राजनांदगाव छत्तीसगढ़ के भूजल में आर्सेनिक प्रदूषण – अध्ययन उपाय एवं सुझाव

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगाव जिले के कुछ ग्रामों में स्थित कुओं तथा नलकूपों के जल में आर्सेनिक अधिक मात्रा में पाया गया। यह जल सतत पेयजल के रुप में उपयोग में लाने से वहां के शहरहवासियों पर उसका घातक प्रभाव देखा गया। पेयजल द्वारा आर्सेनिक के सतत सेवन से कैंसर जैसे महाभयंकर रोगों से पीड़ित रुग्ण पाये गये। इन जल स्रोतों की आर्सेनिक की मात्रा के लिए जांच की गई और आर्सेनिक से होने वाले उन घातक परिणामों से बचने के लिए उपाय देने का नागपुर स्थित नीरी संस्थान के वैज्ञानिक ने बीड़ा उठाया और इस विषय पर सखोल अभ्यास किया। कुल 813 जलकूपों के पेयजल की जांच की गई। इस जांच में पाया गया कि लगभग ग्यारह ग्रामों में स्थित 45 भूजल स्रोतों में आर्सेनिक की मात्रा 50 ug/L से अधिक है जो कि भारतीय मानक 10500:2004 के अनुसार ज्यादा है। जनसमुदाय को इस विषैले विपदा से बचाने के लिए और आर्सेनिक रहित पेयजल प्रदान करने हेतु विविध प्रौद्योगिकी विकल्प (Technological Options) दिये गए। भविष्य में इस विपदा के निवारण हेतु जनस्वास्थ्य विभाग, छत्तीसगढ़ को महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। इसका विस्तृत विवरण प्रस्तुत लेख में किया गया है।

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