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Rivers of Mewar in Hindi

अमितेश कुमार


मेवाड़ में वर्ष भर प्रवाहित होने वाली कोई नदी नहीं है। चंबल नदी मेवाड़ के कुछ प्रदेशों से (कोटा के निकट) होकर अवश्य बहता है, किंतु इसे मेवाड़ की नदी नहीं कहा जा सकता। यहाँ की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी बनास है, जिसका उद्गम स्थल अरावली पर्वतमाला में कुंभलगढ़ के पास है। यहाँ से प्रवाहित होती हुई यह नदी मैदानी भाग में पहुँचती है और अंत में मांडलगढ़ (उदयपुर के उत्तर-पूर्व में लगभग 100 मील की दूरी पर स्थित) के निकट बेड़च नदी इसमें आकर मिल जाती है। इस स्थान को त्रिवेणी तीर्थ माना जाता था। अन्त में यह अजमेर तथा जयपुर रियासत की सीमा में पहुँच जाती है तथा चंबल में जा मिलती है।

बनास के अतिरिक्त खारी, मानसी, कोठारी, बेड़च, जाकम तथा सोम इस प्रदेश की मुख्य नदियाँ हैं। खारी उत्तर की ओर पड़ने वाली पहली नदी है, यह दिवेर जिले की पहाड़ियों से निकलती है तथा अन्त में बनास नदी में जा मिलती है। इसके दक्षिण में कुछ मील के अंतर पर इसकी सहायक नदी मानसी 60 मील तक इसके समानान्तर बहती है और अजमेर की सीमा के फुलिया के समीप इसमें मिल जाती है। खारी के दक्षिण की तरफ कोठारी (कोटेशरी) नदी बहती है, जो अरावली पहाड़ों से निकलकर दिवेर के दक्षिण तरफ से 90 मील बहने के बाद नन्दराम से एक कोस की दूरी पर बनास में जा मिलती है।

बनास के ही दक्षिण में बेड़च बहती है, जो उदयपुर के पश्चिम की पहाड़ियों से निकलती है, लेकिन उदयसागर तालाब में गिरने से पहले आहड़ की नदी कही जाती है। इसके बाद उदयसागर का नाला कुछ दूरी पर बेड़च कहा जाता है। अंततः यह चित्तौड़ होते हुए आगे बढ़ती है तथा बनास में जा गिरती है। जाकुम छोटी सादड़ी के समीप से निकलती है। कुछ आगे बाईं तरफ से उसमें करमरी आ मिलती है, फिर वहाँ से अन्ततः सोम में जा मिलती है। यह अपना समस्त बहाव चट्टानों व जंगलों में रखती है और यही कारण है कि यह कई स्थानों पर रमणीक आभा देते हैं। रियासत के समस्त नैॠत्य कोण के हिस्से का तथा जय समन्द के निकास का पानी सोम नदी में जाता है, जो वहाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। फिर दक्षिण में बबराना गाँव के पास मुड़कर मही में जा गिरती है।

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संदर्भ:
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