रिस्पना नदी के उद्धार को अभी और इंतजार

5 Mar 2020
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रिस्पना नदी
रिस्पना नदी

मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल रिस्पना नदी अपनी सूरत संवरने की राह ताक रही है। नमामि गंगे योजना के तहत रिस्पना का जीर्णोद्धार किया जाना है, लेकिन सिस्टम की चाल देखिए कि अभी मामला महज निविदा प्रक्रिया में ही उलझा हुआ है। हैरानी की बात तो यह है कि नमामि गंगे के विभिन्न कार्यो की समय सीमा ही फरवरी 2020 थी। ऐसे में साफ है कि रिस्पना नदी के उद्धार में अभी लंबा समय लगेगा।

बीते अप्रैल में नमामि गंगे के दूसरे चरण के तहत गंगा की सहायक नदियों के जीर्णोद्धार को प्रोजेक्ट मंजूर हुए। देहरादून में रिस्पना और रामनगर में कोसी की सूरत सुधारने को कुल 114 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ था। रिस्पना के लिए 60.01 करोड़ रुपये निर्धारित थे। रिस्पना नदी के किनारे बने घरों से पतनालों के जरिये गिर रहा सीवर नदी में जाने से रोकने के साथ ही नदी के किनारे पौधरोपण समेत अन्य सौंदर्यीकरण कार्य शामिल थे। बड़ी बात तो यह कि मुख्यमंत्री स्वयं रिस्पना की सूरत संवारने को अपनी प्राथमिकता बताते रहे हैं। विडंबना है कि इस ओर धरातल पर कोई परिणाम नजर नहीं आ रहा है। देखना यह होगा कि निविदा प्रक्रिया कब तक पूर्ण होती है और रिस्पना के जीर्णोद्धार को धरातल पर कार्य होते हैं।

केंद्र की नमामि गंगे परियोजना के तहत होना है रिस्पना नदी का जीर्णोद्धार

योजना के तहत यह होने हैं कार्य

रिस्पना में गिरने वाले करीब 177 बड़े नाले टैप होंगे। इसके अलावा सैकड़ों छोटी नालियां और 2901 घरों का गंदा पानी भी टैप होगा। इसके लिए नदी के किनारे 20.88 किलोमीटर लंबी कैरियर लाइन बिछाई जाएगी। बस्तियों में बिछाई गई पुरानी सीवर लाइन भी मुख्य सीवर लाइन से जोड़ी जानी हैं। जिससे करीब 18 एमएलडी गंदा पानी मोथरोवाला एसटीपी भेजा जाएगा। यहां से इसे शोधित कर अन्य उपयोग में लाया जाएगा।

नमामि गंगे योजना के तहत रिस्पना नदी पर कई कार्य होने हैं, इसके लिए निविदा प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद शीघ्र ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएंगे।

 

भजन सिंह, प्रबंध निदेशक, पेयजल निगम

बड़े नाले, जो गिर रहे हैं रिस्पना में इन्हें किया जाएगा टैप

घरों का गंदा पानी भी किया जाएगा टैप

किलोमीटर लंबी कैरियर लाइन बिछाई जाएगी नदी के किनारे

एमएलडी गंदे पानी को शोधित कर लाया जाएगा अन्य उपयोग में

रिस्पना नदी अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां कर रही है ’ जागरण आर्काइव

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