सहजन के पेड़ कटे

सहजनसहजन के पेड़ कटे
सहजन के पेड़।
जीवन की गठरी में, थे जो अरमान
ले उड़े अचानक ही आंधी-तूफान
पेड़ जो कि रहबर थे, गिरे कटे रोज
गली-गली झूम रहे सहजन के पेड़
सहजन के पेड़ कटे
सहजन के पेड़।
आम कटे और कटे भोले अमरूद
बढ़े यूं बबूल कि ज्यों महाजन का सूद
चाह कटी, उम्र कटी, हटे नहीं किंतु
मेरे दरवाजे से सहजन के पेड़
सहजन के पेड़ कटे
सहजन के पेड़।
राजपथ सजे-संवरे, जनपथ वीरान
राजा ने रखा कहां, निज जन का ध्यान
मंत्री संत्री सारे काट रहे रोज
अपना घर भरने को, सहजन के पेड़
सहजन के पेड़ कटे
सहजन के पेड़।

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