‘त्रिबिध ताप त्रासक तिमुहानी। राम सरूप सिंधु समुहानी’-
महाकवि गोस्वामी तुलसीदास के मान से उद्धृत “सरयू” नदी के महात्म्य को पुराणों में प्रातः स्मरणीय नदी बताकर प्रतिष्ठित किया गया है। पुराणों के अनुसार ये नदी अग्नि की उत्पत्ति का स्थान है। यह हिमालय के स्वर्ण शिखर पर ‘मानसरोवर झील’ से निकलकर पिथौरागढ़, काठगोदाम, टनकपुर, पीलीभीत, मैलानी, फैजाबाद, अयोध्या, छपरा आदि नगरों को पावन करती हुई गंगा में समाहित हुई है। सरयू मुख्य नामों में देविका, घाघर रामप्रिया आदि उल्लेखनीय हैं।
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संदर्भ:
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