उदयपुर में स्थित झामरकोटरा खनन क्षेत्र का भू-विज्ञानीय अध्ययन

झामरकोटरा खनन क्षेत्र
झामरकोटरा खनन क्षेत्र
खनिज संसाधन भूगर्भ से निकाले जाने वाले वे पदार्थ हैं जो प्राकृतिक व रासायनिक सहयोग से बनते हैं। खनिज कुछ निश्चित स्थानों पर ही मिलते हैं। भारत में खनिजों का वितरण असमान है। उत्तरी मैदानों में खनिजों की कमी पाई जाती है क्योंकि यहाँ आधार शैलों पर नदियों द्वारा मिट्टी जमा कर दी गई है। हिमालयी क्षेत्रों में भी खनिजों की कमी है एवं इनका खनन मंहगा पड़ता है। यहाँ अधिकतर खनिज पदार्थ प्रायद्वीप भारत में मिलते हैं। जहां की शैल प्राचीन एवं रवेदार है। भारत में सामान्य तौर पर लोहे के अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बाक्साइट, चूना पत्थर, फास्फेट, डोलामाइट, संगमरमर, इमारती पत्थर, ताँबा, शीशा, जस्ता, निकिल, टंगस्टन, टिन आदि अयस्क एवं खनिज मिलते हैं।

दक्षिणी राजस्थान खनन उद्योग की दृष्टि से काफी समृद्ध है। इस क्षेत्र में राकफास्फेट, सैंडस्टोन, शीशा, जस्ता जैसे महत्वपूर्ण खनिज विद्यमान है। ऐसे महत्वपूर्ण खनिजों के संरक्षण एवं पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से संबंधित कार्य हमारे भविष्य के प्रति सार्थक दृष्टिकोण को प्रतिबिम्बित करते हैं। खनिज प्रसूता पृथ्वी का सौंदर्य बना रहे तथा उससे प्राप्त खनिजों का अधिकतम उपयोग किया जाए जिससे हम आने वाली पीढ़ियों को हरी-भरी भूमि एवं प्रदूषण मुक्त वातावरण दे पायें।

प्रस्तुत प्रपत्र में राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले में स्थित झामरकोटरा खान, जो उदयपुर से 25 किमी. की दूरी पर स्थित है, एक चट्टानी फास्फेट की खुली खान है। खान का कुल खनन क्षेत्र 18 वर्ग किमी. है। यह 24027’ – 24029’ अक्षांश व 73052’ के देशांतर पर स्थित है। समुद्र तल से खनन क्षेत्र का शीर्ष 780 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। फास्फेट की उपलब्धता 480 मीटर से 600 मीटर के मध्य स्थित है। क्षेत्र की औसत वार्षिक वर्षा 577 मि.मी है।

खान के कुछ क्षेत्र में जल निकासी की समुचित व्यवस्था ना होने के कारण जल भराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। झामरकोटरा खान में जल के प्रवेश की सम्भावनाओं पर विस्तृत अध्ययन किया गया है। यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि खान में उपस्थित जल का स्रोत किसी निकट स्थित जलाशय का जल या भूजल हो सकता है। भूजल, जलाशयों के जल एवं खान के अंदर उपस्थित जल के नमूनों का समस्थानिक प्रवणता तकनीक से विश्लेषण किया गया है। ट्रीशियम विश्लेषण, स्थानीय समस्थानिक विश्लेषण एवं जल गुणवत्ता के आँकड़ों का भी विश्लेषण किया गया है। निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए अध्ययन क्षेत्र के पुनः भरण जोनों/स्रोतों, जल गुणवत्ता एवं समस्थानिक आँकड़ों को सम्मिलित किया गया है।

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