सम्पन्न ‘हवेली’ क्षेत्र का केन्द्र है-बम्हनी बंजर

8 Mar 2010
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‘हवेली’ क्षेत्र के 45-50 गाँवों के केन्द्र बम्हनी बंजर में, जिसे ब्राह्मणी बंजर भी माना जाता है, 40 एकड़ का सागर तालाब है और थाने के सामने लमती तालाब से आज भी लोग दाल पकाने के लिए पानी ले जाते हैं। इनके अलावा यहाँ बबूरा, परसा, पुच्छा और बड़ा तालाब सरीखे एक सदी से भी अधिक पुराने अनेकों प्राकृतिक तालाब हैं। बंजर नदी के कछार के इस क्षेत्र में सतही पानी के उपयोग के कारण इस क्षेत्र में फ्लोरोसिस की शिकायत नहीं है। पेयजल के लिए पहले यहाँ मात्र एक कुआँ था और लोग नाले तथा तालाबों से ही काम चलाते थे। 1949-50 में नगर पालिका बनने के बाद 43 कुएँ खुदवाए जो अब बढ़कर 55-60 हो गए हैं।

कस्बे में 1964 में एक नलकूप खुदवाया था लेकिन वह सफल नहीं हुआ। 1988 में आम के पेड़ के पास पानी होने का अंदाजा लगाकर दूसरा नलकूप 160 फुट तक खुदवाया और उसमें खूब पानी निकला। अब यहाँ तीन नलकूपों से जल प्रदाय किया जाता है। इलाके में फिलहाल इतना पानी है कि 90 प्रतिशत नलकूप सफल हैं। 15 हजार जनसंख्या वाले बम्हनी और आसपास के 40-50 गाँवों में तालाबों के कारण पानी का संकट नहीं है। हालाँकि चारों तरफ नल योजना बनने के बाद तालाबों के प्रति इतनी लापरवाही बढ़ गई है कि पूरे कस्बे की निकास नालियाँ, कभी के मछली व जल के दाता इन तालाबों में डाली जा रही हैं

बम्हनी में अधिकतर तालाब और जंगल मालगुजारों के रहे हैं जिनमें 384 गाँवों का मालगुजार चौधरी परिवार सबसे अधिक तालाबों का मालिक है। इन चौधरियों का मंडला के पास महाराजपुर में नर्मदा किनारे एक विशाल बाड़ा है। जिसमें एक सुन्दर बावड़ी बनी है। जगन्नाथ चौधरी के जमाने में सन् 1850 के आसपास बनी एक बावड़ी पर एक ऊँची टंकी रखकर, उसे हाथ से चलने वाले पम्प से दिन में एक बार भर दिया जाता था और फिर घर भर में नल से पानी लिया जाता था। कहते हैं कि मंडला के कलेक्टर का बंगला, स्टेट बैंक, रानी रामगढ़ की धर्मशाला, स्कूल, अस्पताल आदि इन्हीं जगन्नाथ चौ धरी के बनवाए और चौधरी परिवार के ही हैं।

इस इलाके में आपरूप फुटने वाली झिरियाँ कम ही हैं। लेकिन एक जमाने में बघड़ा गाँव में एक झिरियाँ बनाई गई थी। यहाँ दो-तीन ऐसी ही झिरिएँ रोककर उन पर एक छोटा बंधान भी बनाया गया है जिससे 50 एकड़ तक की सिंचाई हो जाती है। सिंचाई के लिए 1972-73 में बने मुर्गाटोला बाँध से भी पानी लिया जा रहा है।

एक जमाने में रानी दुर्गावती और रानी अवंतीबाई की वीरगाथाओं का साक्षी रहा यह इलाका तेजी से पानी की कमी होते देख रहा है।

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