सेहत पर पड़ती है चोट

24 Dec 2018
0 mins read
climate change
climate change

 

वायु प्रदूषक न केवल स्वास्थ्य पर गम्भीर प्रतिकूल असर डालते हैं, बल्कि पृथ्वी की जलवायु और जैव प्रणाली को भी दुष्प्रभावित करते हैं। वायु प्रदूषक जैसे मीथेन, ब्लैक कार्बन आदि जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारणों में शुमार किये जा सकते हैं। ये कृषि की उत्पादकता को दुष्प्रभावित करते हैं। जलवायु प्रदूषण का प्रमुख कारण ठोस ईंधन माना जाता है। एक के उपयोग को कम-से-कम किया जाए तो दूसरे की स्थिति में सुधार हो सकता है।

विश्व भर में वायु प्रदूषण बीमारियों और मृत्यु का प्रमुख कारण है। वर्ष 2016 में वायु प्रदूषण के चलते अनुमानत: अस्सी लाख लोग अकाल मृत्यु का ग्रास बने; इनमें से 42 लाख लोगों की मौत घर से बाहर वायु प्रदूषण की चपेट में आने से हुई जबकि 38 लाख लोगों को उनके घरों के भीतर ही वायु प्रदूषण ने अपना शिकार बना डाला। इस साल विश्व की 91 प्रतिशत जनसंख्या ऐसी जगहों पर आबाद थी, जहाँ वायु की गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से कमतर थी।

सार्वजनिक स्वास्थ्य के सर्वाधिक खतरे की पुष्टि करने वाले प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर (pm), ओजोन (O3), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (No2) तथा सल्फर डाइऑक्साइड (So2) शामिल हैं। पीएम बाहरी प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को जाँचने-परखने का सर्वाधिक उपयोग में लाया जाने वाला संकेतक है। पीएम विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) द्वारा फेफड़ों के कैंसर के कारण के रूप में गिनाए गए कारणों में शुमार है।

घरों में वायु प्रदूषण उन करीब तीस लाख लोगों के लिये गम्भीर खतरा है, जो भोजन बनाने और अपने घरों को गरम रखने के लिये बायोमास ईंधन और कोयले का इस्तेमाल करते हैं। इन लोगों का आम तौर पर जिक्र ‘भुला-बिसरा दिए गए तीस लाख’ लोगों के रूप में किया जाता है। ठोस ईंधन (जैसे लकड़ी, कृषि उपजों के अवशेष, चारकोल, कोयला और उपला) और केरोसिन को खुले में जलाकर भोजन तैयार किया जाना घरों में प्रदूषण का प्रमुख कारण है।

रिहायश का कम हवादार होना तथा घरों में धुआँ, वायु प्रदूषकों के स्वीकार्य स्तर से सौ गुणा ज्यादा होता है। इससे महिलाओं और बच्चों के लिये ज्यादा खतरा हो जाता है, जो अपना ज्यादातर समय घर में गुजारते हैं। वायु प्रदूषण से बच पाना बेहद मुश्किल है, भले ही आप कितने भी समृद्ध इलाके में रहते हों। यह हमें चारों ओर से घेरे रहता है। वायु में मौजूद अति सूक्ष्म (माइक्रोस्कोप से देखे जा सकने वाले) प्रदूषक शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बींध देते हैं। श्वास प्रणाली में गहरे पहुँच सकते हैं। रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं। फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

जानलेवा वायु प्रदूषण

घर से बाहर के वायु प्रदूषण से होने वाली कुल मौतों की एक-चौथाई मौतें होती हैं। ये मौतें फेफड़े के कैंसर, हृदय रोग सम्बन्धी शिकायतों और हृदयाघात के कारण होती हैं। आधी मौतें या बीमारियाँ क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और प्रत्येक तीन में से एक मौत फेफड़े के कैंसर से होती है। घर के भीतर होने वाले वायु प्रदूषण से आघात, हृदय सम्बन्धी रोग, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और फेफड़े के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों और वयस्कों, दोनों में लगातार लम्बे या थोड़े समय तक वायु प्रदूषण के माहौल में रहने से फेफड़े कमजोर पड़ जाने का अन्देशा रहता है।

श्वास सम्बन्धी संक्रमण और गम्भीर अस्थमा की शिकायत हो सकती है। गर्भवती महिला के बाहरी वायु प्रदूषण के घेरे में रहने के कारण बच्चे के जन्म के समय जटिलताएँ उभर सकती हैं। जैसे कम वजनी शिशु जन्मना या समय-पूर्व जन्म। अनुमान लगाया गया है कि घर के भीतर होने वाले वायु प्रदूषण से बच्चों में न्यूमोनिया होने का खतरा दोगुना बढ़ जाता है। घरों में होने वाले प्रदूषण से मरने वाले बच्चों में 45 प्रतिशत की मृत्यु न्यूमोनिया के कारण होती है। ये बच्चे पाँच वर्ष से कम आयु के होते हैं। प्रमाण मिल रहे हैं कि घर से बाहर के वायु प्रदूषण से मधुमेह के रोगी पीड़ित हो सकते हैं। बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ता है।

हालांकि जनसंख्या के सभी हिस्से वायु प्रदूषण से पीड़ित होते हैं। लेकिन स्वास्थ्य खराब होने से ज्यादातर गरीब और हाशिए पर पड़े लोग ज्यादा परेशानी में पड़ जाते हैं। इनमें से अधिकांश को व्यस्त सड़कों और औद्योगिक क्षेत्रों में रहना पड़ता है, जहाँ घर से बाहर होने वाले वायु प्रदूषण की चपेट में आने की आशंका ज्यादा रहती है। इसके अलावा, जिन लोगों को पहले से ही फेफड़े या हृदय सम्बन्धी शिकायतें होती हैं या बुजुर्ग और बच्चों को घर से बाहर होने वाला वायु प्रदूषण ज्यादा परेशान करता है। इसलिये वायु की गुणवत्ता में सुधार लाना बेहद जरूरी हो जाता है। इसी से सभी को उत्तम स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सकेगा।

आबादी के निचले तबकों और बच्चों के साथ ही बुजुर्गों के लिये उत्तम स्वास्थ्य की शर्त पूरी हो सकेगी। घरों से बाहर होने वाले प्रदूषण पर किसी व्यक्ति का बस नहीं होता। इससे बचाव के लिये जरूरी है कि स्थानीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर नीति-निर्माता, जो परिवहन, ऊर्जा, कचरा प्रबन्धन, शहरी नियोजन और कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं, मिलकर ठोस प्रयास करें। बाहरी प्रदूषण को कम करने के लिये शहरी और कृषि अवशिष्टों का अच्छे से प्रबन्धन आवश्यक है। भोजन तैयार करने, घरों को गरम और रौशन रखने, शहरी परिवहन को त्वरित प्राथमिकता देने, कम सल्फर वाला ईंधन मुहैया कराने, भवनों और शहरों को उत्तम क्षमता की ऊर्जा मुहैया कराने और उन्हें स्वच्छ-हरित रखने को प्राथमिकता देनी होगी। इस प्रकार जरूरी है कि अच्छी ऊर्जा, नवीनीकृत ऊर्जा (जैसे सौर या पवन ऊर्जा या पनबिजली) के प्रयोग को बढ़ावा मिले। नगरीय तथा कृषि अपशिष्टों के निपटान से कचरा निपटान में मदद मिल सकती है।

वायु प्रदूषक न केवल स्वास्थ्य पर गम्भीर प्रभाव डालते हैं, बल्कि पृथ्वी की जलवायु और जैव प्रणाली को भी प्रभावित करते हैं। वायु प्रदूषक जैसे मीथेन, ब्लैक कार्बन आदि जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारणों में शुमार किये जा सकते हैं। ये कृषि की उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। जलवायु प्रदूषण का प्रमुख कारण ठोस ईंधन माना जाता है। एक के उपयोग को कम से कम किया जाए तो दूसरे की स्थिति में सुधार हो सकता है।

प्रदूषण नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन के वैश्विक प्रयासों जैसे पेरिस समझौता आदि से 2050 तक विश्व भर में लाखों लोगों का जीवन बचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह लक्ष्य मात्र वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने से हासिल किया जा सकता है। भारत में हर साल वायु प्रदूषण पर खासा ध्यान दिया जाता है। खासकर दीपावली के आस-पास के दिनों में। उन दिनों में वायु की गुणवत्ता में सुधार भी देखने को मिलता है, लेकिन जल्द ही स्थिति जस-की-तस हो जाती है। दरअसल, तमाम प्रयासों और चर्चाओं से दूर होते ही तमाम खामियाँ उभर आती हैं। हालांकि घरों में ‘उज्ज्वला योजना’ जैसे कार्यक्रम वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने की दिशा में अच्छे उपाय हैं, लेकिन ज्यादा-से-ज्यादा उपाय किये जाने की दरकार है।

(लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं)
(लेखक स्वास्थ्य मामलों के विशेषज्ञ हैं।)

 

 

 

 

TAGS

environment pollution in hindi, health disorders in hindi, ecological system in hindi, black carbon in hindi, methane in hindi, climate change in hindi, air pollutants in hindi, particulate matter in hindi, ozone in hindi, nitrogen dioxide in hindi, sulphur dioxide in hindi, international agency on research for cancer in hindi, chronic obstructive pulmonary disease in hindi

 

 

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading