रिसर्च : ई वाटर सोर्स प्लैटफार्म के IHACRES आवाह निदर्श द्वारा बंजार उप बेसिन में सरित प्रवाह पूर्वानुमान का मूल्यांकन


सारांश


विभिन्न प्रकार के बाढ़ नियन्त्रण सरंचनाओं, जलगुणता, जलाशय प्रचालन तथा अन्य जल संसाधन परियोजनाओं के लिये सरित प्रवाह पूर्वानुमान की आवशकता होती है। यद्यपि इन विभिन्न जलविज्ञानीय निदर्शों की भारतीय आवाह क्षेत्रों में अनुपयोगिता, उनकी जटिल सरंचना, अधिक प्राचलों की आवश्यकता, आँकड़ों की माँग तथा काफी महँगे होने के कारण सीमित है। आस्ट्रेलिया के प्रथम राष्ट्रीय नदी बेसिन स्केल जल निदर्शन तंत्र ‘ई वाटर सोर्स’ को भारत में नदी बेसिन प्रबंधन के लिये विभिन्न बेसिनों में उपयोग करने की योजना है। वर्तमान में ईवाटर सोर्स में उपलब्ध आवाह निदर्शों में Sacramento (6 प्राचल), SIMHYD (7 प्राचल), SMARG, GR4J (4 प्राचल), IHACRES (6 प्राचल), AWBM (3 प्राचल) तथा SURM शामिल हैं। IHACRES (वर्षा, वाष्पन तथा सरिता से जलालेख एवं घटकों का अभिनिर्धारण) निदर्श एक लुंप्ड वैचारिक निदर्श है जिसमें निम्नतम आँकड़ों की आवश्यकता होती है तथा यह नदी प्रवाह की प्रवृत्ति को निदर्श करने तथा जलवायु परिवर्तन के अन्तर्गत इसके स्वभाव का पूर्वानुमान करने में समर्थ है। IHACRES वर्षा-अपवाह निदर्श प्रभावी वर्षा की गणना के लिये अरेखिक हानि मॉड्युल तथा प्रभावी वर्षा को नदी प्रवाह में परिवर्तन के लिये रेखिक मार्गभिग्मन मॉड्युल का उपयोग करता है। इस पत्र का उद्देश्य नर्मदा बेसिन के बंजर उप बेसिन के लिये IHACRES निदर्श की कार्यकुशलता का मूल्यांकन करना है। बंजार उप बेसिन का आवाह क्षेत्र 2522 वर्ग कि.मी. है। निदर्श को वर्ष 2000 से 2004 के लिये समायोजित किया गया तथा वर्ष 2005 एवं 2006 के लिये सत्यापित किया गया। IHACRES निदर्श ने बंजार उप बेसिन के लिये निरन्तर प्रतिदिन सरितप्रवाह को उपयोगी यथार्थता के साथ सफलता पूर्वक अनुकारित किया (समायोजन अवधि R2=0.78, बायस = - 5.24 m3/s, सत्यापन अवधि R2 = 0.72, बायस = - 6.07 m3/s)। निम्न निदर्श यथार्थता का मुख्य कारण सम्पूर्ण आवाह क्षेत्र के लिये औसत वर्षा का उपयुक्त आकलन न किया जाना है। यद्यपि निम्न प्रवाह का आकलन उच्च यथार्थता के साथ किया गया है लेकिन शीर्ष बाढ़ घटनाओं का आकलन कम करके किया गया है। यह भी देखा गया कि समायोजन आँकड़ो की लम्बाई तथा घटनाओ में विशिष्ट परिवर्तन के कारण इष्टतम प्राचल मान प्रभावित हुए हैं।

Abstract
Prediction of streamflow is required for various flood control, water quality, reservoir operation and other water resources projects. However, applicability various hydrological models in Indian catchment are limited due their complex structure, over-parameterised, data-demanding, and expensive to use. The eWater source, Australia's first national river basin scale water modelling system is planned to use in various basin of India for river basin management. The catchment models presently available in source are: Sacramento (6 parameters), SIMHYD (7 parameter), SMARG, GR4J (modèle du Génie Rural à 4 paramètres Journalier) (four parameters), IHACRES (six parameters), AWBM (3 parameter), SURM. The IHACRES (Identification of Hydrographs and Components from Rainfall, Evaporation and Stream) is a lumped conceptual model requiring minimal input data (discharge, rainfall, temperature), is less limited by these problems, and has potential to model streamflow patterns and predict its behaviour under climate change. The IHACRES rainfall-runoff model uses a non-linear loss module to calculate the effective rainfall and a linear routing module to convert effective rainfall into streamflow. The purpose of this paper is to evaluate IHACRES model performance for Banjar sub basin with 2522 km2 area in the Narmada basin. The model is calibrated for 2000 to 2004 and validated for 2005 and 2006. The IHACRES successfully simulated continuous daily streamflow for the Banjar sub basin with useful accuracy (calibration period R2 = 0.78, bias = - 5.24 m3/s; validation period R2 = 0.72, bias = - 6.07 m3/s). The low model accuracy is primarily due to poor estimate of average rainfall for the whole catchment. However, the low flows are estimated with a high accuracy, but the peak flood events are under estimated. It is also observed that the optimum parameter values were influenced by the length of calibration data and event specific changes.

परिचयः


विभिन्न जल संसाधन परियोजनाओं के अभिकल्प, प्रबन्धन तथा सतत विकास के लिये सरित प्रवाह पूर्वानुमान अति आवश्यक है। जल संसाधन परियोजनाओं में विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिये जलविज्ञानिय निदर्शों का उपयोग किया जाता है। जलविज्ञानिय निदर्शों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है अर्थात इम्पीरिकल एवं वैचारिक निदर्श (कारकनों इत्यादि 2008)। इम्पीरिकल निदर्श निवेशित एवं परिणाम चरो के बीच गणितीय सम्बन्धों पर आधारित है तथा इसमें बेसिन के भौतिक अभिलक्षणों पर विचार न कर, बेसिन को एक लुम्पड इकाई के रूप में विचार किया जाता है। वैचारिक निदर्श, भौतिक परिवहन प्रक्रियाओं का सरलतम वैचारिकरण का उपयोग कर बेसिन में जल विज्ञानीय स्वभाव के विभिन्न घटकों की व्याख्या करता है। जलविज्ञानिय निदर्शों की जटिल संरचना, अधिक प्राचल-युक्त, आँकड़ों की आवश्यकता तथा महँगे होने के कारण भारतीय आवाह क्षेत्र में इनकी अनुप्रयोगता सीमित है। IHACRES (वर्षा, वाष्पन तथा प्रवाह से घटकों एवं जलालेखों का अभिनिर्धारण) एक लुम्पड वैचारिक निदर्श है जिसके लिये निम्नतम आँकड़ों (प्रवाह, वर्षा, तापमान) की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त IHACRES निदर्श वितरित निर्देश की तुलना में आन्तरिक प्रक्रियाओं की अधिक स्पष्ट व्याख्या करता है। (क्रॉक इत्यादि 2005)। सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न आवाह क्षेत्रों के लिये जलविज्ञानिय अन्वेषण करने के लिये इसका अनुपयोग किया गया। जैसे कि UK में (लिटिल वुड इत्यादि 1997), USA (इवांस 2003), ऑस्ट्रेलिया (कार्लिले इत्यादि 2004), थाईलैंड (क्राड इत्यादि 2003) साउथ अफ्रीका (डार एवं क्राड 2003, श्रीवांगसिटनान एवं तेसोमबत, 2011) तथा जॉर्डन (अबुशेन्डी एवं मर्केल, 2013)। इस शोध पत्र का उद्देश्य भारतीय बेसिन अर्थात नर्मदा बेसिन के बंजार उप बेसिन के लिये IHACRES निदर्शों की कार्य दक्षता का मूल्यांकन करना है।

अध्ययन क्षेत्र तथा आँकड़ेः


बंजार नदी नर्मदा नदी कि मुख्य सहायक नदी है तथा मध्य प्रदेश राज्य के मंडला जिले से होकर गुजरती है। नदी के आवाह क्षेत्र के जिले में सर्वोत्तम साल वन है। नर्मदा के ऊपरी भाग में बंजार नदी के किनारे कान्हा राष्ट्रीय पार्क भी स्थित है। बंजार नदी कान्हा पार्क की जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है। नर्मदा नदी के साथ-साथ बंजार नदी का बेसिन मानचित्र-1 में दर्शाया गया है। बामनी मापन स्थल तक इसका आवाह क्षेत्र 2522 वर्ग किलोमीटर है। 2000 से 2006 तक मापन स्थल पर निस्सरण के आँकड़े केन्द्रीय जल आयोग भोपाल से प्राप्त किये गए। मंडला में प्रतिदिन वर्षा तापमान तथा इस अवधि के दौरान मालांजर खंड पर प्रतिदिन वर्षा आँकड़े भी भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) से प्राप्त किए गए।

निर्देश विवरणः


IHACRES निदर्श लघु पैमाने की जलविज्ञानीय प्रक्रियाएँ, जिनमें वर्षा के कारण नदी प्रवाह के स्थान पर आवाह क्षेत्र पैमाने पर वर्षा-अपवाह स्वभाव का निदर्शन करता है। यह आवाह क्षेत्र पैमाने पर आँकड़ों तथा प्राचलों से वर्षा-अपवाह स्वभाव का अभिनिर्धारण करता है। आवाह क्षेत्र निदर्शन किट द्वारा उपलब्ध IHACRES भाग 2.1 (IHACRES क्लासिक प्लस), जो IHACRES का जावा आधारित वर्जन है, का इस अध्ययन में उपयोग किया है। इसमें दो मॉडयूल-एक रेखिक तथा दूसरा अरेखिक है। अरेखिक मॉडयूल वर्षा तथा तापमान को प्रभावी वर्षा में परिवर्तित करता है जबकि रेखिक मॉडयूल प्रभावी वर्षा को अपवाह में परिवर्तित करता है। प्रभावी वर्षा (uk) का अरेखिक प्रतिनिरूपण समीकरण (1) में दिया गया है।

Fig 2 IHACRES निदर्श संरचना
समीकरन - 1,2,3जहाँ tk प्रेक्षित तापमान (Oc), rw सन्दर्भ तापमान पर शुष्क दर (Oc), f तापमान मॉड्युलेशन (O-1c) तथा सन्दर्भ तापमान (Oc) है जो स्थानीय वायु तापमान के अनुसार सेट होता है। प्राचल f वाष्पोत्सर्जन की मौसमीय विविधता से सम्बन्धित होता है जो मुख्यतः जलवायु, भूमि उपयोग तथा भूमि आवरण से प्रभावित होता है। प्राचलमृदा निकासी तथा अन्तः स्यंदन दर की विविधता को प्रभावित करता है।

रेखिक सम्बन्धों का उपयोग कर प्रभावी वर्षा को अपवाह में परिवर्तित किया गया। प्रवाह मार्गभिगमन में दो घटक त्वरित प्रवाह एवं धीमा प्रवाह है। अधिकाँश अनुप्रयोगों में यह सन्तुति की गयी की समानांतर रूप से जुड़े दो घटकों का उपयोग करना चाहिए केवल अर्धशुष्क क्षेत्रों अथवा अल्पकालिक नदियों को छोड़कर जहाँ सामान्यतः एक घटक पर्याप्त होता है। (ये इत्यादि, 1997)। त्वरित प्रवाह (Xqk) तथा धीमे प्रवाह (Xsk) मिलकर अपवाह (Sk) का उत्पाद करते हैं जिसकी व्याख्या निम्न है।

समीकरन - 4,5,6

कार्यप्रणाली


निदर्श सत्यापन एवं विभिन्न निदर्श प्राचलों के आकलन के लिये 2000-2004 तक के आँकड़े उपयोग किए गए। विभिन्न निदर्श प्राचलों के आकलन के बाद, निदर्श को 2005-2006 के लिये सत्यापित किया गया। विभिन्न निदर्श प्राचलों अर्थात rw, f, tr, l तथा p सभी पूर्व ग्रिड खोज में न्यूनतम और अधिकतम के बीच पाये गए। निदर्श प्राचलों का चयन विभिन्न आँकड़ों की दक्षता के आधार पर किया गया। जिनकी समीकरण (10) से समीकरण (12) में व्याख्या की गई हैं।

समीकरन - 10,11,12

परिणाम एवं चर्चाः


बेसिन में औसत वर्षा लगभग 1216 मि.मी. तथा अधिकतम तापमान 42.90c है। जैसे की चित्र 3 में दर्शाया गया है बेसिन में भूमि उपयोग में 50 प्रतिशत वन तथा 18 प्रतिशत कृषि भूमि है। अधिकांश मृदा किस्म रेतीली तथा मध्यम काली मृदा है। बेसिन का मृदा चित्र (4) में दर्शाया गया है। वर्षा, तापमान तथा नदी प्रवाह के सह-सम्बन्धों के चित्र (5) में दर्शाया गया है। नीली एवं लाल के दाईं ओर काली चोटियाँ दिखाई दे रही है। यह संकेत करता है कि वर्षा एवं नदी प्रवाह के बीच समय लगता है अर्थात किसी दिन नदी प्रवाह का सम्बन्ध कल की वर्षा से है न कि आज की। इसके अतिरिक्त इन तीनों चरो का 3d चित्र में 1 दिन की देरी के साथ नदी प्रवाह नीचे चित्र 6 में दिखाया गया है।

चित्र 3 बेसिन का भूमि उपयोग मानचित्र
चित्र 4 बेसिन का मर्दा मानचित्र
चित्र - 5, वर्षा तापमान तथा सरितपरवाह के सह-संबंध
चित्र 6 वर्षा तापमान सरितपरवाह के 3...प्रतिदिन प्रेक्षित सरित प्रवाह चित्र (7) में दर्शाया गया है। यह स्पष्ट है कि आवाह क्षेत्र एक अल्पकालिक आवाह क्षेत्र है। 2000 से 2004 के लिये IHACRES का समायोजन किया गया। अधिकतम R2 (0.78) तथा निम्नतम Bias (- 5.24 मी/c) सापेक्ष निदर्श प्राचल सारणी 1 में दिए गए हैं। प्रेक्षित तथा अनुकारित सरित प्रवाह का ग्राफ चित्र (8) में दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त निदर्श को वर्ष 2005 से 2006 के लिये सत्यापित किया गया। सत्यापन अवधि के दौरान R2 तथा Bias के मान क्रमशः 0.72 तथा -6.07 मी.3/से. पाये गए। प्रेक्षित एवं अनुकारित सरित प्रवाह चित्र 9 में दर्शाये गए हैं। यह प्रेक्षित किया गया की IHACRES निदर्श त्वरित प्रवाह घटक की तुलना में निम्न प्रवाह घटक को अनुकारित करने के अधिक योग्य है। चित्र 6 यह भी दर्शाता है कि शीर्ष सरित प्रवाह तथा अधिकतम वर्षा एक समय में नहीं है। इसका कारण वर्षा आँकड़ों की उपलब्धता हो सकती है क्योंकि आवाह क्षेत्र की सीमा में केवल एक वर्षामापी स्टेशन है दूसरा वर्षामापी स्टेशन आवाह क्षेत्र की सीमा से बाहर है। यद्यपि आवाह क्षेत्र के लिये औसत वर्षा का आकलन थीजन पोलिगान विधि से किया गया परन्तु 2522 वर्ग कि.मी. के आवाह क्षेत्र के लिये अतिरिक्त वर्षा आकड़ों की आवश्यकता है।

चित्र 7
टेबल
चित्र 8 और 9निष्कर्षः
इस शोध पत्र में नर्मदा बेसिन में बंजार उप बेसिन, जिसका आवाह क्षेत्र 2522 वर्ग कि.मी. है, के लिये IHACRES की कार्यदक्षता का मूल्यांकन करने के लिये इसका अनुप्रयोग किया गया। निदर्श को 2000 से 2004 के लिये समायोजित किया गया तथा 2005 से 2006 के लिये सत्यापित किया गया। IHACRES ने सफलतापूर्वक निरन्तर प्रतिदिन प्रवाह को काफी यथार्थता के साथ अनुकारित किया। (समायोजन अवधि R2 = 0.78, bias = - 5.24 मी/से.) निदर्श की निम्न यथार्थता का कारण पूर्ण आवाह क्षेत्र के लिये औसत वर्षा का निम्न स्तर का आकलन है। यद्यपि निम्न प्रवाह का आकलन उच्च यथार्थता के साथ किया गया। केवल मानसून अवधि के लिये निदर्श का समायोजन त्वरित प्रवाह अनुकरण के लिये निदर्श की यथार्थता में सुधार कर सकता है।

सन्दर्भः
अबुशाण्डि, ई और मार्केल, बी (2013) ‘‘जॉर्डन के एक शुष्क क्षेत्र में एक एकल वर्षा घटना के लिये एचईसी-एचएमएस और IHACRES का प्रयोग कर वर्षा अपवाह सम्बन्ध की मॉडलिंग’’। जल संसाधन प्रबंधन। 27 (7), 2391-2409।
कारकानो, ई. सी.बर्तोलिनी, पी मुसेल्ली, एम और पिरोद्दी, एल (2008) ‘‘प्रतिदिन सरित प्रवाह निदर्शन में जॉर्डन आवर्तक तंत्रिका नेटवर्क IHACRES बनाम’’ Hydrology Journal, 362, 291-307।
कार्लिले, पी.डब्लू. क्रोक, बी.एफ.डब्ल्यू. जैकमैन, ए.जे और लीस, बीजी (2004)। ‘लघु नदी के जलग्रहण के भीतर भूमि-उपयोग परिवर्तन सरितप्रवाह और भूजल पुनर्भरण के अनुकरण के लिये एक से.मि. डिस्ट्रीब्यूटेड जलग्रहण जल विज्ञान मॉडल का विकास ‘एन.एस.डब्ल्यू, 54-56। I.C. रेगोलिथ, 2004 सी.आर सी.एल.ई.एम’।
क्रोक, बी.एफ डब्ल्यू एंड्रयूज, एफ जैकमैन, ए जे कुड्डी, एस और लुड्डी, ए (2005)। ‘IHACRES वर्षाजल का प्रवाह मॉडल का नया स्वरूप’ 29 वें जल विज्ञान और जल संसाधन संगोष्ठी में। 21-23 फरवरी 2005, कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया। 1-7।
क्रोक, बी एफ डब्ल्यू मेरिट, डब्ल्यू एस और जैकमैन, एजे (2003)। ‘‘मापित और अमापित जलग्रहण क्षेत्र में भूमि कवर परिवर्तन करने के लिये जलीय प्रतिक्रिया की भविष्यवाणी के लिये एक गतिशील मॉडल।’’ जर्नल ऑफ हाइड्रोलॉजी, 291, 115-131।
डाई, पी जे और क्रोक बी एफ डब्ल्यू (2003)। ‘‘दक्षिण अफ्रीका के दो जलग्रहण में IHACRES वर्षा-जल का प्रवाह मॉडल के आधार पर सरितप्रवाह भविष्यवाणियों का मूल्यांके।’’ पर्यावरण मॉडलिंग एवं सॉफ्टवेयर, 18, 705-712।
इवांस, जे पी (2003)। ‘‘क्षेत्रीय जलवायु मॉडल से मॉडलिंग किए गए सरित प्रवाह की विशेषताओं में सुधार।’’ जर्नल ऑफ हाइड्रोलॉजी, 284, 211-227।
लिटिलवुड, आई.जी. डाओन, के पार्कर, जे. आर. और पोस्ट, डी.ए. (1997), ‘‘कैचमेंट-स्केल वर्षा-अफवाह मॉडलिंग संस्करण 1.0 उपयोगकर्ता गाइड-अप्रैल 1997 के लिये IHACRES का पी सी संस्करण’’ पारिस्थितिकी और जल विज्ञान केन्द्र, वैलिंगफोर्ड, ऑक्सोन, ब्रिटेन।
श्रीवांगसिटनान एवं तेसोमबत (2010)। ‘‘गणितीय मॉडल का उपयोग कर ऊपरी पिंग नदी बेसिन के लिये बाढ़ आकलन’’, जर्नल ऑफ प्राकृतिक विज्ञान, 44, 152-166।
ये. डब्ल्यू बेट्स, बी.सी. विनय, एन.आर. सिवपालन, एम और जैकमैन, ए जे (1997)। ‘‘कम उपज अल्पकालिक जलग्रहण में वैचारिक वर्षा-अपवाह मॉडलों का प्रदर्शे।’’ जल संसाधन रिसर्च, 33, 153-166।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading