यूनियन बजट 2021  - 2022 : जल के लिए इस वर्ष आवंटित वित्त बजट

11 Feb 2021
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यूनियन बजट 2021  - 2022 : जल के लिए इस वर्ष आवंटित वित्त बजट
यूनियन बजट 2021  - 2022 : जल के लिए इस वर्ष आवंटित वित्त बजट

जिस तरह से कोरोना ने पूरे विश्व में महामारी फैलाई है।उससे स्वच्छता एक अहम केंद्र बिंदु बना गया है। साफ पानी, स्वछता का महत्व बढ़ गया है इसी तरह भारत सरकार द्वारा इस बार वित्त वर्ष बजट 2021-2022 में स्वछता को प्राथमिकता दी गई है।

इस वर्ष के बजट का  डोमेन,कृषि और उससे संबद्ध गतिविधियों, ग्रामीण विकास, पेयजल और स्वच्छता, ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में निर्भर है।राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए जल संसाधन काफी महत्वपूर्ण हैं। वित्तीय प्रावधान बनाने के अलावा एक केंद्रीय बजट, हमें सरकार के दृष्टिकोण के बारे में भी बताता है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 01 फरवरी 2021 को संसद में 2021-2022 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया था। यह बजट अपने पिछले वर्ष के बजट से काफी अलग था, क्योंकि यह देश में चल रहे राजकोषीय संकट को कम करने और राज्य की अर्थव्यवस्था में सभी कठिनाइयों का निवारण प्रदान करता है। 

बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने पानी की आपूर्ति को सभी जन मानस तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है  ताकि सार्वभौमिक स्वास्थ्य को प्राप्त किया जा सके। अपने बजट भाषण में, उन्होंने उसी के अनुरूप कुछ घोषणा की थी, लेकिन सभी बजट अनुमान पत्रिका पर पूरी तरह से उल्लेख नहीं हुआ है ।


वित्तीय प्रावधान

2021-2022 के केंद्रीय बजट में, तकरीबन 77,352  करोड़ रुपये  पानी के क्षेत्र में प्रस्तावित हैं जो जल मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और किसानों के कल्याण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, आवास मंत्रालय और शहरी मामलों के मंत्रालय में फैले हुए हैं। यह आवंटन पिछले वित्त वर्ष के प्रस्तावित बजट से लगभग दोगुना है। जिसमे  जल जीवन मिशन (JJM) को लगभग 50,000 करोड़ की राशी  आवंटित की गई है. वही बजट में  वित्तीय वर्ष 2021-22 का लक्ष्य अतिरिक्त 3 करोड़ FHTCs प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है 

गौर करने वाली बात यह है कि प्रस्तावित 38,778 करोड़ रुपये के मुकाबले 2020-2021 के वित्तीय वर्ष के दौरान संशोधित बजट में  आवंटन घटकर 28,848 करोड़ रुपये हो गया, आवंटन में लगभग 25 फीसदी की कमी है। प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना (PMKSY) के लिए बजट प्रावधान, निरंतर एनडीए शासन के तहत फ्लैगशिप योजना 11,588 करोड़ रुपये की थी, जो पिछले साल के आवंटन के लगभग बराबर है।

जल शक्ति मंत्रालय

पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभागो के साथ जलशक्ति मंत्रालय को 69,052 करोड़ रुपये प्रस्तावित हुए है जो की पिछले साल के वित्त बजट से 130 फीसदी ज़्यादा हैलगभग सभी बढ़े हुए बजट का हिस्सा जेजेएम ( JJM ) ग्रामीण खंड को दिया गया है।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग में, प्रमुख और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा दिया जाता है। कुल आवंटित 9,022 करोड़ रुपये में से 5,588 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना ( PMKSY ) विभाग को दिए गए हैं। इस मामले में, जिसमें हर खेत को पानी, HKKP (900 करोड़), बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम, FMBAP (636 करोड़) शामिल हैं। अटल भुजल योजना (300 करोड़), PMKSY (3600 करोड़) के तहत नाबार्ड से ऋण की सेवा और विदर्भ और मराठावाड़ा के लिए विशेष पैकेज (400 करोड़) है।

पिछले वर्षों की तरह, इस साल भी विभाग के कुल बजट अनुमान से बाहर रहा, लगभग 40% राशि PMKSY के तहत नाबार्ड से ऋण सेवा लिया गया है जिसमें नाबार्ड का ब्याज भुगतान भी शामिल है। आगे ही, राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना को 850 करोड़ INR आवंटित किया गया था और यह पिछले साल के आवंटन के लगभग बराबर है। नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए राशि आवंटन में पिछले साल के 800 करोड़ की तुलना में 25% की तीव्र कमी देखी गई थी। जल संसाधन प्रबंधन के वित्तीय प्रमुख के अंदर सभी विभागो मे पिछले वर्ष के तरह समान आवंटन ही रहेगा।

पेयजल और स्वच्छता विभाग के लिए, पिछले वर्ष के 21,518 करोड़ रुपये के मुकाबले कुल आवंटन 60,030 करोड़ किया गया है। जल जीवन मिशन (JJM) / राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन को 50,011 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। जो स्पष्ट रूप से देश में सभी को स्वच्छ और साफ़ पानी सुनिश्चित करने के लिए राज्य की प्राथमिकता है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में, कुल 2.14 करोड़ अतिरिक्त एफएचटीसी ( FHTC ) देश के 26 जिलों को प्रदान किया गया था जिसे 100% प्राप्त किया था। यह अपेक्षा हो रही थी की JJM को अधिक आवंटन मिलेगा, कार्यक्रम का लक्ष्य जल संसाधनों को नियमित रूप से बढ़ाना बजाय केवल नल कनेक्शन के भौतिक लक्ष्य को प्राप्त करना।

स्वच्छ भारत मिशन सभी ग्रामीण क्षेत्रों में ओडीएफ स्थिति की स्थिरता सुनिश्चित करने और देश के सभी गांवो को ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन व्यवस्था करने के लिए 9,994 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी।

कृषि और किसानों का कल्याण मंत्रालय

प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना (PMKSY) के तहत 4,000 करोड़ रुपये आवंटित हुआ जो पिछले वर्ष के वित्त बजट के बराबर ही है। नाबार्ड के तहत 5,000 करोड़ रुपये दोगुना बढ़ाकर माइक्रो इरिगेशन फंड बनाया गया है।


ग्रामीण विकास मंत्रालय

भूमि संसाधन विभाग में प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना (PMKSY) के जलग्रहण विकास कार्यक्रम को 2,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित किया गया. मनरेगा के तहत बहुत से जल और जल संरक्षण कार्य किए गए। Covid19 की लॉकडाउन अवधि के दौरान, रोज़गार बढ़ाने के लिए अधिकांश जल संरक्षण गतिविधियों का कार्य हुआ था। ग्रामीण विकास विभाग में, इस साल MGNREGA कोष पिछले साल 61,500 करोड़ रुपये की तुलना में 20% की वृद्धि हुई है.

आवास व शहरी मंत्रालय

शहरी जल और स्वच्छता के संबंध में, इस वर्ष के बजट भाषण में दो प्रमुख विकास हुए। सबसे पहले, जल जीवन मिशन (शहरी) सभी 4,378 शहरी स्थानीय निकायों में 2.86 करोड़ घरेलू नल कनेक्शन के साथ-साथ तरल कचरा प्रबंधन   500 AMRUT शहरों में 2,87,000 करोड़ के साथ लागू होगा।

ध्यान दें, वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए इसके अंतर्गत कोई विशेष वित्तीय प्रावधान नहीं किया गया है। सभी गतिविधियों को AMRUT योजना के तहत किया जाएगा। दूसरा, स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में 1,41,678 करोड़ के कुल वित्तीय आवंटन के साथ  2021-2026 से 5 वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत पूर्ण रूप से 

कीचड़ प्रबंधन, गंदे जल का उपचार, और कचरा प्रबंधन प्रमुख है. स्वच्छ बारात स्कीम के तहत - शहरी 2,300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल के आवंटन के बराबर है।

अन्य आवंटन

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत, राष्ट्रीय तटीय प्रबंधन कार्यक्रम को 200 करोड़ रुपये, पर्यावरण संरक्षण, प्रबंधन और सतत विकास 136 करोड़ रुपये, प्रदूषण नियंत्रण के लिए 470 करोड़ रुपये, ग्रीन इंडिया के राष्ट्रीय मिशन को 9290 करोड़ रुपये, प्राकृतिक संसाधन और पारिस्थितिक तंत्र 62 करोड़ रुपये आवंटित हुए है. MoEFCC के कुल राशि में लगभग 200 करोड़ रुपये की कमी की गई थी। अंतर्देशीय जल परिवहन के लिए, पोर्ट, शॉपिंग और जलमार्ग मंत्रालय ने कुल 624 करोड़ आवंटित हुआ है।


विरोधाभास

उन्नति और कामयाबी केवल वित्य बजट पर ही निर्भर नहीं रहती बल्कि खर्च की योजना, चरण और दृष्टिकोण से संबंधित है. इस वार्षिक वित्त बजट में मुख्य्ता 3 बातो को कहा गया है. पहला, अनुमानित आवंटित बजट और खर्च के मामले मे काफी ज़्यादा अंतर देखा गया है. दूसरा, पेयजल और स्वछता को प्राथमिकता देना जो समाजिक, भौगोलिक और पर्यावरण के हिसाब से हो.तीसरा, और सबसे महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग दृष्टिकोण से तरीकों को अपनाना है 

पिछले लगातार 3 वित्त वर्षो (2018-19, 2019-20 and 2020-21) मे पानी के क्षेत्र के लिए बजट आवंटन लगभग 25 फीसदी कम है।यह प्रवृत्ति विभिन्न मंत्रालयों के जैसी  है।

  2020: अनुमानित बजट और वास्तविक / संशोधित बजट के बीच के अंतर।Source:paaniwalibaat.wordpress.com फोटो

  2020: अनुमानित बजट और वास्तविक / संशोधित बजट के बीच के अंतर।Source:paaniwalibaat.wordpress.com फोटो

 

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभागों के प्रस्तावित बजट और वास्तविक / संशोधित बजट के 3 वित्त वर्ष में अंतर का ब्यौरा

  2020: संशोधित बजट के 3 वित्त वर्ष में अंतर का ब्यौरा Source:paaniwalibaat.wordpress.com फोटो

 

सभी राज्यों के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग के प्रस्तावित बजट की तुलना मे वास्तविक / संशोधित बजट 10 फीसदी रहा.

  2020: कुछ वर्षो मे वाटरशेड कार्यक्रम के वास्तविक / संशोधित बजट मे बहुत गिरावट देखी गयी। Source:paaniwalibaat.wordpress.com फोटो

 

शहरी स्वच्छ भारत मिशन के प्रस्तावित व वास्तविक / संशोधित बजट मे बहुत अंतर दिखा।

 2020: वर्ष 2016 के रिपोर्ट के हिसाब से Source:paaniwalibaat.wordpress.com फोटो

 

कुछ वर्षो मे वाटरशेड कार्यक्रम के वास्तविक / संशोधित बजट मे बहुत गिरावट देखी गयी।

  2020: कुछ वर्षो मे वाटरशेड कार्यक्रम के वास्तविक / संशोधित बजट मे बहुत गिरावट देखी गयी। Source:paaniwalibaat.wordpress.com फोटो

सरकार का माइक्रो इर्रिगेशन को अधिक कवर करने का लक्ष्य था, लेकिन वास्तविक / संशोधित बजट प्रस्तावित बजट के तुलना में अलग कहानी बयान कर रहा है।कुछ सालों से कृषि कार्यो के लिए पानी बजट मे गिरावट हुई है . 2014 मे NDA सरकार आयी और उसने प्रधानमंत्री सिंचाई  (PMKSY) योजना की पहल की थी. शुरुआती कुछ वर्षों के लिए, देश में सिंचाई की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ अच्छी मात्रा में पैसा लगाया गया था।

भारत के कुल बुआई क्षेत्र का 50% से अधिक बारिश वाला क्षेत्र है। वर्षा आधारित कृषि जीवित रहने के लिए सुरक्षात्मक सिंचाई की मांग कर रही है और उसी के लिए एक विशेष राय की आवश्यकता है। जो बजट मे हर वर्ष गिरावट दिखी है।  

प्रधानमंत्री मोदी जी के अपने रेडियो टॉक शो “मन की बात” में जनता से अनुरोध किया की वह जल संरक्षण मे अपनी भागीदारी दे. लेकिन सभी वित्त बजट केंद्रीय या अन्य योगनाओ को आवंटित किया. बजट आवंटन से पता चलता है कि जल शक्ति मंत्रालय का प्रमुख ध्यान जल संसाधन विकास पर है न कि जल संसाधन प्रबंधन के मामले पर।

देश में गंभीर जल संकट कभी सूखें  व कभी पेयजल की कमी के कारण होते है. प्रधानमंत्री ने देश को जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के लिए आग्रह किया था। लेकिन आज भी नीति निर्माताओं की प्राथमिकता में बड़े बुनियादी ढांचे है जिसके कारण छोटे विकेन्द्रित तरीकों की अनदेखी की जाती है  इस साल का बजट इसका ठोस प्रमाण है.

देश का जल संसाधन लगातार कमजोर होता  जा रहा  हैं, चाहे वह नदियाँ, झीलें, तालाब, झरने हों, लेकिन इस बजट में आवंटित वित्त बढ़ाने का कोई महत्वपूर्ण इरादा नहीं किया था। संसाधनों की उपेक्षा करते हुए सारा ध्यान स्रोत प्रबंधन पर रहा।

चाहे बात की जाए प्रावधान या प्राथमिकता की इस वर्ष  का बजट भी पूर्ववर्तियों बजटों से कुछ अलग नहीं था।इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले महीनों में पानी के क्षेत्र में लगभग 80,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी , देश अभी भी एक तीव्र जल संकट की चपेट में है।

 

 

 

 

 

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