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उजबेकिस्तान

उजबेकिस्तान सोवियत संघ के दक्षिणी भाग में अर्थात्‌ सोवियत मध्य एशिया के दक्षिण पूर्व में उजबेकिस्तान या उजबेक सोवियत समाजवादी गणराज्य 4,49,600 वर्ग कि.मी. क्षेत्र पर फैला है और अपनी परंपरागत कला, संस्कृति आदि के लिए प्रसिद्ध है। जनवरी, 1971 में इसकी कुल आबादी 1,23,00,000 थी। 27 अक्टूबर, 1924 में इसे सोवियत संघीय गणराज्य का स्तर प्राप्त हुआ। उत्तर में अरल सागर तथा दक्षिण में अफगानिस्तान की सीमा तक फैले इस गणराज्य के दक्षिण एवं पश्चिम में तुर्कमेन सोवियत, दक्षिण पूर्व में ताज्झिक सोवियत, पूर्व में किरगीज़ सोवियत और उत्तर एवं पश्चिम में कज़ाक सोवियत फैले हैं। अंदिझान, बुख़ारा, समरकंद, सुरखान दरिया, ताशकंद, फ़रगाना, खोरेज़्म, सर दरिया और काश्का दरिया नामक नौ प्रशासनिक विभागों (ओब्लास्त) के अतिरिक्त इसमें काराकल्पक स्वायत्त सोवियत समाजवादी गणराज्य सम्मिलित है। यहाँ 33 नगर और 66 नगरीय क्षेत्र या नगर के समान बस्तियाँ हैं। कुल एक तिहाई से अधिक लोग नगरनिवासी हैं। यहाँ उजबेक लोगों की अधिकतम आबादी (1959 में 62.2) है जिनके अतिरिक्त रूसी (13.5), तातर (5.5), कज़ाक (4.1), ताज्झिक (3.8), काराकल्पक (2.1) तथा थोड़े कोरियाई, यहूदी, किरगीज़ एवं अन्य लोग हैं। ताशकंद इसकी राजधानी है।

पूर्व में थ्यासाँ के पश्चिमी ढालों से उत्तर पश्चिम की ओर पेश्की किज़िलकुम (लाल बालू) के पार तक विस्तीर्ण उजबेकिस्तान अधिकांशत: मरुभूमि है। प्लेटो उस्टयुर्ट का पठारी क्षेत्र (लगभग 200 से 300 मीटर ऊँचा) पश्चिम में अरल सागर (समुद्रतल से 50 मीटर) तक फैला है। अरल सागर में सल्फेट संपन्नता अधिक है। अरल सागर और पर्वतपदों के मध्य 480 कि.मी. तक फैला किज़िलकुम क्षेत्र (200 मीटर से नीचा) अधिकांशत: बालुकामय क्षेत्र है जिसमें वनस्पतियों के कारण केवल कुछ ही क्षेत्रों में बालुकास्तूप मिलते हैं। इस भाग में आमू दरिया एक मात्रा सततसलिला नदी है और स्वनिर्मित चौड़े मैदान से होकर बहती है। दक्षिण की ओर कई शुष्क लोएस मैदान हैं जिनमें से कई में ढालों से बहती नदियों द्वारा जलोढ़ शंकुओं का निर्माण हुआ है। शेष भागों में पर्वतों-पठारों-घाटियों के सिलसिले पाए जाते हैं। शंकुओं के मध्य की ओर या घाटी में लोएस की तरह की मिट्टी और बालू पाए जाते हैं। फ़रगाना, जेराब्शान, ताशकंद, खोरेज़्म आदि अभिसिंचित घाटियाँ घनी आबाद हैं। इस महाद्वीपीय जलवायुवाले क्षेत्र में शीत ऋतु में तापमान शून्यांक (जनवरी में) से नीचे चला जाता है किंतु ग्रीष्म में 21-22 सें. (औसत जुलाई) हो जाता है। पर्वतीय भागों में 50-60 सें.मी. वर्षा होती है किंतु निम्न क्षेत्रों में 10-12 सें.मी. ही होती है। अधिकांश वर्षा वसंत ऋतु में होती है और अधिकांश मरुक्षेत्रों में विभिन्न घासें, फूल, पौधे उग आते हैं किंतु शीघ्र ही ग्रीष्म में झुलस जाते हैं। पहाड़ों पर घास और वृक्ष 1,200 मी. ऊँचाई तक मिलते हैं।

सिंचाई के आधार पर यहाँ कई फसलें, विशेषकर घाटियों, नखलिस्तानों और पर्वतीय ढालों तथा पठारों पर उगाई जाती हैं। सोवियत संघ का कुल 60-70 तक कपास, लगभग आधा प्राकृतिक रेशम और एक तिहाई काराकुल चमड़ा यहीं से प्राप्त होता है। फ़रगाना घाटी, ताशकंद, समरकंद तथा बुख़ारा क्षेत्र कपास उगाने के लिए प्रसिद्ध हैं। सूखी खेती के रूप में गेहूँ, जौ और मिलेट आदि खाद्य फसलें समरकंद, सुरखान दरिया, ताशकंद आदि क्षेत्रों में तथा दक्षिण में गन्ना उगाया जाता है। यह प्रदेश अंगूर, शाक सब्जी एवं फलों और चावल के लिए भी प्रसिद्ध है। इधर कृषि पर आधारित उद्योगों के अतिरिक्त अन्य उद्योग धंधों का भी यहाँ तेजी से विकास हुआ जिनमें खनिजोत्पादन, मशीन तथा रसायन उद्योग प्रमुख हैं। खनिजों में कोयला (अंगरेन घाटी तथा शारगेन क्षेत्र) और पेट्रोलियम (फ़रगाना) प्रमुख हैं। यहाँ मशीन उद्योग, कृषियंत्र तथ कृषि पर आधारित उद्योग धंधों (सूती रेशमी वस्त्रोउद्योग, बिनौले के तेल, शराब, फलों और मछलियों का डिब्बाबंदी उद्योग) से संबंधित मशीनें तैयार की जाती हैं। कृषि एवं उद्योगों को बिजली अधिकांशत: जलस्रोतों से प्राप्त होती है।

यातायात उजबेकिस्तान में अभी यातायात के पर्याप्त साधन नहीं हैं। प्रमुख रेलमार्ग क्रैस्नोवोर्डस्क-ताशकंद, कागन-तमेज़, उर्सट येव्स्कायाकोकंद-नामांगन और शार्डओउ-कुन्ग्राड मार्ग हैं। ग्रेट उजबेक मार्ग तथा ताशकंद-ऐंग्रेन-कोकंद राजमार्ग प्रमुख् सड़कें हैं। ताशकंद प्रमुख हवाई अड्डा है जहाँ से दिल्ली तथा मध्य एशियाई नगरों को हवाई यातायात की सुविधा है। यहाँ रेडियो तथा टेलिविजन केंद्र भी हैं ताशकंद और समरकंद में विश्वविद्यालय स्थापित हैं।

इतिहास उजबेकिस्तान तथा उजबेक लोगों का नामकरण चौदहवीं सदी के उनके जातीय नेता खान उजबेक (1312-42 ई.) के नाम पर हुआ है। 1917 ई. में सोवियत क्रांति के समय उजबेक लोग रूसी तुर्किस्तान में सिर दरिया, समरकंद और फरगाना क्षेत्रों (ओब्लास्त) तथा बुख़ारा और ख़ीवा अर्धस्वतंत्र खानजादों के बिखरे थे। कुछ संघर्ष के बाद 1919 ई. तक ताशकंद केंद्रीय रूसी सरकार के अधीन हो गया। कुछ आंतरिक संघर्ष के पश्चात्‌ यहाँ पूर्ण साम्यवादी प्रशासन स्थापित हुआ। 1936 के दिसंबर और 1956 में प्रशासनिक सुविधा तथा उजबेकों की स्वायत्तता के लिए इसका पुनस्संघटन किया गया। 1936-37 में उजबेकों के जातिवादी संघर्ष का दुर्दांत दमन किया गया। यद्यपि उजबेकिस्तान को पूर्ण स्वायत्त गणराज्य की संज्ञा दी गई है, तथापि उसका किसी विदेश से किसी प्रकार का स्वतंत्र संबंध नहीं है।

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