तापमान की गड़बड़ी से खेती पर मार

Agriculture
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धार। जिले में किसानों ने अक्टूबर-नवम्बर में इस खातिर गेहूँ की बोवनी कर दी थी ताकि उपलब्ध पानी का उपयोग हो सके। तमाम सलाहों के बावजूद किसानों ने तापमान कम होने का इन्तजार नहीं किया। अब मुश्किल यह हो गई है कि गेहूँ के पौधे बोने रह गए हैं और बढ़वार रुक गई है। इतना ही नहीं इन पौधों में उंबियाँ विकसित होने लगी है। ऐसे में जबकि तापमान में गिरावट जारी है। उस समय मुश्किल यह है कि यह प्राकृतिक घटनाक्रम किसानों के गेहूँ उत्पादन पर असर डाल सकता है। खुद कृषि वैज्ञानिक इस बात को लेकर चिन्तित हैं कि जो हालात बने हैं उससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा।

गौरतलब है कि जिले में अक्टूबर माह में ही गेहूँ की बोवनी का दौर शुरू हो गया था। ऐसे में जबकि कृषि वैज्ञानिक कह रहे थे कि तापमान गिरने का इन्तजार किया जाये। लेकिन किसानों की भी अपनी एक मजबूरी थी।

 

क्या थी मजबूरी


इस बार जिले में भले ही औसत रूप से बारिश बेहतर रही थी किन्तु पानी बरसने के दिन बहुत कम रहे थे। ऐसे में पानी की उपलब्धता को लेकर चिन्ता थी। कुछ विकासखण्डों में पानी कम भी बरसा। ऐसे में किसानों ने नलकूपों का साथ छोड़ने के पहले ही बोवनी शुरू कर दी। पानी खत्म होने की जो आशंका थी वह सही भी साबित हुई। अब स्थिति यह है कि पानी खत्म होने को आया है। किसान विष्णु पाटीदार, मोहनलाल पाटीदार ने बताया कि तापमान अधिक रह रहा है। खासकर दिन के तापमान में बढ़ोत्तरी होने से दिक्कत है।

1. साढ़े तीन लाख हेक्टेयर में बोया गया गेहूँ।
2. तीन माह में 8-10 बार ही तापमान बोवनी लायक रहा।
3. जरूरत थी 18 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की।
4. 30 डिग्री तक तापमान रहने के कारण बोने हुए पौधे।
5. 20 प्रतिशत तक उत्पादन में कमी रहने का अनुमान।

 

 

 

विशेषज्ञ की राय


कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एके बढ़ाया ने बताया कि तापमान के कारण इस तरह की स्थिति बनी है। पौधे बोने रहने से निश्चित रूप से उनमें उत्पादन कम होगा। यह मामला अधिक तापमान के कारण की गई बोवनी के कारण हुआ है। इस पूरे सत्र में तापमान को लेकर चिन्ता बनी रही। महज इस पूरे सत्र में 7 से 8 दिन ही तापमान 17 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुँचा।

यह बात सही है कि जलवायु परिवर्तन का दौर है। इसमें किसानों ने पानी समाप्ति की चिन्ता को लेकर जल्दी बोवनी कर दी। जबकि तापमान बोवनी लायक नहीं हुआ था। इसी का परिणाम है कि पौधे बोने रहने से ऊंबियाँ लग तो रही हैं लेकिन उनसे उत्पादन कम मिलेगा। जहाँ बाद में बोवनी हुई है वहाँ स्थिति ठीक रहेगी... पीएल साहू, उप संचालक कृषि धार

इस समय तापमान अधिक है। ऐसे में जबकि किसानों को पानी भी उपलब्ध नहीं है तो वे सिंचाई भी नहीं कर पा रहे हैं। तापमान नहीं गिरने के कारण सारा परिदृश्य बना है। इसमें यह बात देखने में आई है कि जो प्रक्रिया देर से पूरी होनी चाहिए। यानी फलन में देरी होना चाहिए वह जल्दी हो रही है... केएस किराड़, प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र धार

 

 

 

 

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