‘पुलिकट’ खतरे में

3 Jan 2009
0 mins read
Photo - Coutesy - Mckay Savage - Wikipedia
Photo - Coutesy - Mckay Savage - Wikipedia

एजेंसी/ चेन्नई, भारत की दूसरी बड़ी झील पुलिकट मानवीय गतिविधियों और प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण खतरे में है। एक नए सर्वे में यह बात सामने आई है। पुलिकट झील का आकार लगातार कम हो रहा है।

पुलिकट झील दक्षिणी आंध्रप्रदेश से उत्तरी तमिलनाडु के बीच लगभग 80 किमी तक फैला है। सर्दियों के समय में करीब 60 हजार प्रवासी पक्षियों का यह रैन बसेरा बनता है। इस झील के आसपास करीब 34 गांव बसे हैं जिसमें 40 हजार लोग रहते हैं। यह बसाव खासकर तमिलनाडु में ज्यादा है। इनकी बसावट का सीधा प्रभाव झील पर पड़ रहा है।

यह सर्वे लोयोला इंस्टीट्‌यूट के विशेषज्ञों द्वारा पुलिकट झील आपदा समुदाय के साथ मिलकर किया गया है। सर्वे में बताया गया है कि कभी 460 वर्ग फीट के बीच फैली यह झील अब सिमटकर 350 वर्ग फीट तक रह गई है। इसका कारण झील के पानी के विस्तार क्षेत्र में आई कमी है। जिसका कारण इंसानी गतिविधियां हैं।

झील के विस्तार के साथ-साथ उसकी गहराई भी कम हो रही है। पहले झील की गहराई 4 मीटर हुआ करती थी, जो अब घटकर 1.5 मीटर रह गई है। इसका विपरीत प्रभाव जलीय जीवन पर पड़ रही है। सर्वे के मुख्य संयोजक डॉ. सेल्वेनायगम ने कहा कि गर्मियों के दिनों में समुद्र की तरफ से पानी का बहाव कम हो जाता है, जिससे झील में भी पानी के बहाव पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वाष्पीकरण की दर भी अधिक होने के कारण झील में लवण की मात्रा काफी बढ़ जाती है। यह भी जलीय जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

झील में मिट्टी के ढेर बनने और गर्मियों के दौरान पानी का वाष्पीकृत होना झील के जलस्तर घटने का मुख्य कारण है।

परियोजना के एक और सदस्य सगयाराज के अनुसार मछली पकड़ने के जाल पाडी वलार्ईं का इस्तेमाल भी एक समस्या है। वह कहते हैं यह अनैतिक तरीका पुलिकट झील की प्रकृति को नुकसान पहुँचाता है। यह जाल झील की तली में जाकर छोटे-छोटे जलीय जीवों और मछली के अंडों को भी जल की सतह पर ले आता है। सगयाराज के मुताबिक छोटे-छोटे जलचर और जीव महत्वपूर्ण खाद्य श्रृंखला का निर्माण करते हैं। इन्हें नुकसान पहुँचाया जा रहा है। उन्होंने विचार रखा कि मछली पकड़ने के बाद अन्य छोटे जलचरों को वापस पानी में ही छोड़ा जाना चाहिए।
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading