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सीतापुर

सीतापुर 1. जिला, यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का जिला है जिनका क्षेत्रफल 5.750 वर्ग किमी है। उत्तर में खीरी, पश्चिम एवं पश्चिम दक्षिण में हरदोई, दक्षिण में लखनऊ, दक्षिण पूर्व में बाराबंकी और पूर्व एवं उत्तर पूर्व में बहराइच जिले हैं। जिले का पूर्वी भाग नीचा एवं आर्द्र क्षेत्र है जिसका अधिकांश भाग वर्षाकाल में पानी डूबा रहता है पर जिले का शेष भाग ऊँचा है। निचले क्षेत्र की नदियों का मार्ग परिवर्तनशील है पर ऊँचे क्षेत्र की नदियों का मार्ग अधिक स्थायी है। गोमती और घाघरा या कौड़िया नदियाँ, जो क्रमश: पश्चिमी एवं पूर्वी सीमाएँ बनाती हैं, नौगम्य हैं। ऊँचे क्षेत्र का जल निकास मुख्यत: कथना एवं सरायान नदियों द्वारा होता है जो गोमती की सहायक नदियाँ हैं। निचले भूभाग के मध्य से शारदा नदी की एक शाखा चौका बहती है। शारदा की दूसरी शाखा दहावर जिले के उत्तरी पूर्वी कोनों को खोरी जिले से अलग करती है। शीशम, तुन, आम, कटहल और एक प्रकार की झरबेरी यहाँ की प्रमुख वनस्पतियाँ हैं तथा शीशम एवं तनु इमारती लकड़ी के प्रमुख वृक्ष हैं। अंजीर, अशेशा, एवं बाँस की कई जातियाँ यहाँ होती हैं। यहाँ की नदियों में मगर, सूँस तथा पर्याप्त परिमाण में मछलियाँ मिलती हैं भेड़िया, वनबिलाव, गीदड़, लोमड़ी, नीलगाय एवं बारहसिंगा यहाँ के वन्य प्राणी हैं। यहाँ की वार्षिक वर्षा 965 मिमी. है। जिले की बलुआ मिट्टी में बाजरा और जौ तथा उपजाऊ चिकनी मिट्टी में गन्ना, गेहूँ और मक्का उगाए जाते हैं। चौका नदी के पश्चिमी भूभाग में धान की खेती की जाती है। कंकड़ या कैल्सियमी चूना पत्थर एकमात्र खनिज है जो खंड के रूप में मिलता है।

2. नगर, स्थिति: 27034उ. अ. तथा 80040पू. दे.। यह नगर उपर्युक्त जिले का प्रशासनिक केंद्र है जो लखनऊ एवं शाहजहाँपुर मार्ग के मध्य में सरायान नदी के किनारे पर स्थित है। नगर में भारत प्रसिद्ध नेत्र अस्पताल है नगर में प्लाइउड का निर्माण का एक कारखाना भी है। (अजितनारायण मेहरोत्र)

इतिहाससीतापुर के विषय में अनुश्रुति यह है कि राम और सीता ने अपनी वनयात्रा के समय यहाँ प्रवास किया था। आगे चलकर राजा विक्रमादित्य ने इस स्थान पर एक नगर बसाया जो सीता के नाम पर बसा (इंपीरियल गजेटियर ऑव इंडिया)

कुषण काल की संध्या में प्राय: संपूर्ण जिला भारशिव काल की इमारतों और गुप्त तथा गुप्त प्रभावित मूर्तियों तथा इमारतों से भरा हुआ था। मनवाँ, हरगाँव, बड़ा गाँव, नसीराबाद आदि पुरातात्विक महत्व के स्थान हैं। नैमिष और मिसरिख पवित्र तीर्थ स्थल हैं।प्रारंभिक मुस्लिम काल के लक्षण केवल भग्न हिंदू मंदिरों और मूर्तियों के रूप में ही उपलब्ध हैं। इस युग के ऐतिहासिक प्रमाण शेरशाह द्वारा निर्मित कुओं और सड़कों के रूप में दिखाई देते हैं। उस युग की मुख्य घटनाओं में से एक तो खैराबाद के निकट हुमायूँ और शेरशाह के बीच और दूसरी सुहेलदेव और सैयद सालार के बीच बिसवाँ और तंबौर के युद्ध हैं। सीतापुर के निकट स्थित खैराबाद मूलत: प्राचीन हिंदू तीर्थ मानसछत्र था। मुस्लिम काल में खैराबाद बाड़ी, बिसवाँ इत्यादि इस जिले के प्रमुख नगर थे। ब्रिटिश काल (1856) में खैराबाद छोड़कर जिले का केंद्र सीतापुर नगर में बनाया गया। सीतापुर का तरीनपुर मोहल्ला प्राचीन स्थान है।

सीतापुर का प्रथम उल्लेख राजा टोडरमल के बंदोबस्त में छितियापुर के नाम से आता है। बहुत दिन तक इसे छीतापुर कहा जाता रहा, जो गाँवों में अब भी प्रचलित हैं। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सीतापुर का प्रमुख हाथ था। बाड़ी के निकट सर हीपग्रांट तथा फैजाबाद के मौलवी के बीच निर्णंयात्मक युद्ध हुआ था।

सीतापुर गुड़, गल्ला, दरी की बड़ी मंडी है। यहाँ एक बहुत बड़ा आँख का अस्पताल, सैनिक छावनी तथा उत्तर एवं पूर्वोत्तर रेलवे के जंक्शन हैं, प्लाईवुड और तीन बड़े शक्कर के मिल हैं। यहाँ के साहित्यकारों में 'सुदामाचरित्र' के रचयिता नरोत्तमदास (बाड़ी), लेखराज, द्विजराज, ब्रजराज, कृष्णबिहारी मिश्र, ब्रजकिशोर मिश्र (गंधौली), अनूप शर्मा (नवीनगर), तथा द्विज बलदेव (बलदेवनगर) उल्लेखनीय हैं। हिंदी सभा यहाँ की प्रमुख साहित्यिक संस्था है। (रामबली पांडेय)

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