प्रोजेक्ट-डॉलफिन

29 Sep 2020
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सोर्स - इन्डियन एक्सप्रेस
सोर्स - इन्डियन एक्सप्रेस

इस साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "प्रोजेक्ट-डॉलफिन" योजना को आरंभ करने की घोषणा की थी, इस योजना का उद्देश्य नदियों और समुद्र में मौजूद डॉलफिन को बचाना है। 

 

प्रोजेक्ट टाइगर की तरह होगा प्रोजेक्ट डॉलफिन 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में बताया था कि  प्रोजेक्ट टाइगर की तर्ज़ पर ही प्रोजेक्ट डॉलफिन होगा, जिस तरह प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघों की जनसंख्या बढ़ाने में मदद मिली थी उसी तरह प्रोजेक्ट डॉलफिन के तहत डॉलफिन की जनसंख्या बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इस तरह की पहल को पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद (एनजीसी) की पहली बैठक में मंजूरी मिल गई थी। 

इस योजना के शुरू होने से पहले तक, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG), जो सरकार की प्रमुख योजना नमामि गंगे योजना को लागू करने के लिए है, डॉल्फ़िन को बचाने के लिए कुछ पहल करता आया है, अब, प्रोजेक्ट डॉल्फिन को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लागू किया जाने की उम्मीद है। 

 

क्या है गंगा डॉल्फिन 

गंगा डॉलफिन पूरे विश्व भर की नदियों में पाई जाने वाली डॉल्फिन की पांच प्रजातियों में से एक है, इसका वैज्ञानिक नाम "प्लेटेनिस्टा गेंगेटिका" है। ये मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है विशेषकर गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और करनपुली-सांगू नदी प्रणालियों में।  

गंगा डॉल्फिन के लिए बने "कंज़र्वेशन एक्शन प्लान 2010-2020" के तहत बताया गया है कि नर डॉल्फिन 2-2.2 मीटर और मादा डॉलफिन 2.4-2.6 मीटर लम्बी होती है। एक वयस्क डॉल्फिन का वजन 70 किलोग्राम से 90 किलोग्राम के बीच हो सकता है। गंगा के डॉल्फिन का प्रजनन काल जनवरी से जून तक होता है, वे मछलियों, अकशेरुकी जैसी कई प्रजातियों पर अपने भोजन के लिए निर्भर रहतीं हैं। 

 

गंगा डॉलफिन को बचाना क्यों जरूरी है 

एक समय था जब गंगा डॉलफिन को गंगा नदी में बंगाल की खाड़ी के डेल्टा से लेकर हिमालय की तलहटी में बसे ऊपरी इलाकों में कई जगहों पर देखा जा सकता था, यह गंगा की सहायक नदियों में भी पाई जाती थी। कुछ विशेषज्ञों बताते हैं कि 19 वीं शताब्दी के दौरान गंगा डॉलफिन यमुना में दिल्ली तक देखी गई थीं। हालांकि, बांधों और बैराज के निर्माण और बढ़ते प्रदूषण के कारण सामान्य रूप से नदियों में और विशेष रूप से डॉल्फ़िन में जलीय जानवरों की आबादी में गिरावट आई है।

जलीय जीवन नदी पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य का एक संकेतक है। चूंकि गंगा की डॉल्फिन खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर है, इसलिए प्रजातियों की रक्षा और इसके निवास स्थान से नदी के जलीय जीवन का संरक्षण सुनिश्चित होगा।

 

 

 

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