पत्नी-बेटे मरे तो पेड़ों को ही बना लिया सबकुछ, अब हैं चालीस हजार वृक्षों के पिता

7 Dec 2019
0 mins read
पत्नी-बेटे मरे तो पेड़ों को ही बना लिया सबकुछ, अब हैं चालीस हजार वृक्षों के पिता
पत्नी-बेटे मरे तो पेड़ों को ही बना लिया सबकुछ, अब हैं चालीस हजार वृक्षों के पिता

सोचिए आपका जीवन खुशहाली से बीत रहा है और आप खुद को संसार का सबसे सुखी व्यक्ति महसूस कर रहे हैं, लेकिन अचानक आपकी खुशियों में ग्रहण लग जाए। आपका संसार ही आपसे छिन जाए और आप दुनिया में अकेले पड़ जाए तो क्या आप जीने या आगे बढ़ने ही चेष्टा कर पाएंगे ? ऐसे ही एक व्यक्ति हैं, चित्रकूट के भैयाराम यादव। जिन्हें संतान प्राप्त होते ही पत्नी का देहांत हो गया। उन्होंने बामुश्किल खुद को संभाला और बच्चे के साथ जीने लगे, लेकिन कुछ वर्ष बीमारी के बाद उनके बेटे की भी मौत हो गई। भैयाराम संसार में बिल्कुल अकेले पड़ गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। पत्नी और बेटे की याद में पौधारोपण किया और आज वह 40 हजार विशालकाय वृक्षों के पिता हैं। जानते हैं भैयाराम यादव की संघर्षपूर्ण कहानी उन्हीं की ज़ुबानी -

अपनी खेती बाड़ी से मैं खुश था। इससे होने वाली आय इतनी थी कि मेरे परिवार को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती थी, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि जब सब कुछ अच्छा चल रहा हो तो ऊपर वाले का वज्र टूटता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। 

एक दिन मेेरे पास खुशी और दुख दोनों एक साथ चलकर आ गए। मुझे अपने बेटे के पैदा होने की खबर मिली। इस प्रसव के दौरान मेरी आधी दुनिया उजड़ गई। पत्नी को नहीं बचाया जा सका। मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था। जिंदगी में एकाएक अंधेरा छा गया था। ऐसे में अपने नवजात को ही अपने जीने का आधार बनाया। मेरे इलाके में खेती-बाड़ी करना बहुत मुश्किल काम है। बावजूद इसके मैंने पूरी मेहनत की। मैंने गांव में मृत बंजर, कंकरीली, कंटीली और पथरीली जमीन को जिंदा कर खेती के लिए तैयार कर लिया। तकरीबन सात साल बीते होंगे, तभी एक और काला दिन मेरी जिंदगी में आया। इस दिन मेरे बेटे ने मेरा साथ छोड़ दिया। उसे बीमारी ने लील लिया। अब मैं बेहद अकेला था। तब मैंने अपने घर की जमीन और उसके आसपास पड़ी पथरीली जमीन को ही हरा-भरा करने की ठानीं सोच ये थी कि जो भी पौधा लगाऊंगा, वह मेरा बेटा होगा। बेटे की तरह उसका पालन पोषण करूंगा। बस फिर क्या था, मैं रात दिन जुट गया। पहाड़ जैसे इस काम को करते हुए मैं अपने पहाड़ जैसे दुख को भूलने लगा। देखते ही देखते मेरे घर के पास वन विभाग की बंजर पड़ी जमीन पर भी मैंने हरियाली उगा दी।

अब मैं यह कह सकता हूं कि मेरे पास पेड़ों के रूप में 40 हजार बेटे हैं। इन पेड़ों में आम, नीम, शीशम, सागौन, अमरूद, बेर, आंवला आदि हैं। जी हां, ये सभी पौधे मेरे बेटे सरीखे हैं, इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है। यह सही है कि यह काम मैं पत्नी और बच्चे को याद करते हुए ही पूरा कर पाया। अब मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं। मेरा पूरा जीवन इन पेड़ों को समर्पित है। जब तक जिंदा हूं, जब तक मैं ऐसा ही करता रहूंगा।

मैंने अपना सब कुछ खो दिया था। पर अब प्रकृति से ऐसा रिश्ता जोड़ा है कि अब पेड़-पौधे लगाना और उनकी रक्षा करना ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य बन गया है। हालांकि यह काम करना इतना आसान नहीं था। पूरा देश जानता है कि बुंदेलखंड दशकों से सूख है और ऐसे सूखे पड़े इलाकों में हरियाली के बारे में सोचना हवा में महल बनाने जैसी बात थी, लेकिन मेरा इरादा कभी डिगा नहीं। बल्कि जितनी अधिक बाधाएं आती गईं, मेरे इरादे उतने ही मजबूत होते गए।

इन वन क्षेत्र का नाम मैंने भरत वन रखा है। इस वन में लगाए गए सभी पेड़ मरे बेटे की तरह हैं, इसीलिए मैंने वन विभाग की अब तक की कोई मदद नहीं ली। मैंने वन विभाग से बस यही कहा कि आपके पास जितनी पथरीली और बंजर जमीन है, उसे मुझे दे दो ताकि मैं उसे भी हरियाली में बदल सकूं। मैं पर्यावरयण के बारे में बहुत अधिक नहीं जानता। लेकिन यह मुझे मालूम है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कभी नहीं करनी चाहिए। इस इलाके के लोगों ने पिछले कई सालों में प्रकृति के साथ जो खिलवाड़ किया है, उसका नतीजा अब भुगत रहे हैं। मेरा भारतपुर गांव उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में आता है। कहने के लिए यह एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। इसे भगवान राम की कर्मस्थली के रूप में जाना जाता है। अब मेरी दिली इच्छा है कि लोग इसे अब वन क्षेत्र के रूप में भी जाने। इसे ही आप मेरी अंतिम इच्छा मान सकते हैं। मैंने अपनी जरूरतें सीमित कर ली हैं। एक कच्चा मकान है और दो-तीन जोड़ी कपड़े से मैं अपना गुजारा कर लेता हूं। इसीलिए कभी मैंने वन विभाग द्वारा दिया जाने वाला अनुदान भी नहीं स्वीकार किया। सच कहूं तो अब इन पौधों और पेड़ों के बीच रहते हुए कभी खुद को अकेला महसूस नहीं करता। मुझे लगता है कि यही प्रकृति मेरा परिवार है।

 

TAGS

bhaiyaram yadav, tree man of chirakoot, bhaiya ram yadav chitrakoot, story of bhaiyaram yadav.

 

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading