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सूडान

सूडान मध्य स्थित उत्तर पूर्व अफ्रीका का एक बृहत्‌ स्वतंत्र राज्य है जिसके उत्तर में मिस्र पूर्व में लाल सागर एवं इथियोपिया राज्य, दक्षिण में केनिया, उगांडा एवं कांगो तथा पश्चिम में मध्य अफ्रीकी गणराज्य, तथा चाड राज्य स्थित हैं। इस राज्य की लंबाई उत्तर दक्षिण लगभग 2000 किमी तथा चौड़ाई पूर्व पश्चिम 1500 किमी है एवं क्षेत्रफल लगभग 15,18,000 वर्ग किमी है।

सन्‌ 1953 ई. में स्वतंत्रता प्राप्त करने के पहले इसे ऐंग्लो इजिप्शियन सूडान कहा जाता था और यह ब्रिटेन एवं मिस्र के सदृश राज्य (Condominion under British and Egypt) था। एक सार्वभोम राष्ट्र के रूप में सूडान 1956 ई. में आया और उसी वर्ष राष्ट्र संघ का सदस्य बन गया। 1820 ई. के पहले सूडान में अनेक छोटे राज्य बने एवं बिगड़े पर कोई भी अपनी छाप न छोड़ सका। ब्रिटिश शासन ही अधिक दिन तक प्रभुसत्ता कायम रख सका।

पूर्ण रूप् से उष्ण कटिबंध में स्थित इस राज्य का भूमि आकार प्राय: सम है। प्राचीन चट्टानों एवं स्थल खंडों पर अपक्षरण का प्रभाव प्रत्यक्ष है। नील नदी की घाटी मध्य में उत्तर दक्षिण में फैली हुई है। देश का 50% से अधिक क्षेत्र 457 मी तक ऊँचा है और शेष भाग, थोड़े से मध्य पश्चिमी एवं द. पू. भाग जहाँ इंथियोपिया की उच्च भूमि का फैलाव है, को छोड़कर, 915 मी तक ऊँचा है। इस प्रकार भूमि आकार के आधार पर इसके तीन खंड किए जा सकते हैं; 1. मध्यवर्ती नदी घाटी 2. पूर्वी एवं पश्चिमी पठारी प्रदेश जिसमें लिबिया का मरुस्थली प्रदेश भी सम्मिलित है एवं 3. दक्षिणी पूर्वी उच्च भूमि। केनिया पर्वत 3187 मी ऊँचा है। इस देश में विश्व का सबसे बड़ा दलदली भाग स्थित है जिसे एल सुड (El Sud) कहते हैं और जो लगभग 78125 वर्ग किमी में फैला हुआ है। नील इस देश की प्रधान नदी है जो भूमि आकार को ही नहीं, यहाँ की आर्थिक एवं सामाजिक दशा को परिवर्तित करने में भी सहायक है। यह नदी दक्षिणी सीमा पर निमूल के निकट इस देश में प्रवेश करती है और 3435 किमी का लंबा मार्ग तय करके हाल्फा के निकट मिस्र में प्रवेश करती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ बहरेलगजेल (Bahrel-Gazel), नीली नील (Blue Nile) एवं अटवारा है। बहरेलगजेल विषुवतीय प्रदेश की अपेक्षाकृत निम्न भूमि से निकलकर पूर्व की ओर प्रवाहित होती हुई नील में एल सूड के दलदली क्षेत्र में टोंगा के निकट गिरती है। अन्य दो नदियाँ एबिसीनिया के पठार से निकलकर उत्तर एवं उत्तर पश्चिम दिशा में प्रवाहित होकर क्रमश: एल डैमर एवं खारतूस के समीप श्वेत नील में गिरती हैं। प्राय: सभी नदियों में वर्ष भर पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध रहता है। मुख्य नीति का निकास विषुवती जंगलों में स्थित झीलों से हुआ है अत: इसमें सबसे अधिक मात्रा में जल उपलब्ध है।

यद्यपि संपूर्ण देश उष्ण कटिबंध में ही स्थित है तथापि विस्तार एवं धरातल ने जलवायु में अधिक वैषम्य ला दिया है। उत्तरी भाग में जहाँ बालू की आँधियाँ चलती हैं वहीं दक्षिण में प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है। उत्तरी क्षेत्र में वर्षा आकस्मिक एवं यदा कदा ही होती है। मध्य क्षेत्र में इसका औसत 15 सेमी है पर दक्षिण में 101 सेमी तक पानी बरसता है।

वर्षा प्राय: मई से अक्टूबर महीने तक होती है। ग्रीष्म ऋतु का ताप (27से 32सें) प्राय: उत्तर एवं दक्षिण में समान रहता है जब कि शीत ऋतु में इसका वैषम्य बढ़ जाता है। इस ऋतु में उत्तरी क्षेत्र का औसत ताप लगभग 15से रहता है जब कि दक्षिण में 27 से.। अप्रैल एवं अक्टूबर के बीच बालू की भीषण आँधियाँ चला करती हैं जो प्राय: उत्तर पश्चिम क्षेत्र में मिलती हं। ये आँधियाँ हानिकर नहीं हैं पर कभी-कभी हजारों फुट बालू की ऊँची दीवार बना देती हैं। इन तूफानों को स्थानीय भाषा में हबूब कहते हैं।

राज्य के प्रमुख प्राकृतिक साधन नील नदी का जल, जंगल और जंगल से उत्पन्न गोंद, जिससे इत्र, तेल तथा दवाएँ बनती हैं एवं ताल सागर का जल जिससे नमक बनाया जाता है, हैं। इन जंगलों में पाए जाने वाले बबूल के रस से गोंद बनाया जाता है। विश्व की गोंद की माँग की 90% की पूर्ति यहाँ से की जाती है। विश्व प्रसिद्ध बूबल गोंद (Gum Arabic) यहीं बनता है। इन वृक्षों के लिए कार्बोफन (Cordofan) पठार विशेष प्रसिद्ध है। पशुपालन में लगे हजारों सूडानियों का पूरक व्यवसाय बबूल का रस इकट्ठा करना है। दक्षिणी जंगलों में कठोर लकड़ी वाले वृक्ष महोगनी, इबोनी आदि अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं। 1925 ई. में जलपूर्ति के हेतु ब्लू नील पर 1006 मी. लंबे एवं 37 मी. चौड़े सेनार बाँध (Sennar dam)का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। इससे निर्मित जलाशय 93 मील लंबा है। राज्य का प्रधान औद्योगिक उत्पादन दैनिक प्रयोग की वस्तुएँ हैं। अतिरिक्त कुछ उत्पादन स्थानीय माँग की पूर्ति के लिए भी होता है जिनमें बीयर, नमक, सीमेंट, परिरक्षित मांस आदि प्रमुख हैं। इनका प्रमुख केंद्र खारतूस है। संभावित खनिजों की सूची में स्वर्ण, ग्रेफाइट, गंधक, क्रोमाइट, लोहा, मैंगनीज एवं ताँबा हैं। वादीहाफा के दक्षिण सोने की खदानें हैं। अब तक इन खनिजों के उत्पादन एवं उपयोग पर ध्यान नहीं दिया गया है।

जीविकोपार्जन के अन्य साधनों के अभाव में बंजारों की प्रमुख जीविका पशुचारण एवं कृषि ही है। उत्तरी सूडान के निवासी मरुस्थली प्रदेश के होने के नाते बंजारों का जीवन व्यतीत करते हैं। इनकी जीविका पशुचारण है पर चारों एवं भोजन की आवश्यकता की पूर्ति के लिए इन्हें यत्र तत्र घूमना पड़ता है। अन्य क्षेत्रों की मुख्य जीविका कृषि ही है। मध्य एवं उत्तरी भाग में वर्षा की कमी के कारण खारतूस के उत्तर एवं मध्य सूडान के कृषकों को जल के लिए कूपों, तालाबों एवं नील नदी के जल पर निर्भर करना पड़ता है। संपूर्ण क्षेत्रफल के 20%भाग पर कृषि होती है और 10% भाग घास के मैदानों के अंतर्गत आते हैं। उत्तर के कृषक अन्न, कपास एवं मटर की खेती करते हैं पर दक्षिणी कृषक बरसाती फसलें जैसे मीठे धातु की कृषि अधिक करते हैं। खारतूस के दक्षिण ब्लू एवं ह्वाइट नील के क्षेत्र के लगभग 1,000,000 एकड़ में लंबे धागे वाली उत्तम कोटि की कपास पैदा की जाती है। कपास ही राष्ट्र की अधिकतम आय का साधन है।

सूडान के व्यापार में आयात एवं निर्यात मूल्य में संतुलन नहीं है क्योंकि इसे महँगी वस्तुएँ आयात करनी पड़ती हैं। सस्ते एवं कम सामान निर्यात होते हैं। आयात की वस्तुओं में सूती सामान, चीनी, काफी, चाय, लौहपात्र (hardware) मशीनें, मिट्टी का तेल, गेहूँ, आदि प्रमुख हैं पर निर्यात गोंद, कपास, बिनौले, चमड़े, सींग, हड्डियाँ, पशु एवं मटर का होता है। निर्यात करने वाले प्रमुख राष्ट्र ग्रेट ब्रिटेन, भारत, मिस्र, ईरान, आस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमरीका, पाकिस्तान एवं पश्चिमी जर्मनी हैं। 1957-58 ई. में 48,124 टन गोंद का यहाँ से निर्यात किया गया।

सूडान राज्य में 9 प्रांत, बहरेलगजेल, ब्लू नील, डार्फर, इक्वेटोरिया, कस्साल, खारतूस, कारडोफल, उत्तरी एवं अपर नील तथा 96 जनपद हैं। राज्य की जनसंख्या 11,928,000 91961) है। सर्वाधिक घने बसे भाग ब्लू नील एवं बहरेलगजेल हैं जहाँ राज्य के लगभग 14% क्षेत्रफल में 34% जनसंख्या निवास करती है। नगर प्राय: नदियों के किनारे पर बसे हैं जहाँ जल की सुविधा है। खारतूस यहाँ का प्रशासनिक केंद्र हैं जिसकी जनसंख्या 1955 में 82700 थी। अब खारतूस, उत्तरी खारतूस एवं अंडरमन नगर प्राय: एक हो गए हैं और इनकी जनसंख्या 1961 में 312,465 थी। अन्य नगर एल ओबीद (70,100), पोर्ट सूडान (60,600), वादी मैदानी (57,300) अतबारा (36,100) कस्साल, गेडरीफ आदि हैं। जनसंख्या का 2/3 भाग अरबी भाषाभाषी मुसलमान हैं। दक्षिणी भाग में कुछ नीग्रो लोग रहते हैं जिनकी भाषा एवं रहन-सहन उत्तर के निवासियं से भिन्न है। अरबी राष्ट्रभाषा है। नगरों में शिक्षण संस्थान हैं। सर्वोच्च शिक्षण संस्थान खारतूस में है। 'यूनिवर्सिटी कालेज ऑव खारतूस' 1951 में स्थापित एकमात्र विश्वविद्यालय है। इसके अतिरिक्त औद्योगिक एवं प्रशिक्षण संस्थान भी हैं। राज्य में यातायात की सुविधा के लिए लगभग 23,000 किमी लंबा राजमार्ग है जो प्राय: सभी प्रमुख स्थानों को मिलाता है। रेलमार्ग (छोटी लाइन) 1961 के अनुसार 5169 किमी था जिनमें खारतूस ब्याला (1385 किमी) मुख्य है।

सूडान चार प्राकृतिक विभागों में बाँटा जा सकता है:


1. मरुस्थली प्रदेश-खारतूस के उत्तर का प्राय: संपूर्ण भाग सहारा के लिबिया एवं नुबिया मरुस्थलों से घिरा हुआ है। वनस्पति केवल ओसिस एवं अन्य जलने वाले भागों तक सीमित है। नील इसके मध्य से प्रवाहित होती है। शेष भाग उजाड़ है।

2. स्टेपीज क्षेत्र- खारतूस से अल ओवीद तक का छोटी-छोटी घासों का क्षेत्र, जिसमें कहीं-कहीं झाड़ियाँ भी हैं, इसमें सम्मिलित है। कार्डोफा के पठार पर ये मैदान 457 मी तक की ऊँचाई पर भी मिलते हैं।

3. सवन्ना- उष्ण कटिबंधीय घास के मैदानों का क्षेत्र है जो विषुवती वनों के उत्तर स्थित है। घासें अत्यधिक लंबी होती हैं। (जिराफ, एंटीलोप्स आदि) कुछ जंगली जीव भी इनमें रहते हैं।

4. विषुवत प्रदेश- दक्षिण सूडान में विषुवत रेखा के समीप अतिवृष्टि का क्षेत्र है। यह उथला बेसिन है जिसमें सफेद नील अपनी सहायक नदियों के साथ वक्र मार्ग में प्रवाहित होती है। 781-25 वर्ग किमी में फैला हुआ दलदली क्षेत्र अल सुड इसी बाग में है। दक्षिणी भाग उत्तरी भाग की अपेक्षा ऊँचा है। घने जंगल यहाँ की विशेषता है। (कैलाशनाथ सिंह)

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