सोन नदी को बंधक बना लिया

29 Jul 2011
0 mins read
सोन नदी को बांधकर बालू का अवैध खनन
सोन नदी को बांधकर बालू का अवैध खनन

लखनऊ, जून। अपने मुनाफे के लिए खनन, बालू, कोयला, वन, तेल माफियाओं ने सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली की जनता के जीवन को गहरे संकट में डाल दिया है। इस क्षेत्र में पर्यावरण व जल का गहरा संकट पैदा हो गया है। पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सोनभद्र जनपद में 264 व मिर्जापुर जनपद में मात्र 15 क्रशर प्लाट ही वैध है, बावजूद इसके हजारों की संख्या में अवैध क्रशर रात दिन पहाड़ों को तोड़ने में लगे हुए हैं। यहां तक कि सेचुंरी एरिया व वाइल्ड जोन में जहां ट्रांजिस्ट्रर भी बजाना मना है वहां खुलेआम ब्लास्टिंग करायी जा रही है। सोन नदी को बालू माफियाओं द्वारा बांध दिया गया है और माननीय उच्च न्यायलय के आदेशों के बाद भी मशीनें लगाकर बालू खनन किया जा रहा है। इस क्षेत्र के पर्यावरण व जल संकट पर जन संघर्ष मोर्चा ने आज मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर कार्यवाही की मांग की है। जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने पत्र भेजकर मुख्यमंत्री से मांग की है कि पर्यावरण व जल के गहरे संकट से आम जनता को निजात दिलाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करें और सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली जनपद जो डार्क जोन में है व जहां भूजल स्तर तय मानकों से काफी नीचे है वहां जेपी औद्योगिक समूह और पत्थर काटने वाले संयत्रों के द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे भूजल के दोहन, रिर्जव फारेस्ट व सेचुंरी एरिया में अवैध पत्थर खनन, सोनभद्र की सोन नदी में जारी अवैध बालू खनन व ऐसी औद्योगिक ईकाइयां जो ई0एस0पी0 का प्रयोग नहीं करके प्रदूषण फैला रही है, उन पर तत्काल रोक लगवाएं, रिहंद बांध के पानी को कनौरिया कैमिकल्स, हिण्डालकों, हाईटेक कार्बन, रेनूसागर व विभिन्न विद्युत परियोजनाओं द्वारा डाले जा रहे कचरे से जहरीला होने से बचाने के लिए तत्काल कार्यवाही करें और सोनभद्र जनपद के म्योरपुर ब्लाक में चेकडैम में हुए भ्रष्टाचार के दोषियों को दण्डित किया जाए।

मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली के पहाड़ी इलाकों में उत्पन्न हुए पर्यावरण व जल के गहरे संकट के बारे में ब्योरेवार देते हुए जन संघर्ष मोर्चा ने बताया कि इस क्षेत्र में स्थिति की भयावहता इसी बात से समझी जा सकती है कि रिहन्द जलाशय के पानी को पीने के चलते इसके किनारे बसे म्योरपुर ब्लाक के कमरीडाड़ व लभरी गाढ़ा गांव में 28 बच्चों और ग्रामवासियों की मौतें हुईं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसे संज्ञान में लिया और मुख्य चिकित्साधिकारी-सोनभद्र द्वारा करायी जांच से यह प्रमाणित हुआ कि रिहंद बांध का पानी जहरीला है, उन्होने हिदायत दी कि इस पानी को न पीएं। कनौरिया कैमिकल्स, हिण्डालकों, हाईटेक कार्बन, रेनूसागर व विभिन्न विद्युत परियोजनाओं द्वारा डाले जा रहे कचरे से यह पानी जहरीला हो गया है। जल संकट से निजात दिलाने के नाम पर जो चैकडैम भी बनाएं गए वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। म्योरपुर ब्लाक के बेलवादह, खैराही, किरबिल, कुलडोमरी, सांगोबांध, चौगा, पाटी जैसे गांवो के 21 स्थानों की जांचकर आयुक्त ग्राम्य विकास ने खुद स्वीकार किया था कि चेकडैम बनाने में अनियमितता बरती गयी है और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। लेकिन आश्चर्य यह है कि इस घोटाले को पकड़ने वाले और दोषी अधिकारियों के निलम्बन की संस्तुति करने वाले आयुक्त का तो तबादला हो गया पर घोटाले बाजों का एक दिन के लिए भी निलम्बन नहीं हुआ।

पत्र में बताया गया कि इस पहाड़ी क्षेत्र में छाया पानी का संकट प्राकृतिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक व सरकारी लापरवाही के चलते है। यह क्षेत्र डार्क जोन के मानकों को पूरा करता है, परन्तु इस पूरे क्षेत्र में भूगर्भ में पेयजल के लिए संरक्षित जल का दोहन औद्योगिक समूहों द्वारा किया जा रहा है। चुनार के ही इलाके में जे0पी0समूह की सीमेन्ट फैक्ट्री में विद्युत परियोजना के लिए प्रतिदिन 30 लाख लीटर पानी के दोहन के चलते जमुहार समेत आसपास के तमाम गांवों में पेयजल का जर्बदस्त संकट पैदा हो गया है। इसी तरह का जलदोहन अहरौरा में पत्थरों को काटने वाली मशीनों के लिए किया जा रहा है। पर्यावरण विभाग के अनुसार सोनभद्र ,मिर्जापुर जनपद में मात्र 279 क्रशर प्लाट ही वैध हैं बावजूद इसके हजारों की संख्या में अवैध क्रशर रात दिन पहाड़ो को तोड़ने में लगे हुए है। यहां तक कि सेंचुरी एरिया व वाइल्ड जोन में जहां ट्रांजिस्टर भी बजाना मना है, वहां खुलेआम ब्लास्टिंग करायी जा रही है। इन क्रशरों व कर्टर मशीनों के चलते पूरे इलाके की पहाड़ियां गायब होती जा रही, जो आने वाले समय में बड़े पर्यावरणीय संकट को जन्म देगा। ओबरा,डाला,सुकृत, अहरौरा में तो क्रशरों के खनन के चलते हवा ही जहरीली बन गयी है। सोनभद्र की सोन नदी को बंधक बना लिया गया है। एक ही उदाहरण से स्थिति की गम्भीरता को समझा जा सकता है। चोपन ब्लाक के अगोरी किले का क्षेत्र कैमूर सेन्चुरी एरिया में आता है। इस किले के सामने सोन नदी पर पुल व सड़क बनाकर नदी की धार मोड़ दी गयी है और जेसीबी मशीनें लगाकर बड़े पैमाने पर बालू का खनन चौबीस घण्टे किया जा रहा है। माननीय उच्च न्यायालय उ0प्र0 ने जबकि स्पष्ट आदेश दिया है कि मशीनों से बालू का खनन नहीं किया जाना है। इस क्षेत्र में पर्यावरण रोकने के नाम पर ई0एस0पी0 मशीनें कई उद्योगों में लगी ही नहीं है और जहां लगी भी है वहां भी औद्योगिक समूहों द्वारा इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। परिणामस्वरूप फैल रहे प्रदूषण के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो रही है, आम नागरिकों की सांस से कोयला निकलता है।

पत्र के द्वारा अखिलेन्द्र ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि स्थिति और भयावह हो आमजन आर्थिक क्षति के साथ-साथ जानलेवा संकट की गर्त में और तेजी से आएं, इसे रोकने के लिए इस क्षेत्र की जनता व जनसरोकार रखने वाले लोगों की तरफ से वह तत्काल हस्तक्षेप करें और पर्यावरण व जल के गहरे संकट से आम जनता को निजात दिलायें।
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading