स्वामी चिदानंद मुनि और याचिकाकर्ता प्रतिशपथ पत्र दाखिल करें : हाईकोर्ट

8 Jan 2020
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स्वामी चिदानंद मुनि और याचिकाकर्ता प्रतिशपथ पत्र दाखिल करें : हाईकोर्ट
स्वामी चिदानंद मुनि और याचिकाकर्ता प्रतिशपथ पत्र दाखिल करें : हाईकोर्ट

संवाद न्यूज एजेंसी, अमर उजाला, देहरादून, 8 जनवरी 2020

नैनीताल हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में गंगा नदी किनारे अतिक्रमण करने, अधिकारियों से मिलीभगत कर आश्रम बनाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता और स्वामी चिदानंद मुनि को प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैँ। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तिथि नियत की है।

इस प्रकरण में पौड़ी गढ़वाल के डीएम धीराज गर्ब्याल की ओर से कोर्ट में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की गई है। इसमें कहा गया कि 1956-57 में 2.392 एकड़ लीज भूमि स्वामी सुखदेवानंद ट्रस्ट परमार्थ निकेतन को वन प्रभाग लैंसडौन की ओर से स्वीकृत की गई थी। भूमिधरी की भूमि पर छोटे-बड़े 833 कमरे, खाली पार्किंग, चार दुकानें, रास्ते और दो बैंक हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में गंगा किनारे 70 मीटर के दायरे में कब्जा किया गया है जो सरकारी भूमि है।

याचिका में कहा कि गंगा में पुल का निर्माण कर नदी में एक मूर्ति बनाने के साथ ही व्यावसायिक भवन का निर्माण किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से इस पर रोक लगाने व इस स्थान को अतिक्रमण मुक्त करने की मांग की गई थी। याचिका में आश्रम की ओर से बैंक अथवा अन्य को किराए पर भी आपत्ति किया गया है। याचिका में कहा गया कि इसका किराया आश्रम द्वारा लिए जाने के कारण सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। याचिका में यह भी कहा गया कि आश्रम से होने वाले कूड़े को गंगा नदी में डाला जा रहा है, जिससे गंगा भी प्रदूषित हो रही है।

दून में अतिक्रमण पर प्रतिशपथ पत्र मांगा

हिन्दुस्तान समाचार, 23 नवंबर 2019
नैनीताल। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को देहरादून में नदी-तालाब और नालों पर अतिक्रमण के मामले में सुनवाई की। राज्य सरकार ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर कहा कि अतिक्रमणकारियों को चिह्नित कर वहां से हटाया जा रहा है।  इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि, सरकार गरीबों के कब्जे हटा रही है। रसूखदारों के अतिक्रमण नहीं हटाए जा रहे हैं। इस मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से दो हफ्ते में प्रतिशपथ पत्र देने को कहा। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन, न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। यह याचिका राजपुर क्षेत्र की पार्षद उर्मिला थापा ने दायर की है। थापा ने कहा है कि, राजपुर क्षेत्र के नालों, चाल-खालों और ढांग पर कब्जे कर निर्माण किए गए हैं।

फुटबॉल के 205 मैदानों के बराबर है अतिक्रमण
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता के जरिये हाईकोर्ट को बताया कि देहरादून में नदी-नालों पर अतिक्रमण का आकार फुटबॉल के करीब 205 मैदानों के बराबर है। 

डीएम ने दिया अतिक्रमण का ब्योरा
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान देहरादून के डीएम ने शपथपत्र पेश कर दून घाटी की नदियों के 270 एकड़ क्षेत्र में अतिक्रमण को स्वीकार किया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़ और डोईवाला में 15 एकड़ नदियों की जमीन पर अतिक्रमण हुआ है।

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