत, 06-9 घंटा 01 प्रतिशत और 09 घंटा से अधिक 10 प्रतिशत मत प्राप्त होते हैं। प्राप्त मतों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्वच्छ भारत अभियान में जुड़े लोग वास्तव में जमीनी धरातल के लोग हैं। ये लोग कार्य करने में विश्वास करते हैं, न की छवि निर्माण और प्रचार-प्रसार की चाहत रखने वाले।

प्रश्न 11- स्वच्छ भारत अभियान में जानी-मानी हस्तियों (अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, मुकेश अंबानी इत्यादि) के जुड़ने से और मीडिया के द्वारा जोरों-शोरों से फोकस किये जाने से भी इस अभियान में लोगों का जुड़ाव बढ़ा है? इस सवाल के संदर्भ में लोगों का कहना है कि इस अभियान से बड़ी-बड़ी हस्तियों का जुड़ा होना भी इसकी सफलता को कुछ हद तक तय करता नजर आता है। हाँ के अन्तर्गत प्राप्त 73 प्रतिशत आंकड़े और नहीं के अन्तर्गत प्राप्त 27 प्रतिशत आंकड़े इसे साबित करते हैं। आंकड़े स्वच्छ भारत अभियान की गाथा को आगे बढ़ाते हैं और यह संदेश देते हैं कि यह अभियान सफलता की तरफ अग्रसर हो रहा है। इसकी सफलता निश्चित तौर पर व्यक्तिगत सफलता न होते हुए भी इसका लाभ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मिलेगा।

प्रश्न 12- स्वच्छ भारत अभियान पर अपने विचार दें? इस सवाल के संदर्भ में भारत में स्वच्छता अभियान पर अपने विचार देते हुए ज्यादातर प्रतिभागियों ने कहा कि इस अभियान का इस्तेमाल राजनीतिक नहीं होना चाहिए। राजनीतिक इस्तेमाल से यह अभियान अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगा। अभियान की सफलता की बात करते हुए कुछ लोगों ने बताया कि यह अभियान अन्य अभियानों के मुकाबले सफल है लेकिन इसे अभी लंबी दूरी तय करनी है। कुछ प्रतिभागियों ने इस अभियान को राजनीतिक रूप से देखते हुए कहा कि यह अभियान देश, समाज के लिए नहीं बल्कि सरकार का अभियान है। सरकार इसका राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है। कुछ लोगों ने इसे सामाजिक विकास का नाम देते हुए कहा कि यह अभियान समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता ला रहा है। ऐसे अभियान भविष्य के लिए आवश्यक हैं।

निष्कर्ष  -

  1. स्वच्छता अभियान से जुड़े 95 प्रतिशत प्रतिभागी आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से इस अभियान से जुड़े हैं।

सुक्षाव - शोध अध्ययन में प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर निम्नलिखित सुझाव दिए जा रहे हैं- 

शोध की उपयोगिता- शोध के माध्यम से यह ज्ञात करने का प्रयास किया गया है कि नागपुर में स्वच्छता अभियान की पहुंच कितनी है? आमजन में इसकी लोकप्रियता कैसी है? क्या स्वच्छता अभियान जैसी योजना से भारत स्वच्छ हो रहा है? या इस योजना के माध्यम से सरकार अपनी लोकप्रियता बढ़ा रही है, जैसे बिन्दुओं को परखना। शोध की उपयोगिता स्वच्छता अभियान के विस्तार के साथ-साथ अभियान में आमजन की भागीदारी और सरकार की नीतियों को भी सुनिश्चित करती है।

स्वच्छता अभियान जैसी योजना भारत के विकास में सहायक सिद्ध होगी। भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। शोध में प्राप्त तथ्य भविष्य में होने वाले विषय से संबंधित अध्ययनों के लिए एवं सरकार द्वारा नीति निर्माण हेतु बनाए जा रहे अन्य लोगों के लिए महत्वपूर्ण दिशासूचक साबित होंगे।


संदर्भ - 

पत्रिका संदर्भ - 

रिपोर्ट - 

 

वेबसाइट संदर्भ - 

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  • 14. http://www.publishingindia.com/ 
  • 15. http://www.hindikiduniya.com/

 

लेखक परिचय - 




 

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