फिर चहकी बीन गूज

12 Jun 2012
0 mins read

बीते दिनों उत्तराखंड के कार्बेट क्षेत्र में तुमड़िया बांध के पास बीन गुज विचरण करते पाए गए। उत्तराखंड में पहली बार इन पक्षियों की चहचहाट पाकर पक्षी-प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। इसे सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि कॉर्बेट फाउंडेशन को प्रवासी पक्षी दिवस के मौके पर ही इस पक्षी के इस क्षेत्र में होने की आधिकारिक पुष्टि आईयूसीएन से प्राप्त हुई।

कुछ अरसा पहले जब आर्कटिक क्षेत्र का पक्षी बीन गूज, जिसका वैज्ञानिक नाम अंसर फैबेलिस है, उत्तराखंड के कॉर्बेट क्षेत्र में स्थित तुमड़िया बांध के पास जलीय क्षेत्र (वेटलैंड) में विचरण करता पाया गया तो इसकी चहचहाहट से पक्षी-प्रेमी हतप्रभ रह गए। टुंड्रा प्रदेश आर्कटिक का यह प्रवासी पक्षी इससे पहले चीन, जापान और यूरोप जैसे देशों देखा जाता रहा है। इसके इतनी दूर, भारत में चले आने की यह तीसरी ही घटना है। इससे पूर्व 2003 में इस पक्षी को पंजाब में और 2007 में असम में विचरण करते पाया गया था। जाहिर है, उत्तराखंड में इस पक्षी के पहले आगमन से पर्यावरणविद् और पक्षी-प्रेमी खुश हैं। कॉर्बेट फाउंडेशन नामक एक स्वैच्छिक संस्था ने बीन गूज को कॉर्बेट क्षेत्र के तुमड़िया बांध के पास विचरण करते देखा।

जलाशय में तैरती बीन गूजजलाशय में तैरती बीन गूजपक्षी वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे पहले इस पक्षी के पंजाब और असम में देखे जाने की घटना पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के मामले में भी अनूठी है। इस उपमहाद्वीप के अन्य किसी देश में इसे पहले नहीं देखा गया है। बार हैडेड गूज पक्षियों के झूंड के साथ विचरण कर रहे इन पक्षियों को पिछले साल के अंत में कॉर्बेट फाउंडेशन के पक्षी संस्थान की टीम ने देखा। इसके बाद इस टीम द्वारा इस पक्षी की तस्वीरों को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ सेंटर (आईयूसीएन) के पक्षी विंग को भेजकर इसकी पुष्टि की गई कि क्या वास्तव में यह पक्षी आर्कटिक क्षेत्र में पाया जाने वाला बीन गूज ही है?

इसके पूरे परीक्षण के बाद आईयूसीएन के इंटरनेशनल वेटलेंड सर्वाइवल कमीशन ने इसके बीन गूज होने की पुष्टि कर दी। जिसके बाद कॉर्बेट फाउंडेशन के उपनिदेशक डॉ. एच.एस. वर्गली ने बताया कि यह बीन गूज पक्षी टुंड्रा बीन गूज ही था। इसकी दो प्रजातियों आर्कटिक क्षेत्र में उपलब्ध हैं जो कि टुंड्रा बीन गूज एवं टैगा बीन गूज नाम से जानी जाती हैं। विशेषज्ञों ने उत्तराखंड में विचरण कर रहे इन पक्षियों को टुंड्रा बीन गूज प्रजाति का माना है।इस पक्षी को सबसे पहले तुमड़िया में देखने वालों में कॉर्बेट फाउंडेशन की टीम का नेतृत्व कर रही अनुश्री भट्टाचार्जी का नाम लिया जा रहा है। वह बताती हैं, ‘यह पक्षी आर्कटिक क्षेत्र से जाड़ों में ऊष्ण क्षेत्रों की ओर प्रवास के लिए उड़ान भरता है।’

तुमड़िया बांध के पास बीन गूज पक्षी को देखते विशेषज्ञतुमड़िया बांध के पास बीन गूज पक्षी को देखते विशेषज्ञइसे सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि कॉर्बेट फाउंडेशन को प्रवासी पक्षी दिवस के मौके पर ही इस पक्षी के इस क्षेत्र में होने की आधिकारिक पुष्टि आईयूसीएन से प्राप्त हुई। इसके बाद अब भारतीय प्रवासी पक्षियों की सूची में इस पक्षी को सुचीबद्ध किए जाने की संभावना है। दरअसल, इस पक्षी को 1921 में भारतीय प्रवासी पक्षियों की सूची से हटा दिया गया था। बहरहाल, पक्षियों का स्वर्ग माने जाने वाले कॉर्बेट इलाके में इस पक्षी का पाया जाना पर्यावरणप्रेमियों के लिए उत्साहवर्द्धक है। यूं तो विशेषज्ञों का मानना है कि यहां पक्षियों की 600 प्रजातियां पाई जाती हैं किंतु दुर्लभ बीन गूज की उपस्थिति के बाद पक्षी विशेषज्ञों एवं संरक्षणवादियों का ध्यान एक बार फिर इस क्षेत्र की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है।

वेटलैंड में बीन गूजवेटलैंड में बीन गूज
Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading