संजय नदी पर प्रस्तावित दुगनी बराज हेतु गणितीय प्रतिमान अध्ययन, झारखण्ड

15 Jan 2020
0 mins read
बराज स्थिति हेतु विभिन्न प्रस्तावित स्थल
बराज स्थिति हेतु विभिन्न प्रस्तावित स्थल

सारांश

झारखण्ड के सराइकेला खारसवान जिले में 688 हे. क्षेत्र में सिंचाई हेतु एक बराज का निर्माण सुनिश्चित हुआ था। संजय नदी, खारकाई की एक उप नदी है एवं दुगनी गाँव के समीप प्रस्तावित बराज स्थल के 11 कि.मी. अनुप्रवाह में इसको मिलती है। खारकाई नदी पर एक अन्य निर्माणाधीन बराज का कार्य पूर्ण होने वाला है जो की संजय नदी के संगम से 1 कि.मी. अनुप्रवाह में स्थित है। खारकाई बराज में पूर्ण जल-भरण होने के उपरांत इसके जल-स्तर का विस्तार दुगनी बराज तक भी पहुँच जाएगा।

दुगनी बराज के अध्ययन के लिए द्विमितीय गणितीय प्रतिमान को 2-D HEC-RAS सॉफ्टवेयर की मदद से किया गया, जिसमें प्रस्तावित बराज स्थल के 10 किलोमीटर प्रतिप्रवाह से 3 कि.मी. अनुप्रवाह तक का कुल 13 कि.मी. नदी का विस्तार पुनरुत्पादित किया गया। वर्तमान स्थिति एवं 50 तथा 60 मी जलमार्ग के बराज के साथ अध्ययन किए गए। 2-DHEC-RAS सॉफ्टवेयर की सहायता से 1900 मी3/सें एवं 2407 मी3/सें के निस्सरणों के लिए प्रस्तावित बराज स्थल के सामीप्य में जल स्तर और वेगों का परिकलन किया गया। अध्ययन के विश्लेषण और प्रेक्षणों, उपलब्ध डेटा एवं स्थल निरीक्षण के आधार पर प्रस्तावित स्थलों में से स्थल क्रमांक २ पर बराज स्थल का निर्धारण किया गया। 50 मी. जलमार्ग के लिए प्रस्तावित बराज के ऊर्ध्वप्रवाह में 2407 मी3/सें निस्सरण के लिए 0.65 मी. का जलोथ्थान पाया गया इसकी तुलना में इसी स्थिति में 60 मी. जलमार्ग के लिए केवल 0.39 मी. जलोथ्थान की गणना की गई। प्रस्तावित बराज स्थल के सामीप्य में प्रवाह स्थिति एवं वेग वितरण का अवलोकन करने पर 60 मी. जलमार्ग के लिए यह संतोषजनक पाया गाया। प्रस्तावित बराज स्थल के सामीप्य में प्रवाह स्थिति की अनुकूलता बनाए रखने हेतु इसके प्रति प्रवाह एवं अनुप्रवाह में स्थित चट्टानों को व्यवस्थित रूप देने की अनुशंसा की गयी। प्रवाह वेग मध्य भाग में अधिक एवं किनारों पर कम है फिर भी नदी तट के समीप स्थित संस्थानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गेबियन मेट्रेस के रूप में तट रक्षण उपाय लगाने की अनुशंसा की गयी।

Abstract

The construction of a barrage on river Sanjay in the district of Saraikela Kharsawan, Jharkhand was taken up to provide irrigation in 688 ha Gross Command Area. Sanjay river is a tributary of Kharkai river and meets it at a distance of about 11 km downstream from the proposed barrage location near village Dugni. There is another barrage nearing completion on Kharkai river about 1 km downstream of this confluence. After full impoundment of Kharkai barrage its back water will also reach upto the Dugni village. Two dimensional mathematical model studies were conducted with the aid of 2-D HEC-RAS, reproducing reach of river Sanjay from 10 km upstreamupstream of proposed barrage location 3 km downstream it i.e. total reach of about 13 km. The studies were conducted with existing condition and barrage of 50 m and 60 m waterway in place. Water levels and velocities were computed for discharges of 1900 m3/s and 2407 m3/s in the river. Based on the analysis of results of mathematical model study, data supplied and observations during the site inspection the barrage location at proposed location no.2 was finalized. Afflux of 0.65 m was computed for 50 m waterway and that of 0.39 m for the waterway of 60 m. Flow conditions and velocity distribution in the vicinity of barrage location were observed and found satisfactory with barrage waterway of 60 m. It was recommended to dress rock protrusions smoothly in the vicinity of proposed barrage location. Although flow velocities were higher in the centre of river and lower towards the bank, bank protection works in the form of gabion mattress were recommended to minimize any damage to the river bank in the vicinity of existing/ upcoming establishments.

प्रस्तावना

झारखण्ड के सराइकेला खारसवान जिले में 688 है। क्षेत्र में सिंचाई हेतु एक बराज का निर्माण सुनिश्चित हुआ था। संजय नदी, खारकाई की एक उप नदी है एवं दुगनी गाँव के समीप प्रस्तावित बराज स्थल के 11 कि.मी. अनुप्रवाह में इसक¨ मिलती है। खारकाई नदी पर एक अन्य निर्माणाधीन बराज का कार्य पूर्ण ह¨ने वाला है ज¨ की संजय नदी के संगम से 1 कि.मी. अनुप्रवाह में स्थित है (चित्र: 1) खारकाई बराज में पूर्ण जल-भरण ह¨ने के उपरांत इसके जल-स्तर का विस्तार दुगनी बराज तक भी पहुँच जाएगा।

उदेश्य-संजय नदी के आसपास की अवस्था एवं प्रस्तावित बराज स्थल के सामीप्य में स्थित अन्य संरचनाओ, आबादी इत्यादि को ध्यान में रखते हुए निम्न मुख्य अध्धयन किए गएः

. संजय नदी पर बराज के उचित स्थल के चयन हेतु द्विमितीय प्रतिमान अध्ययन

. अध्ययन स्थल के विस्तार में प्रवाह स्तिथि, प्रवाह वेग, जल स्थर इत्यादी का आकलन

. प्रस्तावित बराज स्थल कीविस्तृत जानकारी हेतु स्थल निरीक्षण

उपलब्ध डेटा:

इस प्रकार के अध्ययन हेतु नदी तल/तट का सर्वे, सामीप्य में स्थित अन्य संरचनाओं का विवरण, जल-प्रवाह इत्यादि डेटा की आवश्यकता ह¨ती है। उपलब्ध निम्न डेटा के आधार पर यह अध्ययन किए गएः-

- प्रस्तावित बराज स्थल के 11 कि.मी. प्रति प्रवाह से 10 कि.मी. अनुप्रवाह तक के क्षेत्र का 15 मी. X 15 मी. ग्रिड का नदी तल स्तर का डेटा। इस क्षेत्र के 1 मी. के अंतराल के कंटूर भी उपलब्ध थे तथा यह सर्वे डेटा नदी के दोनों तटो पर अधिकतम जल स्तर के भी पार तक था।

- प्रस्तावित बराज स्थल के अनुप्रवाह में रेटिंग कर्व।

- भूगर्भीय सर्वेक्षण डेटा

- दुगनी बराज एव खारकाई बराज के मुख्य पहलू (मिंजनतमे)

- प्रस्तावित बराज का विस्तृत रेखाचित्र स्थल निरीक्षण एवं बराज स्थिति का निर्धारण

स्थल निरीक्षण एवं बराज स्थल का निर्धारण

स्थल निरीक्षण के समय परियोजना स्थल की वस्तुस्थिति का ऑकलन, स्थानीय लोगो से चर्चा एवं नदी के क्रॉस सेक्शनस का विश्लेषण इत्यादि प्रस्तावित बराज स्थल का निर्धारण करने में सहायक सिद्ध हुए। बराज के लिए तीन संभावित स्थल प्रस्तावित थे। प्रथम स्थल संजय नदी के दाए तट पर स्थित रामबाबा आश्रम से 450 मी. अनुप्रवाह में था। इस स्थल पर पूर्ण जलाशय स्तर पर नदी की चौड़ाई 300 मी. होगी। भूगर्भीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार इस स्थान पर उपस्थित चट्टानों की गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं थी। इसके अतिरिक्त यहाँ दाहिने तट के सहारे काफी अच्छा घना हरित क्षेत्र था जो कि बराज के पाश्र्व जल में डूबने एवं निर्माण गतिविधियों से प्रभावित होने की सम्भावना थी। स्थल क्रमांक 2, रामबाबा आश्रम से लगभग 700 मी. अनुप्रवाह में था एवं वहा पर पूर्ण जलाशय स्तर पर नदी की चौड़ाई मात्र 115 मी. थी। इस स्थान पर संरचना की नीव के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली चट्टानें मौजूद थी। इस स्थान से और 300 मी.

अनुप्रवाह में स्थल क्रमांक 3 था। यह स्थान नदी के घुमाव (वक्र) पर स्थित था एव यहाँ पर नदी तल में काफी ऊँचे स्तर तक (आर. एल. 144 मी.) चट्टानें निकली हुई थी तथा बराज के अधिप्लव का स्तर आर. एल. 141 मी. पर प्रस्तावित था। इस स्थान पर पूर्ण जलाशय-स्तर के समय नदी की चौड़ाई 180 मी. होगी। इसके अतिरिक्त इस स्थल के समीप दाहिने तट से एक नाला भी नदी में जुड़ता है। इस स्थल पर बराज निर्माण होने की अवस्था में इस नाले के समीप का भी काफी क्षेत्रफल इसके डूब क्षेत्र में आएगा। साथ ही इस स्थल पर प्रवाह स्थिति भी कुछ जटिल हो सकती है। यह प्रस्तावित स्थल चित्र क्रमांक 2 में दर्शाए गए हैं।

संजय नदी

संजय नदी का उदगम, सोनुआ के उत्तर-पश्चिम में घने वनों से आच्छादित पोरहात की पहाडियों से होता है। ब्राह्मणी नदी इसकी सहायक नदी है। झारखण्ड राज्य में दुगनी गाँव से लगभग 5 कि. मी. प्रतिप्रवाह में सराइकेला जिले के बुंगी नमक स्थल पर सोना नदी इसमें आकर मिलती है। प्रस्तावित बराज स्थल तक इसका आवाह क्षेत्र 2048 वर्ग कि.मी. है। अंत में संजय नदी खारकाई नदी में बाए ओर से मिल जाती है और खारकई आगे चलकर सुबर्णरेखा नदी में मिल जाती है। बराज अभिकल्पना के लिए संजय नदी में अधिकतम निस्सरण 2407 मी3/से. लिया गया था।

गणितीय प्रतिमान अध्ययन

हेक रास 2-डी नमक सॉफ्टवेर की मदद से संजय नदी का द्विमितीय गणितीय प्रतिमान बनाया गया जिसमे की प्रस्तावित बराज स्थल के 10 किलोमीटर प्रतिप्रवाह से 3 किलोमीटर अनुप्रवाह तक का नदी का विस्तार पुनरुत्पादित किया गया। इस प्रकार नदी की कुल 13 कि.मी. लम्बाई 35 मी. X 35 मी. प्रमाण के नदी तल के सर्वे डेटा के उपयोग से पुनरुत्पादित की गई। गणितीय प्रतिमान में बनाया गया (schematization) संजय नदी का क्षेत्र चित्र 3. में दिखाया गया है।

प्रतिप्रवाह की सीमा अवस्था

प्रतिप्रवाह की सीमा अवस्था के लिए 1900 मी.3/से अधिकतम मात्रा के निस्सरण जलालेख एवं 100 वर्ष आवृति के निस्सरण जलालेख (जिसमे अधिकतम निस्सारण 2407 मी.3/से है) का उपयोग किया गया।

अनुप्रवाह की सीमा अवस्था

अनुप्रवाह की सीमा अवस्था के लिए 1400 में 1 जल सतह ढलान (S=0.000714 ) को मान्य किया गया। इसके लिए अनुप्रवाह में नदी तल के सबसे गहरे स्तर के बिन्दुओ के बीच ढलान (thalveg) के मापन का उपयोग किया गया। खारकई बराज में जल संग्रहण होने की अवस्था में इसके पश्च जल स्तर के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आर. एल. 149.0 मी. के पश्च जल-स्तर को भी अनुप्रवाह की एक सीमा अवस्था के तौर पर उपयोग किया गया।

प्रतिमान का अंशाकनएव प्रमाणीकरण

प्रतिमान के अंशाकन में प्रवाह वाहिका का तल- घर्षण, जल सतह स्तर पर वाहिका की चौड़ाई इत्यादि प्रमुख भूमिका अदा करते है। उपलब्ध डेटा एव स्थल निरीक्षण से ज्ञात हुआ कि प्रस्तावित बराज स्थल के सामीप्य में नदी तल में काफी चट्टानें विभिन्न स्तरों पर मौजूद थी जिनसे प्रवाह में काफी अवरोध होगा। अत(कोलन) 0.03 से 0.06 तक की मैनिग घर्षण प्रमाण (Manning’s roughness value) को प्रतिकृति में अपनाया गया।

संजय नदी में किसी भी स्थल पर निस्सरण एवं जल-स्तर का मापन नहीं किया जाता है। अतः अंशाकन हेतु कोई भी डेटा उपलब्ध नहीं था। परन्तु नदी तट के स्तर पर प्रवाह के समय परियोजना स्थल का जल-स्तर, 0.06 के मैनिंग घर्षण एव 1900 मी3/से के निस्सरण हेतु प्रतिकृति अध्ययन से प्राप्त जल-स्तर के काफी सामंजस्य में था। अतः प्रतिकृति का व्यवहार सही मान लिया गया।

प्रतिकृति अध्ययन

विभिन्न अवस्थाओ के लिए प्रतिकृति अध्ययन किए गए जो की निम्नानुसार हैः

- 900 मी3/से एव 2407 मी3/से की अधिकतम मात्रा के निस्सरण वाले जलालेखो हेतु

- मैनिंग्स घर्षण गुणांक (द) 0.03, 0.045 एव 0.06 के साथ

- अनुप्रवाह सीमा अवस्था में सामान्य गहराइ एवं 149.00 मी. का स्थिर जल-स्तर

- 10 मी. चौड़े 5 द्वारो का बराज

- 12 मी. चौड़े 5 द्वारो का बराज

उपरोक्त सभी अवस्थाओ के लिए किए गए गणितीय प्रतिमान अध्ययन से दुगनी बराज के प्रतिप्रवाह में आकलित (गणित) जल-स्तर, तालिका-1 में प्रदर्शित है। इनमे से कुछ परिणाम चित्र 4 एवं 5 में भी दिखाए गए हैं।

प्रस्तावित बराज स्थल के सामीप्य में अनुप्रवाह एवं प्रतिप्रवाह में उपरोक्त वर्णित सभी अवस्थाओ के लिए किए गए गणितीय प्रतिमान अध्ययन में आकलित (गणित) प्रवाह स्थिति एवं वेग-वितरण के परिणामो का विवेचन किया गया। इनमें से ददद=0.06 के साथ 2407 मी3/से. निस्सरण हेतु नदी की वर्तमान स्थिति में एवं बराज के साथ परिणाम चित्र 6 से 9 में दिखाए गए हैं।

परिणामों का विश्लेषण

बराज हेतु प्रस्तावित तीनों स्थलों का अध्धयन किया गया एवं पाया गया कि प्रथम स्थल संजय नदी के दाए तट पर स्थित रामबाबा आश्रम के समीप था एवं इस स्थल पर पूर्ण जलाशय स्तर पर नदी की चौड़ाई 300 मी. होगी, जो कि अपेक्षाकृत अधिक थी। इस स्थान पर उपस्थित चट्टानों की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी नहीं थी। इसके अतिरिक्त यहाँ दाहिने तट के सहारे काफी अच्छा घना हरित क्षेत्र था जो कि बराज के पार्श्-जल में डूबने एवं निर्माण गतिविधियों से प्रभावित होने की सम्भावना थी। स्थल क्रमांक 2, रामबबा आश्रम से काफी दूर था एव वहा पर पूर्ण जलाशय स्तर पर नदी की चौड़ाई मात्र 115 मी.थी। इस स्थान पर संरचना की नीव के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली चट्टानें भी मौजूद थी। इस स्थान से और 300 मी. अनुप्रवाह में स्थल क्रमांक 3 था। यह स्थान नदी के घुमाव (वक्र) पर स्थित था एव यहाँ पर नदी तल में काफी ऊँचे स्तर तक (आर. एल. 144 मी) चट्टानें निकली हुई थी जो कि बराज के प्रस्तावित अधिप्लव स्तर आर. एल. 141 मी. से भी ऊंची थी। इस स्थान पर पूर्ण जलाशय-स्तर के समय नदी की चौड़ाई 180 मी.होगी। इसके अतिरिक्त इस स्थल के समीप दाहिने तट से एक नाला भी नदी में जुड़ने के कारण बराज निर्माण होने की अवस्था में इस नाले के समीप का भी काफी क्षेत्रफल इसके डूब क्षेत्र में आएगा। साथ ही इस स्थल पर प्रवाह स्थिति भी कुछ जटिल हो सकती है।

नदी की वर्तमान स्थिति में बाये तट के सहारे 2.11 मी./से. का प्रवाह वेग था जो कि 12 मी.चौड़े 5 द्वारों वाले बराज के लिए बढ़कर 2.15 मी./से. हो जाएगा एवं 10 मी. चौड़े 5 द्वारों वाले बराज के लिए बढकर 2.51 मी./से. हो जाएगा।

2407 मी3/से. के निस्सरण एवं द = 0.06 के साथ 10 मी. चौड़े 5 द्वारों वाले बराज के लिए जलोथ्थान का परिमाण 0.65 मी. पाया गया तथा 12 मी. चौड़े 5 द्वारों वाले बराज के लिए जलोथ्थान का परिमाण 0.39 मी. था।

निष्कर्ष एवं अनुशंसाए

द्वि-मितीय गणितीय प्रतिमान अध्धयन स्थल निरीक्षण एवं डेटा विश्लेषण के आधार पर निम्न निष्कर्ष निकले गए हैंः

• बराज हेतु प्रस्तावित/संभावित स्थलों के अध्ययन में नदी की चौड़ाई, आवाही प्रवाह स्थिति, संरचना की नीव के लिए चट्टानों की गुणवत्ता, समीपवर्ती नदी तल-तट के विन्यास इत्यादि के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि बराज के लिए स्थल क्रमांक 2 उपयुक्त है।

• प्रस्तावित बराज स्थल के 200 से 300 मी. अनुप्रवाह तक नदी ताल से काफी अधिक मात्रा में चट्टानें लगभग 144 मी. के स्तर तक ऊंची निकली हुई हैं जो कि बराज के प्रतिप्रवाह में जल प्रवाह में अवरोध उत्त्पन्न कर सकती हैं तथा उर्जा-क्षय पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। इनके कारण समीप के क्षेत्र में तट-अपरदन भी हो सकता है। अतः इस क्षेत्र में उचित स्तर तक चट्टानों की छटाई करना चाहिए।

• स्थल क्रमांक 2 पर नदी की चौड़ाई अपेक्षाकृत कम है तथा यह बराज के लिए अनुकूल है। परन्तु बराज निर्माण के उपरांत और भी संकरा होने से प्रतिप्रवाह में जलोत्थान उत्पन्न होगा। अतः बराज पियर्स के मध्य की दूरी 10 से बढाकर 12 मी. करने से बराज के प्रतिप्रवाह में 2407 मी3/से. निस्सरण के लिए जलोथ्थान 0.26 मी. कम हो जाता है।

• 12 मी. चौड़ाई के 5 द्वारो वाले प्रस्तावित बराज को स्थिति क्रमांक 2 पर होने की दशा में आवाही प्रवाह स्थिति भली भांति वितरित एवं अनुकूल प्रतीत हुई।

• 12 मी. चौड़ाई के 5 द्वोरो वाले प्रस्तावित बराज को स्थिति क्रमांक 2 पर होने की दशा में वेग का काफी हद तक समान वितरण था एवं 3 से 4 मी./से. का वेग बराज के विभिन्न भागो में था।

• 10 मी. चौड़ाई के 5 द्वारो वाले प्रस्तावित बराज के लिए प्रतिप्रवाह में 151.474 मी. का जल-स्तर गणित किया गया वहीं 12 मी. चौड़ाई के 5 द्वारो वाले प्रस्तावित बराज के लिए प्रतिप्रवाह में 151.213 मी. का जल-स्तर गणित हुआ। इस स्तर क¨ ध्यान में रखते हुए बराज के उपर सड़क का स्तर निर्धारित करने की अनुशंसा की गई।

सन्दर्भ:

CWPRS Report No. 5702

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading