स्वान धुनै जो अंग

26 Mar 2010
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स्वान धुनै जो अंग, अथवा लौटैं भूमि पर।
तौ निज कारज भंग, अतिही भंग, अतिही कुसगुन जानिये।।


भावार्थ- यदि यात्रा के समय कुत्ता अपना शरीर फड़फड़ाये या भूमि पर लोटता नजर आये तो बड़ा अशुभ होता है। व्यक्ति जिस कार्य से जा रहा है वह पूरा नहीं होगा। यह एक अपशकुन है।

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